इस्लामी बंदगी दरिंदगी और गंदगी !
लेखक- सत्यवादी
सब जानते हैं कि बिना किसी प्राणी को मारे बिना उसका मास खाना असंभव है, फिर भी ऐसे लोग खुद को “शरीर भक्षी (Carnivorous) कि जगह (Non vegetarian ) कहकर खुद को सही ठहराते हैं. कुछ लोग शौक के लिए और कुछ देखादेखी भी आमिष भोजन करते हैं.
लेकिन इस्लाम ने मांसभक्षण को और जानवरों की क़ुरबानी को एक धार्मिक और अनिवार्य कृत्य बना दिया है. और क़ुरबानी को अल्लाह की इबादत का हिस्सा बताकर सार्वजनिक रूप से मानाने वाला त्यौहार बना दिया है.
क़ुरबानी क्या है, इसका उद्देश्य क्या है, और मांसाहार से इन्सान स्वभाव में क्या प्रभाव पड़ता है, यह इस लेख में कुरान और हदीस के हवालों दिया जा रहा है .साथ में कुछ विडियो लिंक भी दिए हैं . देखिये —
1-कुरबानी का अर्थ और मकसद —-
अरबी शब्दकोश के अनुसार “क़ुरबानी قرباني” शब्द मूल यह तीन अक्षर है 1 .قकाफ 2 .رरे 3 और ب बे = क र बق ر ب .इसका अर्थ निकट होना है .तात्पर्य ऐसे काम जिस से अल्लाह की समीपता प्राप्त हो .
हिंदी में इसका समानार्थी शब्द ” उपासना” है .उप = पास ,आस =निकट .लेकिन अरबी में जानवरों को मारने के लिए “उजुहाالاضحي ” शब्द है जिसका अर्थ “slaughter ” होता है .इसमे किसी प्रकार की कोई आध्यात्मिकता नजर नहीं दिखती है .बल्कि क्रूरता , हिंसा ,और निर्दयता साफ प्रकट होती है .जानवरों को बेरहमी से कटते और तड़प कर मरते देखकर दिल काँप उठता है और यही अल्लाह चाहता है. और कुरान में कहा गया है .
“और उनके दिल उस समय काँप उठते हैं , और वह अल्लाह को याद करने लगते हैं ” सूरा -अल हज्ज 22 :35″.
2-क़ुरबानी की विधियाँ —
यद्यपि कुरान में जानवरों की क़ुरबानी करने के बारे में विस्तार से नहीं बताया है और सिर्फ यही लिखा है.
“प्रत्येक गिरोह के लिए हमने क़ुरबानी का तरीका ठहरा दिया है , ताकि वह अपने जानवर अल्लाह के नाम पर कुर्बान कर दें ” – सूरा -हज्ज 22 :34″.
लेकिन सुन्नी इमाम ” मालिक इब्न अबी अमीर अल अस्वही” यानि मालिक बिन अनस مالك بن انس “(711 – 795 ई० ) ने अपनी प्रसिद्ध अल मुवत्ता The Muwatta: (Arabic: الموطأ) की किताब 23 और 24 में जानवरों और उनके बच्चों की क़ुरबानी के जो तरीके बताएं है. उसे पढ़कर कोई भी अल्लाह को दयालु नहीं मानेगा.
3-पशुवध की राक्षसी विधियाँ —
मांसाहार अरबों का प्रिय भोजन है, इसके लिए वह किसी भी तरीके से किसी भी जानवर को मारकर खा जाते थे. जानवर गाभिन हो या बच्चा हो या मादा के पेट में हो सबको हजम कर लेते थे. और रसूल उनके इस काम को जायज बता देते थे बाद में यही सुन्नत बन गयी है और सभी मुसलमान इसका पालन करते हैं. इन हदीसों को देखिये —
अ -खूंटा भोंक कर —
“अनस ने कहा कि बनू हरिस का जैद इब्न असलम ऊंटों का चरवाहा था, उसकी गाभिन ऊंटनी बीमार थी और मरणासन्न थी. तो उसने एक नोकदार खूंटी ऊंटनी को भोंक कर मार दिया. रसूल को पता चला तो वह बोले इसमे कोई बुराई नहीं है तुम ऊंटनी को खा सकते हो “ — मालिक मुवत्ता-किताब 24 हदीस 3 .
ब-पत्थर मार कर —
“याहया ने कहा कि इब्न अल साद कि गुलाम लड़की मदीने के पास साल नामकी जगह भेड़ें चरा रही थी. एक भेड़ बीमार होकर मरने वाली थी.तब उस लड़की ने पत्थर मार मार कर भेड़ को मार डाला .रसूल ने कहा इसमे कोई बुराई नहीं है ,तुम ऐसा कर सकते हो “ — मालिक मुवत्ता -किताब 24 हदीस 4.
जानवरों को मारने कि यह विधियाँ उसने बताई हैं, जिसको दुनिया के लिए रहमत कहा जाता है ? और अब किस किस को खाएं यह भी देख लीजये —
4- किस किस को खा सकते हो —
इन हदीसों को पढ़कर आपको राक्षसों की याद आ जाएगी.यह सभी हदीसें प्रमाणिक है यह नमूने देखिये —
अ -घायल जानवर —
“याह्या ने कहा कि एक भेड़ ऊपर से गिर गयी थी ,और उसका सिर्फ आधा शरीर ही हरकत कर रहा था ,लेकिन वह आँखें झपक रही थी .यह देखकर जैद बिन साबित ने कहा उसे तुरंत ही खा जाओ “ मालिक मुवत्ता किताब 24 हदीस 7.
ब -मादा के गर्भ का बच्चा —
“अब्दुल्लाह इब्न उमर ने कहा कि जब एक ऊंटनी को काटा गया तो उसके पेट में पूर्ण विक्सित बच्चा था ,जिसके बल भी उग चुके थे . जब ऊंटनी के पेट से बच्चा निकाला गया तो काफी खून बहा ,और बच्चे दिल तब भी धड़क रहा था.तब सईद इब्न अल मुसय्यब ने कहा कि माँ के हलाल से बच्चे का हलाल भी माना जाता है . इसलिए तुम इस बच्चे को माँ के साथ ही खा जाओ “ मुवत्ता किताब 24 हदीस 8 और 9.
स – दूध पीता बच्चा —
“अबू बुरदा ने रसूल से कहा अगर मुझे जानवर का केवल एकही ऐसा बच्चा मिले जो बहुत ही छोटा और दूध पीता हो , रसूल ने कहा ऐसी दशा में जब बड़ा जानवर न मिले तुम बच्चे को भी काट कर खा सकते हो “ मालिक मुवत्ता -किताब 23 हदीस 4.
5- क़ुरबानी का आदेश और तरीका —
वैसे तो कुरान में कई जानवरों की क़ुरबानी के बारे में कहा गया है ,लेकिन यहाँ हम कुरान की आयत विडियो लिंक देकर कुछ जानवरों की क़ुरबानी के बारे जानकारी दे रहे हैं .ताकि सही बात पता चल .सके , पढ़िए और देखिये , —
अ – गाय —
“याद करो जब अल्लाह ने कहा की गाय को जिबह करो ,जो न बूढी हो और न बच्ची बीच का आयु की हो “सूरा -बकरा 2 :67 -68.”
ब- ऊंट —
“और ऊंट की कुरबानी को हमने अल्लाह की भक्ति की निशानियाँ ठहरा दिया है “सूरा अल हज्ज 22 :36”
स -चौपाये बैल —
“तुम्हारे लिए चौपाये जानवर भी हलाल हैं ,सिवाय उसके जो बताये गए हैं “सूरा-अल 22 :30.”
6- गैर मुस्लिमों को गोश्त खिलाओ —
“इब्ने उमर और और इब्न मसूद ने कहा की रसूल ने कहा है ,कुरबानी का गोश्त तुम गैर मुस्लिम दोस्त को खिलाओ ,ताकि उसले दिल में इस्लाम के प्रति झुकाव पैदा हो “
it is permissible to give some of it to a non-Muslim if he is poor or a relative or a neighbor, or in order to open his heart to Islam.
“فإنه يجوز أن أعطي بعض منه الى غير مسلم إذا كان فقيرا أو أحد الأقارب أو الجيران، أو من أجل فتح صدره للإسلام “
Sahih Al-Jami`, 6118.
गैर मुस्लिमों जैसे हिन्दुओं को गोश्त खिलाने का मकसद उनको मुसलमान बनाना है ,क्योंकि यह धर्म परिवर्तन की शुरुआत है .बार बार खाने से व्यक्ति निर्दयी और कट्टर मुसलमान बन जाता है .
7- गोश्तखोरी से आदमखोरी —
मांसाहारी व्यक्ति आगे चलकर नरपिशाच कैसे बन जाता है ,इसका सबूत पाकिस्तान की ARY News से पता चलता है ,दिनांक 4 अप्रैल 2011 पुलिस ने पाकिस्तान पंजाब दरया खान इलाके से आरिफ और फरमान नामके ऐसे दो लोगों को गिरफ्तार किया ,जो कब्र से लाशें निकाल कर ,तुकडे करके पका कर खाते थे . यह परिवार सहित दस साल से ऐसा कर रहे थे.दो दिन पहले ही नूर हुसैन की 24 की बेटी सायरा परवीन की मौत हो गयी थी ,फरमान ने लाश को निकाल लिया ,जब वह आरिफ के साथ सायरा को कट कर पका रहा था ,तो पकड़ा गया . पुलिस ने देगची में लड़की के पैर बरामद किये . इन पिशाचों ने कबूल किया कि हमने बच्चे और कुत्ते भी खाए हैं .ऐसा करने कीप्रेरणा हमें दूसरों से मिली है , जो यही काम कराते हैं . विडियो लिंक —
8- हलाल से हराम तक —
खाने के लिए जितने भी जानवर मारे जाते हैं ,उनका कुछ हिस्सा ही खाया जाता है , बाकी का कई तरह से इस्तेमाल करके लोगों को खिला दिया जाता है ..इसके बारे में पाकिस्तान के DUNYA NEWS की समन खान ने पाकिस्तान के लाहौर स्थित बाबू साबू नाले के पास बकर मंडी के मजबह (Slaughter House ) का दौरा करके बताया कि वहां ,गधे कुत्ते , चूहे जैसे सभी मरे जानवरों की चर्बी निकाल कर घी बनाया जाता है . यही नहीं होटलों में खाए गए गोश्त की हडियों को गर्म करके उसका भी तेल निकाल कर पीपों में भर कर बेच दिया जाता है ,जिसे जलेबी ,कबाब ,समोसे आदि तलने के लिए प्रयोग किया होता है . खून को सुखा कर मुर्गोयों की खुराक बनती है . फिर इन्हीं मुर्गियों को खा लिया जाता है .आँतों में कीमा भरके बर्गर बना कर खिलाया जाता है .विडियो लिंक —
हमारी सरकार जल्द ही पाकिस्तान के साथ व्यापारिक अनुबंध करने जारही है ,और तेल या घी के नाम पर जानवरों की चर्बी और ऐसी चीजें यहाँ आने वाली हैं .
लोगों को फैसला करना होगा कि उन्हें पूर्णतयः शाकाहारी बनकर, शातिशाली, बलवान, निर्भय और जीवों के प्रति दयालु बन कर देश और विश्व कि सेवा करना है या धर्म के नाम पर या दुसरे किसी कारणों से प्राणियों को मारकर खाके हिसक क्रूर निर्दयी सर्वभक्षी पिशाच बन कर देश और समाज के लिए संकट पैदा करना है .
दूसरे धर्मों के लोग ईश्वर को प्रसन्न करने और उसकी कृपा प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या करके खुद को कष्ट देते हैं. लेकिन इस्लाम में बेजुबान जानवरों को मार कर अल्लाह को खुश किया जाता है और इसी को इबादत या बंदगी माना जाता है .फिर यह बंदगी दरिंदगी बन जाती है और जिसका नतीजा गन्दगी के रूप में लोग खाते हैं.
इस लेख को पूरा पढ़ने के बाद विचार जरुर करिए — माँसाहारी अत्याचारी ,और अमानुषिक हो सकते हैं लेकिन बलवान और सहृदय कभी नहीं सो सकते .
दुनिया का एक मात्र सत्य सनातन धर्म हिन्दू ही है जिसमे सभी को जीने का समान अधिकार परमपिता परमेश्वर ने जन्म के साथ ही दिया है जो कोई भी धर्म के नाम पर या रूडीवादी परम्परा का वास्ता दे कर निरही बेजुबान पशुओ की हत्या करता है वो इन्सान कहलाने के लायक नहीं है
Rooh kaanp gayi…………….ye sab dekh kar……………aur kuch log poori duniyo ko islamic banana chate hain…………
मुसलमानों और राश्रसो मे कोई फकँ नही है क्योंकि जैसे राक्षसों के कार्य थे वैसे ही कार्य मुसलमान कर रहे हैं राक्षस कभी किसी को धामिंक कार्य नहीं करने देते एवं उसको नुकसान पहुचाते थे उसका हल तो निकाल लिया लेकिन इन राक्षसों का उपाय एक ही है (संगठन में शक्ति है)की राह अपनानी हैं भूल जाओ सारे जाति वंधन यह तो हमको जोड़ने नही तोड़ने के लिए बनाए गए ़ मेरा विनम्र निवेदन जहाँ कहीं भी झगड़ा हो अगर वह आपस में है तो उसको शान्ती पूर्वक समाप्त करे अगर झगड़ा विधम्री से हो तो (न चूके चौहान ) जय श्री राम