विज्ञान और खुदा
-चढत़े हैं फरिश्ते और रूह तर्फ़ उसकी वह अज़ाब होगा बीच उस दिन के कि है परिमाण उसका पचास हजा़र वर्ष । जब कि निकलेंगे वर्ष कबरों में से दौडत़े हुए मानो कि वह बुतों के स्थानों की ओर दौड़ते हैं । म0ं 7। सि0 29। सू0 70। आ0 4। 431
समी0 -यदि पचास हज़ार वर्ष दिन का परिमाण है तो पचास हज़ार वर्ष की रात्रि क्यों नहीं ? यदि उतनी बड़ी रात्रि नहीं है तो उतना बड़ा दिन कभी नहीं हो सकता। क्या पचास हज़ार करोड़ वर्ष तक खुदा फ़रिश्ते और कर्मपत्र वाले खड़े वा बैठे अथवा जागते ही रहेंगे ? यदि ऐसा है तो सब रोगी होकर पुनः मर ही जायेंगे। क्या कबरों से निकल कर खुदा की कचहरी की ओर दौडेग़े ? उनके पास सामान क़बरों में क्योंकर पहुंचेगे ? और उन विचारों को जो कि पुण्यात्मा वा पापात्मा हैं, इतने समय तक सभी को क़बरों में दौरे सुपुर्द कैद क्यों रक्खा ? और आजकल खुदा की कचहरी बन्द होगी और खुदा तथा फ़रिश्ते निकम्मे बैठे होंगे? अथवा क्या काम करते होंगे ? अपने2 स्थानों में बैठे इधर-उधर घूमते, सोते, नाच तमाशा देखते वा ऐश आराम करते होंगे। ऐसा अन्धेर किसी के राज्य में न होगा। ऐसी2बातों को सिवाय जंगलियों के दूसरा कौन मानेगा ?
-रहे वे लोग जिन्होंने इमां लाये और उन्होंने अच्छे कर्म किये, वाही जन्नत वाले है, वे सदैव उसी में रहेंगे | सू o 20 | आ o 82 |
समी0 -यदि जीवों को खुदा ने उत्पन्न किया है तो वे नित्य, अमर कभी नहीं रह सकते। फिर बहिश्त में सदा क्योंकर रह सकेंगे ? जो उत्पन्न होता है वह वस्तु अवश्य नष्ट हो जाता है। आसमान को ऊपर तले कैसे बना सकता है ? क्यों कि वह निराकार और विभु पदार्थ है। यदि दूसरी चीज़ का नाम आकाश रखते हो तो भी उसका आकाश नाम रखना व्यर्थ है। यदि ऊपर तले आसमानों को बनाया है तो उन सब के बीच में चाँद सूर्य कभी नहीं रह सकते। जो बीच में रक्खा जाय तो एक ऊपर और एक नीचे का पदार्थ प्रकाशित हो दूसरे से लेकर सब में अंडाकार रहना चाहिये। ऐसा नहीं दीखता, इसलिये यह बात सर्वथा मिथ्या है |
-यह कि मसजिदें वास्ते अल्लाह के हैं, बस मत पुकारो साथ अल्लाहके किसी को।। मं0 7। सि0 29। सू0 72। आ0 18
समी0 -यदि यह बात सत्य है तो मुसलमान लोग ‘‘लाइलाहइल्लिलाःमुहम्मदर्रसूलल्लाः’ इस कलमे में खुदा के साथी मुहम्मद साहेब को क्यों पुकारते हैं ? यह बात कुरान से विरुद्ध है और जो विरुद्ध नहीं करते तो इस कुरान की बातको झूठ करते हैं। जब मसजि़दें खुदा के घर हैं तो मुसलमान महाबुत्परस्त हुए।
क्योंकि जैसे पुरानी, जैनी छोटी सी मूर्ति को ईश्वर का घर मानने से बुत्परस्त ठहरते हैं,ये लोग क्यों नहीं ?
-इकद्दा किया जावेगा सूर्य और चाँद ।। मं0 7। सि0 29। सू0 75। आ0 9
समी0 -भला सूर्य चाँद कभी इकट्ठे हो सकते हैं ? देखिये! यह कितनी बेसमझ की बात है। और सूर्य चाँद ही के इकट्ठे करने में क्या प्रयोजन था ? अन्य सब लोकों को इकट्ठे न करने में क्या युक्ति है ? ऐसी2 असम्भव बातें परमेश्वरकृत कभी हो सकती हैं ? विना अविद्वानों के अन्य किसी विद्वान् की भी नहीं होतीं |
-जब कि सूर्य लपेटा जावे।। और जब कि तारे गदले हो जावें।। औरजब कि पहाड़ चलाये जावें।। और जब आसमान की खाल उतारी जावे।। मं0 7।सि0 30। सू0 81। आ0 1। 2। 3। 11
समी0 -यह बड़ी बेसमझ की बात है कि गोल सूर्यलोक लपेटा जावेगा ? और तारे गदले क्यों कर हो सकेंगे ? और पहाड़ जड़ होने से कैसे चलेंगे ? और आकाश को क्या पशु समझा कि उसकी खाल निकाली जावेगी ? यह बड़ी ही बेसमझ और जंगलीपन की बात है।
-और जब कि आसमान फट जावे।। और जब तारे झड़ जावें। और जब दर्या चीरे जावें और जब कबरें जिलाकर उठाई जावें । मं0 7। सि0 30। सू0 82।आ0 1-4
समी0 -वाह जी कुरान के बनाने वाले फि़लासफ़र ! आकाश को क्यों कर फाड़ सकेगा ? और तारों को कैसे झाड़ सकेगा ? और दर्या क्या लकड़ी है जो चीर डालेगा ? और क़बरें क्या मुर्दे हैं जो जिला सकेगा ? ये सब बातें लड़कों के सदृश हें |
-क़सम है आसमान बुर्जों वाले की।। किन्तु वह कुरान है बड़ा।। बीचलौह महफूज़ के।। मं0 7। सि0 30। सू0 85। आ0 1। 21
समी0 -इस कुरान के बनाने वाले ने भूगोल-खगोल कुछ भी नहीं पढ़ा था। नहीं तो आकाश को किले के समान बुर्जो वाला क्यों कहता ?यदि मेषादि राशियों को बुर्ज कहता है तो अन्य बुर्ज क्यों नहीं ? इसलिये यह बुर्ज नहीं हैं,किन्तु सब तारे लोक हैं। क्या वह कुरान खुदा के पास है ? यदि यह कुरान उसका किया है तो वहभी विद्या और युक्ति से विरुद्ध अविद्या से अधिक भरा होगा |
-निश्चय वे मकर करते हैं एक मकर।। और मैं भी मकर करता हूं एकमकर।। मं0 7। सि0 30। सू0 86। आ0 15। 16
समी0 -मकर कहते हैं ठगपन को, क्या खुदा भी ठग है ? और क्या चोरी काजबाव चोरी और झूठ का जवाब झूठ है ? क्या कोई चोर भले आदमी के घर में चोरी करे तो क्या भले आदमी को चाहिये कि उसके घर में जा के चोरी करे ? वाह! वाह जी!! कुरान के बनाने वाले |
-इस तरह खुदा मुर्दों को जिलाता है और तुम को अपनी निशानियां दिखलाता है कि तुम समझो।। मं0 1। सि0 1। सू02। आ0 733
समी0- क्या मुर्दों को खुदा जिलाता था तो अब क्यों नहीं जिलाता ? क्या क़यामत की रात तक क़बरों में पड़े रहेंगे ? आजकल दौरा सुपुर्द हैं ? क्या इतनी ही ईश्वर की निशानियां हें पृथिवी, सूर्य, चन्द्रादि निशानियां नहीं हैं ? क्या संसारमें जो विविध रचना विशेष प्रत्यक्ष दीखती हैं,ये निशानियां कम हैं ?
-निश्चय हमने मूसा को किताब दी और उसके पीछे हम पैग़म्बर को लाये और मरियम के पुत्र ईसा को प्रकट मौजिज़े अर्थात् दैवीशक्ति और सामर्थ्य दिये उसके साथ रूहल्कुद्सरु के, जब तुम्हारे पास उस वस्तु सहित पैग़म्बर आया कि जिसको तुम्हारा जी चाहता नहीं, फिर तुमने अभिमान किया, एक मत को झुठलाया और एक को मार डालते हो।। मं0 1। सि0 1। सू0 2। आ0 871
समी0 -जब कुरान में साक्षी है कि मूसा को किताब दी तो उसका मानना मुसलमानों को आवश्यक हुआ और जो2 उस पुस्तक में दोष हैं वे भी मुसलमानोंके मत में आ गिरे और ‘मौजिज़े’ अर्थात् दैवीशक्ति की बातें सब अन्यथा हैं, भोले भाले मनुष्यों को बहकाने के लिये झूठ-मूठ चला ली हैं, क्योंकि सृष्टिक्रम और विद्या से विरुद्ध सब बातें झूठी ही होती हैं जो उस समय ‘मौजिज़े थे तो इस समय क्यों नहीं ? जो इस समय भी नहीं तो उस समय भी न थे, इसमें कुछ भी सन्देहनहीं |
-और इससे पहिले काफि़रों पर विजय चाहते थे, जो कुछ पहिचाना था जब उनके पास वह आया झट काफि़र हो गये, काफि़रों पर लानत है अल्लाहकी।। मं0 1। सि0 1। सू0 2। आ092
समी0 – क्या जैसे तुम अन्य मतवालों को काफि़र कहते हो वैसे वे तुम को काफि़र नहीं कहते हैं ? और उनके मत के ईश्वर की ओर से धिक्कार देते हैं फिर कहो कौन सच्चा और कौन झूठा ? जो विचार कर देखते हैं तो सब मतवालों में झूठ पाया जाता है और जो सच है सो सब में एक सा है, ये सब लड़ाइयां मूर्खता की हैं |
-अल्लाह सूर्य को पूर्व से लाता है बस तू पश्चिम से ले आ, बस जोक़ाफिर था हैरान हुआ, निश्चय अल्लाह पापियों को मार्ग नहीं दिखलाता।।-मं0 1। सि0 3। सू0 2। आ0 258
समी0-देखिये यह अविद्या की बात! सूर्य न पूर्व से पश्चिम और न पश्चिमसे पूर्व कभी आता जाता है, वह तो अपनी परिधि में घूमता रहता है।इससे निश्चितजाना जाता है कि कुरान के कर्ता को न खगोल और न भूगोल विद्या आती थी। जो पापियों को मार्ग नहीं बतलाता तो पुण्यात्माओं के लिये भी मुसलमानों के खुदाकी आवश्यकता नहीं, क्योंकि धर्मात्मा तो धर्म मार्ग में ही होते हैं।मार्ग तो धर्म से भूले हुए मनुष्यों को बतलाना होता है, सो कर्तव्य के न करने से कुरान के कर्ता की बड़ी भूल है |
-कहा चार जानवरों से ले उनकी सूरत पहिचान रख, फिर हर पहाड़ पर उनमें से एक2 टुकड़ा रख दे, फिर उनको बुला, दौड़ते तेरे पास चले आवेंगे।।-मं0 1। सि0 3। सू0 2। आ0 260
समी0-वाह2 देखो जी! मुसलमानों का खुदा भानमती के समान खेल कर रहा है ! क्या ऐसी ही बातों से खुदा की खुदाई है ? बुद्धिमान लोग ऐसे खुदा को तिलांजलि देकर दूर रहेंगे और मूर्ख लोग फसेंगे, इससे खुदा की बड़ाई के बदले बुराई उसके पल्ले पड़ेगी |
-जिसको चाहै नीति देता है।। मं0 1। सि0 3। सू0 2। आ0 269
समी0-जब जिसको चाहता है,नीति देता है तो जिसको नहीं चाहता,उसको अनीति देता होगा। यह बात ईश्वरता की नहीं। किन्तु,जो पक्षपात छोड़ सबको नीति का उपदेश करता है,वही ईश्वर और आप्त हो सकता है, अन्य नहीं |
-जिसने तुम्हारे वास्ते पृथिवी बिछौना और आसमान की छत को बनाया।।मं0 1। सि0 1। सू0 2। आ0 222
समी0- भला, आसमान छत किसी की हो सकती है? यह अविद्या की बात है। आकाश को छत के समान मानना हाँसी की बात है। यदि किसी प्रकार की पृथिवी को आसमान मानते हों तो उनकी घर की बात है |
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