ग़ज़ल
पाप माफ नहीं करता ईश्वर वेद में कहता है,
तो बतलाओ ईश-भजन से क्या-कुछ मिलता है?
ईश भजन करने से ऐसा साहस आ जाता,
हो पहाड़ जैसा दुःख वह भी राई लगता है।
जितनी देर भी जाकर बैठे कभी जो सत्संग में,
उतनी देर ये मन पापी चिन्तन से बचता है।
जब भी कोई सुधरा है सत्संग से सुधरा है,
मुंशीराम, अमीचन्द, मुगला साधक बनता है।
हमने रूप किया है अनुभव आज बताते हैं,
आत्मिक बल ही ईश-ाजन से दिन-दिन बढ़ता है।
– आर्य संजीव ‘रूप’, गुधनी (बदायूँ)