मनुष्य के लिए स्वतन्त्रता का बड़ा महत्त्व है। मनुष्य को मन, वचन, कर्म की स्वतन्त्रता स्वाभाविक रूप से प्राप्त है। मनुष्य को मनन-चिन्तन-सोच-विचार, बोलने-कहने-अभिव्यक्ति तथा कर्म करने की स्वतन्त्रता प्राप्त है। यह मनुष्य की उन्नति के लिए आवश्यक है। ईश्वर भी मनुष्य की इस स्वतन्त्रता में हस्तक्षेप नहीं करता।
संसार में कुछ मनुष्य, समूह, राष्ट्र अपने स्वार्थवश अपने छल व बल के द्वारा अन्य मनुष्यों, समूहों व राष्ट्रों की स्वतन्त्रता का अधिग्रहण करते हैं। यह कार्य प्रतिदिन किसी-न-किसी रूप में चलता रहता है। परन्तु जहाँ कहीं पर स्वतन्त्रता का हनन होता है तो उस स्वतन्त्रता की पुनः प्राप्ति के लिए प्रयास, संघर्ष भी शुरू हो जाता है, जो स्वतन्त्रता की पुनः प्राप्ति तक निरन्तर चलता रहता है। स्वतन्त्रता की पुनः प्राप्ति कितने समय में होगी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि स्वतन्त्रता का हरण करने वालों और स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए प्रयास-संघर्ष करने वालों का साहस, सामर्थ्य कितना है।
हमारे देश में विदेशी लोगों द्वारा हमारी स्वतन्त्रता के हनन का कार्य ग्यारहवीं सदी में ही शुरू हो गया था, जो बीसवीं सदी के सन् 1947 तक चला। पहले यह कार्य मुगलों द्वारा और बाद में अंग्रेजों द्वारा किया गया। भारतीय अपनी स्वतन्त्रता की पुनः प्राप्ति के लिए इस लबे काल में निरन्तर संघर्ष करते रहे। ऐसे लोगों में महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, गुरु गोविन्दसिंह आदि मुगलकाल में प्रमुख थे। बाद में अंग्रेजों के काल में सन् 1857 से 1947 तक महारानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, नाना साहब, मंगल पाण्डे, महात्मा गांधी, सुभाषचन्द्र बोस, चन्द्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, भगतसिंह आदि अनेक लोगों ने स्वतन्त्रता की पुनः प्राप्ति के लिए संघर्ष किया व बलिदान दिया। इस कार्य में महर्षि दयानन्द द्वारा मार्गदर्शन का भी विशेष महत्त्व है। नौ सदियों के लबे संघर्ष व बलिदानों के बाद अन्त में 15 अगस्त सन् 1947 को इस देश के लोगों ने अपनी अपहृत स्वतन्त्रता को पुनः प्राप्त किया। इसीलिए 15 अगस्त को स्वतन्त्रता दिवस बड़े उत्साह से समारोहपूर्वक पूरे राष्ट्र द्वारा मनाया जाता है। इस प्रकार स्वतन्त्रता दिवस का बहुत ज्यादा महत्त्व है। स्वतन्त्रता छिन जाने के बाद ही स्वतन्त्रता के महत्त्व का अहसास होता है। इसलिए यह अति आवश्यक है कि हम स्वतन्त्रता के महत्त्व को समझें और स्वतन्त्रता दिवस पर सभी लोग मिलकर विशेष आयोजन करें। फिर से हमारी स्वतन्त्रता का कोई अपहरण न कर सके, इसके लिए निरन्तर उपाय व प्रयास करते रहें, यह अतिआवश्यक है।
एम.एल.-35, एलडिको मैनसन, सैक्टर-48, गुड़गाँव-122018 (हरियाणा)