हिन्दू शब्द का अर्थ – अरबी – फ़ारसी – लिपियों – व्याख्याकारों के संग्रह से –
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हिन्दू दर मुहावरा फारसियां ब मअने दुज़दो रहज़नों ग़ुलाम मे आयद।
अर्थ – हिन्दू शब्द फ़ारसी भाषा के अनुसार
चोर,
डाकू,
रहजन (मार्ग का लुटेरा)
और
ग़ुलाम (दास, बंदी)
के अर्थो में आता है
सन्दर्भ – ग़यास – ग़यास नामी कोष
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हिन्दू बकसर ग़ुलाम व बन्दह, काफ़िर व तेरा।
अर्थ : हिन्दू का अर्थ ग़ुलाम, कैदी, काफ़िर और तलवार है।
सन्दर्भ – कशफ – कशफ नामी कोष
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चे हिन्दू हिंदुए काफ़िर चे काफ़िर, काफ़िर रहजन।
चे रहज़न रहज़ने ईमान
अर्थ :
हिन्दू क्या है ?
हिन्दू काफ़िर है।
काफ़िर क्या है ?
काफ़िर रहज़न है।
रहज़न क्या है ?
रहज़न ईमान पर डाका मारने वाला है।
(सन्दर्भ – चमन बेनज़ीर)
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क्या अभी भी अपने को हिन्दू कहोगे ?
नोट : पोस्ट पर बेतुकी और व्यर्थ चर्चा – तथा भद्दी भद्दी गालियां देने से पूर्व सोच ले की आप स्वयं अपने को “हिन्दू” गर्व से कहकर – खुद ही अपने पर पड़ी गाली को गर्वान्वित करते हो –
कृपया असभ्य चर्चा न करे –
मेरे पास १०० से भी ऊपर प्रमाण हैं – हिन्दू शब्द के अर्थ के – इसलिए कुतर्क करने से अच्छा है – सत्य को जाने –
वेदो में ईश्वर पुत्र “आर्य” हैं – और कुछ नहीं तो कम से कम अपने पुरखो को तो हिन्दू कहकर अपमानित न करे –
OM..
ARYAVAR, NAMASTE..
AAPKAA LEKH BAHUT HI ROCHAK AUR VUDDHIVARDHAK HOTE HAIN..
NAVIN JAANKAARI DETE RAHIYE AAP KAA SAADHUVAAD..
LEKIN HINDU SHABD TYAGNE SE AUR BAHUT SAMASHYAA UTPANNA HOGI JAISE HINDI, HINDUSTAAN, HIND MAHASHAGAR, AADI ISKAA SAMAADHAAN KIJIEGAA
DHANYAVAAD..
namaste ji….
ji bilkul ji ham aage is par article daalne ki koshish karenge
Sir ji mujhe aapka contact no. Chahiye taki me aapse or sari jankari hasil kar saku
mail kijiye
Ha sir bilkul kuch kariye nhi to ye poltics log apne India logo hindu dharm ke andhvisawas se vote pate rehnge aur Jeet te rehnge logo tak aali sachai aane nhi dete ye politicians
Mahoday sayad tum ye bhul rahe hoki devyug se ak hi dharm chala aa rha vo bhi kewal sanatan dharm jisme Hindu hona vyakti ka pahla dharm ha
Hindi ek Persian wokd hai
Ham sab Sanataniyon ka nam “AArya” hai
hamare dharm granthon ramayan mahabharat sabhee men hamen aarya hee kaha gaya hai
Ek dum sahi baat Hai
सबसे पहले तो हिन्दू koi नहीं हे हमारा धर्म सत्य सनातन धर्म हे और जो जात पात करते हे बो ही हमारे धर्म के दुश्मन हे चाहे बो अभि बने हुए बिरहमन छत्रिये sc st koi bhi हो ये सभी अगर एक दूसरे को दुश्मन मानेगे तो निस्चय ही कोई दूसरा ही राज्य करेगा… जागो और धर्म कि इस्थापना के लिये आपस में लड़ना बंद करो सेर्ष्ठ कोई जाति से नहीं कर्मो से होता हे जो दूसरे के पिरति गिरणा भाब रखता हे असल में बोहि दैत्य हे और जो सबको सामान माने बो ही देवता
Hindu nhi apno ko sanatni khna hai Jai Shri ram
inhone kah diya to Hindu word ek gaali ho gai, kal inhi jaise logon ne kaha tha to hamare liye Indian bhi ek gaali ho gai thi, kal ko yahi log Sanatan ko bhi ek gaali bolne lagenge, me aapse ye jajna chahta hu tab aap or ham apne aap ko kya kahenge
थोड़ा सा और पढ़ो सनातन शब्द संज्ञा शब्द नही है जिससे किसी का नाम होता है, सनातन शब्द विशेषण शब्द है जो गुण को बताता है।
Bahut hi Sahi baat bola hai bhai Aapne
हिंदू शब्द के अर्थ से हिंद अलग है, हिंदी अलग है ठीक इसी तरह इंडिया की फर्जी स्वतंत्रता की कहानियों के बाद हिन्दुस्तान कहा गया है, लेकिन स्वतंत्रता के पूर्व हिंदोस्तां, indostan ही लिखा गया है। जैसे – सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा।
A history of the military transactions of the British nation in INDOSTAN book और पुराने नक्शे भी देख सकते हैं।
🙏🙏
हिन्दू” शब्द की खोज
* “हीनं दुष्यति इति हिन्दूः” से हुई है।
* अर्थात जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं।
* हिन्दू शब्द करोड़ों वर्ष प्राचीन संस्कृत शब्द से है।
यदि संस्कृत के इस शब्द का सन्धि विछेदन करें तो पायेंगे ….
* हीन + दू = हीन भावना + से दूर
* अर्थात : जो हीन भावना या दुर्भावना से दूर रहे और मुक्त रहे, वो हिन्दू है !
* हिन्दू शब्द की वेद से ही उत्पत्ति है।
* हमारे ” वेदों ” और ” पुराणों ” में हिन्दू शब्द का उल्लेख मिलता है।
“ऋग्वेद” के ” ब्रहस्पति अग्यम ” में हिन्दू शब्द का उल्लेख इस प्रकार आया हैं :-
* हिमालयं समारभ्य, यावद् इन्दुसरोवरं ।
* तं देवनिर्मितं देशं, हिन्दुस्थानं प्रचक्षते ।
अर्थात : हिमालय से इंदु सरोवर तक , देव निर्मित देश को हिंदुस्तान कहते हैं !
*केवल वेद ही नहीं, बल्कि ” शैव ” ग्रन्थ में भी हिन्दू शब्द का उल्लेख इस प्रकार किया गया है।
” हीनं च दूष्यतेव् हिन्दुरित्युच्च ते प्रिये।”
अर्थात : जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं !*
इससे मिलता जुलता लगभग यही श्लोक “कल्पद्रुम” में भी दोहराया गया है:-
” हीनं दुष्यति इति हिन्दूः ।”
अर्थात : जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं ।
” पारिजात हरण ” में हिन्दू को कुछ इस प्रकार कहा गया है :-
” हिनस्ति तपसा पापां दैहिकां दुष्टं ।
हेतिभिः श्त्रुवर्गं च स हिन्दुर्भिधियते ।”
अर्थात :- जो अपने तप से शत्रुओं का , दुष्टों का , और पाप का नाश कर देता है, वही हिन्दू है।
” माधव दिग्विजय ” में भी हिन्दू शब्द को कुछ इस प्रकार उल्लेखित किया गया है :-
“ ओंकारमन्त्रमूलाढ्य पुनर्जन्म द्रढ़ाश्य: ।
गौभक्तो भारत: गरुर्हिन्दुर्हिंसन दूषकः ।”
अर्थात : वो जो ” ओमकार ” को ईश्वरीय धुन माने, कर्मों पर विश्वास करे, गौ-पालक रहे तथा बुराइयों को दूर रखे, वो हिन्दू है !
बुराइयों को दूर करने के लिए सतत प्रयासरत रहने वाले और सनातन धर्म के पोषक व पालन करने वाले हिन्दू हैं । * हिनस्तु दुरिताम *
जनमानस को अवशय अवगत कराएं जिससे सत्य सनातन धर्म से परिचित होकर स्वयं को गौरवान्वित महसूस करें। ” गर्व से कहो हम हिन्दू हैं। “
Salman ye kya allha ne bataya tumhen
“हिन्दू” शब्द की खोज
* “हीनं दुष्यति इति हिन्दूः” से हुई है।”
तन्त्रग्रन्थ, ‘मेरुतन्त्र’ में इसका उल्लेख पाया जाता है। इसका सन्दर्भ निम्नांकित है-
पंचखाना सप्तमीरा नव साहा महाबला:।
हिन्दूधर्मप्रलोप्तारो जायन्ते चक्रवर्तिन:।।
हीनं दूशयत्येव हिन्दुरित्युच्यते प्रिये।
पूर्वाम्नाये नवशतां षडशीति: प्रकीर्तिता:।।[1]
उपर्युक्त सन्दर्भ में ‘हिन्दू’ शब्द की जो व्युत्पत्ति दी गई है, वह है ‘हीनं दूषयति स हिन्दू’ अर्थात् जो हीन (हीनता अथवा नीचता) को दूषित समझता (उसका त्याग करता) है, वह हिन्दू है।
आसिन्धो: सिन्धुपर्यन्ता यस्य भारतभूमिका।
पितृभू: पृण्यभूश्चैव स वै हिन्दुरिति स्मृत:।।
अर्थात् “सिन्धु नदी के उदगम स्थान से लेकर सिन्धु (हिन्द महासागर) तक सम्पूर्ण भारत भूमि जिसकी पितृभू (अथवा मातृभूमि) तथा पुण्यभू (पवित्र भूमि) है, वह ‘हिन्दू’ कहलाता है (और उसका धर्म ‘हिन्दुत्व’)।
मेरे बंधू | जो प्रमाणिक ग्रन्थ है उसमे से हमें दिखाए तन्त्रग्रन्थ, ‘मेरुतन्त्र’ इत्यादि को कोई नहीं जानता | बहुत कोई संग्राम पुराण इत्यादि की जानकारी देते हैं बहुत कोई ताओ उपनिषद से कोई अल्लोप्निषद की बात करता है कोई साईं पुराण की बात करता है तो क्या स्वीकार कर लेना चाहिए ? हमें गीता रामायण 18 पुराण उपनिषद जो मान्य है वेद महाभारत इत्यादि में hindu सब्द दिखाए | महाभारत और गीता ५००० पुराना है उसी में चलो hindu सब्द दिखा दें | और सब को मैं प्रमाण में नहीं मान सकता | उनमे hindu सब्द दिखाए आपका जवाब की प्रतीक्षा में | धन्यवाद |
BILKUL SAHI JAVAB HAI AMIT JI
Satya kathan
शानदार गजब का कटाक्ष
saty knha aapne.amit ji
Madan ji aapne sahi kaha in bewkuffo ko farsi kitab parmanik lag raha hai bahut bare bekuf hai acha hoga ki ramayan or mahabharat se v agar dikha sakhe to or acha rhe ga
ramayan Mahabharat men hindu shabd kahan ahi bandhu jara hamara bhee gyan vardhan Karen
रामायण या महाभारत में ,वेद में कही हिंदु शब्द नही लिखा है
22) स्वतंत्रता के बाद किसी ने ‘- शब्द कोश व भारतीय संस्कृति को संभालने की कोशीष ही नहीं की – शब्द कोषों में साफ लिखा है कि -हिन्द -हिंदी -हिन्दू -हिन्दुस्थान आदि फारसी -शब्द है ।
शब्दकोषों में रामकृष्ण वर्मा 1950 के शब्द कोष के पेज 1193 । डाॅ. हरदेव बाहरी के शब्द संस्करण 2008 के पेज 878-879 देखे।
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हिंदुस्तान -पुं ० [फा ० हिन्दोस्तान ]१.
भारतवर्ष ।२.दिल्ली से पटने तक का
भारत का उतरीय और मध्य भाग ।
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हिन्दू -पुं ० [फा०] [भाव० हिन्दूपन ,हिंदुत्व ]
भारतीय आर्यों के वर्तमान भारतीय
वंशज जो वेदों ,स्मृति ,पुराण आदि को
अपने धर्म-ग्रन्थ मानते हैं |(
(संसार में सभी जातियों के वंशज उसी जाति के हैं। भारत में आर्यों के वंशज हिन्दू –मुसलमान क्यों?
मुसलमान लोग, वेद, पुराण, उपनिषद, स्मृति आदि ग्रंथों को नहीं मानते हैं और ये धर्म को भी नही मानते हैं। हिन्दुस्तान को अपना मातृ भूमि भी नही मानते हैं। ये तो हिंदू/सनातनी को सिर्फ़ काफिर ही मानते हैं।
हिन्दू शब्द फारसी है ,डॉ हरदेव बाहरी ,रामकृष्ण वर्मा आदि के शब्द कोष कहते है
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हिन्दू शब्द के बारे में >
फारस में लेखक हमारे लेखक कहते है>
इस शब्द का तात्पर्य ‘दास’ है और इस्लाम के अनुसार वो सारे लोग जिन्होंने इस्लाम को नहीं अपनाया था उनको दास बना दिया गया।
आगे ‘काला’ और ‘दास’ संकलन में फारसी और उर्दू भाषा के शब्द कोष यह वर्णन करते है कि यह अर्थहीन और घ्रणित ‘हिन्दू’ शब्द का अर्थ है- फारसी भाषा का शब्दकोष – ल्युजत-ए-किशवारी, लखनऊ 1964, चोर, डाकू, राहजन, गुलाम, दास। उर्दू फिरोजउल लजत-प्रथम भाग पृ. 615, तुर्की चोर, राहजन, लूटेरा: फारसी गुलाम, दास, बारदा (आज्ञाकारी नौकर), शियाकाम (काला) पेज 376 भार्गव शब्द कोष बारवां संकलन 1965 भी देखे)
परसियन – पंजाबी (डिक्सनरी) शब्द कोश (पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला) भारतीय उपमहाद्वीप के निवासी, डाकू, राहजन, चोर, दास, काला, आलसी।
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हिन्दू का अर्थ अपमानजनक है, खुद देखो >तत्कालीन मंत्री डॉ नज़माहेपतुल्ला29 अगस्त 2014
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सभी जातियों के वंशज उसी जाति के हैं। भारत में आर्यों के वंशज हिन्दू –मुसलमान क्यों?
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हमारे शब्द कोष कहते है
आर्यों के वंशज हिन्दू,
आर्यों के वंशज तो आर्य ही होंगे
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हिन्दू शब्द फारसी है इसका अर्थ फारसी शब्द कोषों में गुलाम ,चोर ,लुटेरा आदि बताया है
भगवान प्रजापति ,ब्रह्माण्ड गुरु ,
अधिष्ठाता >प्रकृति शक्ति पीठ ,आर्यावर्त भारत >7737957772
Ye Farsi bhasha kya hamara vajood tay karegi, is faarsi bhasha ne kin kin Jatiyon ka vajood likha hai jo ise, aap sarvopari mana rahe ho , Hindu ka Hindi me arth batao na, Ye Farsi bhasha muslimon ki hai jo aaj se nahi Jab se ye paida hue hain tabhi se shadyantr rach rahe hain Bharat ke khilaf, ye madarchod jis thali me khate hain usi me thook dete hain, inke Shabdkosh par aapko vishvas hai
ओ३म्..
मदन जी, नमस्ते..!
आपने अपना नाम के पीछे ‘चतुर्वेदी’ तो लटकाए किन्तु आपका एकभी बात वेद सम्मत नहीं है..क्यूँ? एक बात की प्रमाण यहाँ दीजिए की श्रीराम और श्रीकृष्ण लगायत हमारी समस्त महापुरुष एवं रिषिमुनी हिन्दू थे ।
धन्यवाद..!
Sir you are Chaturvedi, we woud expect a reply from you buy quoting 4 Vedas, select any one.
Many thanks.
Unhone to kbhi nhi bola ki mai Hindu hu 🤔fir aap kaise jbrdsti ki thopa thapi kr skte h unn pr 🤷♂️
सम्प्रदाय वालो द्वारा लिखी किताबे पूर्णतः परित्याग योग्य है , सनातन धर्म का आधार चार वेद मात्र है , 11 उपनिषद वेद व्याख्या करते है ,६ दर्शन ,अतः १८ पुराण सनातन धर्म के आधार नही है i इस बिंदु पर विचार करना चाहिए कि पहले सनातन धर्म आया या संप्रदाय i
तंत्रग्रंथ, मेरूतंत्र ये सब नए उत्पन्न हुए हैं
अफ़सोस यही है कि आप जेसे विद्वानों की नज़रों से आठवीं शती से पूर्व का गृन्थ मेरुतंत्र ,भविष्य पुराण, मेदनी कोष,हेमन्त कोषी कोष ,राम कोष,कालिका पुराण, शब्द कल्पद्रुम ,बृहस्पति आगम ,अद्भुत कोष नही गुजरे ।
इन गृन्थों का उल्लेख इसलिए आवश्यक है कि इनमे ” हिन्दू” शब्द की प्राचीनता की झलक मिलती है ।
बृहस्पति आगम में भारत की सीमा निर्धारित करते हुए कहा गया है !
हिमालयं समारस्य यावादिन्दुसरोवरम् !
तं देव निर्मितं देशं हिदुस्थानं प्रचक्षते !!
इतिहास वेत्ता यह जानते होंगे जिस समय भारत में बुद्ध हुए उसी समय चीन में महान दार्शनिक कन्फ़्युशियस भी हुए तथा उनसे भी पहले के फारस देश के जरथुष्ट्र को शास्तार्थ में महर्षि व्यास ने पराजित किया था -उनके ही धर्म गृन्थ के 163 वें आयत में लिखा है –
” अकनु विर हमने व्यास नाम अज हिन्द आमद दाना कि अकल चुनानेस्त वृं व्यास हिन्दी वलख आमद ,गस्ताशप जरतस्त रख ,ख्वानंद मन मरदे अम हिन्दी निजात व हिन्दुवा जगस्त”
उपर्युक्त प्रमाण में भारत देश का नाम हिन्दू और हिन्दी शब्द का व्यवहार साहित्य में प्राचीन काल से होता आया है ।
इसके अतिरिक्त पौराणिक साहित्य एवं तंत्र गृन्थों आदि में भी प्रचुरता से हिन्दू शब्द अनेक स्थलों में विद्यमान है जैसे –
हिन्दू धर्म प्रलोप्तारो जायन्ते चक्रवर्तिन : !
हीनं च दुशयत्येव हिन्दूरित्युच्यते प्रिये !!
( मेरुतंत्र प्रकाश )
हिनस्ति तपसा पापान देहिकान् दुष्टमानसान !
हेतिभिः शत्रु वर्गं च स हिन्दुर भिधीयते !!
( पारिजात हरण )
यवन रैवनिः क्रांता हिन्दवो विन्ध्य्माविशन् !!
( शांग्धर पद्दति /कालिका पुराण)
हीनं दूषयति इति हिन्दू: !! ( शब्द कल्पद्रुम कोष)
ओंकार मूल मंत्राद्यः पुनर्जन्म दृढ़ाशयः !
गो भक्तो भारत गुरु हिन्दुर्हिसन दूषकः !!
( माधव दिग्विजय )
हिंसया दूयते यश्च सदाचरण तत्परः !
वेद गोप्रतिमासेवी स हिन्दूमुख शब्द भाक् !!
( वृद्ध स्मृति )
हिन्दुर्हिंदुश्च हिन्दवः !!
( मेदनी कोष )
कहा कहा से नया नया ग्रन्थ की उत्पत्ति कर रहे हैं महाशय ? जैसे मुस्लिम संग्राम पुराण की उद्धरण देते हैं जबकि है ही नहीं पुराण वो बाजार में उसी प्रकार वृद्ध स्नृति सब कहा से ले आये कालिका पुराण कहा से ले आये | किसी ने कुछ लिख दिया उसे हम स्वीकार नहीं करते | ५००० साल पहले महाभारत आया है उसी में hindu सब्द दिखा दें गीता में दिखा दें …. रामायण सब तो लाखो वर्ष पहले की बात है गीता महाभारत में ही दिखा दें या जो 18 प्रमाणिक पुराण है उससे हमें दिखा देना | आपका जवाब की प्रतीक्षा में | धन्यवाद |
bhai mujhe sahi ramayan v gita chahiye jo sabse purana ho wahi satya hoga
is samsya ko mere dur karo
वाल्मीकि रामायण सही है प्रमाणिक है चन्द्रमणि की टिका की हुई रामायण पढिये
आपने जो ग्रंथ बताए हैये प्रमाणित नहीं है >प्रमाणित शास्त्रो में हिन्दू शब्द नहीं है ये झूठे तथ्य देकर आप इस्लाम के भय से ग्रसित है >
सत्य -सदियों-धूल-पत्थरों से दबा रहकर भी बाहर आ जाता है।
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(1) पूज्य गुरू गोविन्द सिंह, पूज्य छत्रपति शिवाजी महान आदि कई राजा-महाराजाओं महामानवों ने हिन्दूओं को बचाया यह परम सत्य है। परन्तु वो हिन्दू कौन थे? कहां से आये? क्या करते थे? हिन्दू शब्द किस भाषा का है? हिन्दू का शाब्दिक अर्थ क्या है?
(2) जबकि सत्य यह है कि भारतीय भू-भाग में तो देव-सुर आर्य रहते थे। आर्यो का साम्राज्य था। यह वैदिक सनातन, ऐतिहासिक सत्य हैं। उन आर्यों का क्या हुआ? वो आर्य कहां गये? वो जहां से आये वहां चले गये या यही मर खप गये? या हिन्दूओं ने उन्हें खदेड़ दिया? अब भारतीय भू-भाग पर ‘आर्य संस्कृति’ के आर्य नहीं है। बल्कि ‘आर्य समाज’ नाम की 179 वर्ष पुरानी एक संस्था है जिसके सदस्य स्वयंभू अहंकारी है जो अपने आप को आर्य कहते हैं परन्तु इस्लाम से प्रभावित है तथा हिन्दुत्व का काम करते हैं और जब चाहे तब आर्य संस्कृति-सनातन धर्म के तीर्थ स्थलों व पूजा – पद्धति की निन्दा कर देते है। राम के वंशज पूज्य गुरु नानक देवजी की भी निन्दा की है –
(3) यह भी ऐतिहासिक सत्य है कि विदेशी, इस्लामी, आक्रांताओं ने भारतीय भू-भाग के आर्यों को, द्रविड़ों को मुसलमान व हिन्दू बनाया।
(4) यह भी ऐतिहासिक सत्य है जो आर्य कमजोर थे। वे इस्लामी शासकों के अत्याचार सह नहीं सके और उन्होंने इस्लाम धर्म स्वीकार किया व मुसलमान बन गये। जो बहादूर शासक थे वे इस्लामी शासकों के हिन्दू बने, नौकर बने यानि गुलाम बने, परन्तु धर्म परिवर्तन नहीं किया।
(5) यह भी सत्य है कि बचे हुए हिन्दूओं को भी जब इस्लामी शासकों ने मुसलमान बनाने का जबरदस्ती प्रयास किया तो हमारे पूर्वज महामानवों ने हिन्दूओं को बचाया। यानि उस समय वे हिन्दूओं को नहीं बचाते तो आज सभी मुसलमान हो जाते और भारतवर्ष वास्तव में हिन्दुस्तान हो जाता। इसी पर आधारित है ये हमारा सत्य से सत्य की खोज का प्रार्थना पत्र है – कृपया इसे पढ़ने का तो अवश्य ही कष्ट करें।
(6) ॐ-ईश्वर रचित सृश्टि उत्पति से, ॐ-ईश्वर रचित –
सतयुग से सनातन के- ईष्वर रचित वेदों व सनातन धर्म के किसी भी प्रमाणित शास्त्र में ‘‘हिदू’’ शब्द नहीं है !
———————————————————————————7) ४ -चारों वेदों -में -नहीं है – शब्दहिन्दू’ !!
१-ऋग्वेद २-यजुर्वेद ३- सामवेद ४- अथर्ववेद
(8) ४-चारों उपवेदों -में -नहीं है -शब्द ‘हिन्दूू’
१- आयुर्वेद २- धनुर्वेद ३- गन्धर्ववेद ४-अर्थवेद
(9) ६ – छ: दर्षन शास्त्रों-में -नहीं है -शब्द ‘हिन्दू ’।
१-मीमांसा दर्षन – जैमिनी २-साख्य दर्शन – कपिल
३-न्याय दर्शन – गौतम ४-विषेशिक -वाद
५-योग दर्शन —पतंजलि ६-वेदांत दर्शन —वेदव्यास
(10) ६- छ -अंग में -में -नहीं है शब्द ‘हिन्दू’!
१- षिक्षा २- कल्प ३-व्याकरण ४- सिरुक्त ५-छंद ६-ज्योतिश
(11) ४- चार ब्राह्मण ग्रंथों में नहीं है -शब्दहिन्दू’-!!!
१ षतपथ ब्राह्मण २ऐतरेय ब्राह्मण ३ ताण्डय ब्राह्मण ४ गोपथ ब्राह्मण
(12) १०३- उपनिशदों में से- तेरह -का महत्त्व है पर ग्यारह ही ज्यादा महत्त्व रखते है।-बाकी के दो का भी विषेश स्थान है में -नहीं है -शब्द ‘हिन्दू ’-!!!
१-ईसोपनिषद २-केनोपनिषद ३- कठपनिषद ४-प्रष्नोपनिषद
५-मुण्डकोपनिषद ६-एतरेयोपनिशद ७- मांडूक्योपनिशद
८- छान्दोग्योपनिषद ९- तैतिरीयोपनिषद १०-वृहदोपनिषद
११-मैत्रायणी -आख्योपनिषद १२-श्वेतास्वर १३ कोशीतकि
(13)गीता – मनुस्मृति को मान्य शास्त्रों में माना हैं -नहीं है -शब्दहिन्दू’!
(14) वाल्मीकी रामायण में नहीं है शब्द‘हिन्दू’!!!
(15) महाभारत – तुलसी -रामायण में नहीं है -शब्द ‘हिन्दू ’-!!!
(16) हमारी देव भाषा संस्कृत व देवनागरी में नहीं है -शब्द ‘हिन्दू ’!!!
(17) हम यदि पुराणों की बात भी करे तो उसमें भी हिन्दू शब्द नहीं है। परन्तु पुराणों में वैज्ञानिक रहस्य छुपा हुआ है उसको हमने समझा है।
(18) आप -हम साहित्य, पुस्तकें -उपन्यास -कहानिया में जो लिखेंगे वे आपके- हमारे विचार है – उसको सनातन धर्म आर्य-संस्कृति मान्यता नहीं देती । सही और गलत का फैसला तथाकथित हर किसी के लिखने से नहीं -अपितु हमारे मान्य वेद-उपनिषद आदि से होता है।
(19) वैसे आप लाला लाजपतराय से बड़े हो तो और बात है -उन्होंने भी १८९८ में कहा था कि -हिन्दू शब्द भारतीय आर्यों को इस्लामिक आक्रंताओ ने जबरदस्ती थोपा है । जिसका अर्थ -गुलाम -चोर आदि ही है । हिन्दू शब्द का अर्थ क्या है?
उत्तर: हिन्दू का अर्थ है-लाला लाजपत राय ने अपने परिचय में – महर्षि दयानन्द के लाहौर 1898 के परिचय के बारे में कहा: लेखक के अनुसार कुछ लोग कहते है कि हिन्दू है जो कि सिन्धु का बिगड़ा हुआ नाम है लेकिन यह गलत है। परन्तु सिन्धु एक नदी का नाम है। किसी समुदाय का नाम नहीं है । यह सही है कि यह नाम असली आर्यन जाति को दिया गया है जो कि इस क्षेत्र में मुस्लिम आक्रान्ताओं द्वारा अपमानित करने के लिए इस नाम से पुकारी जाती थी। फारस में लेखक हमारे लेखक कहते है इस शब्द का तात्पर्य ‘दास’ है और इस्लाम के अनुसार वो सारे लोग जिन्होंने इस्लाम को नहीं अपनाया था उनको दास बना दिया गया।
(20)हिन्दू शब्द -९९७ ईं में महमूद गजनवीने पहला डाका डाला था। गजनवी ने २७ डाकेभारत में डाले थे -के साथ व बाद के आक्रान्ताओ ने भारतीय भू -भाग के सनातन आर्यों को- जैनों -बोद्धो को गाजर -मूली की तरह काटा था और हिन्दू / गुलाम, मुसलमान बनाये। ये ही सत्य है ।
(21) सदियों वर्षों की इस्लामी गुलामी में हमारे पूर्वज अपनी पहचान भूल गए – फिर इंगलिश गुलामी में रहते 2 तो सब कुछ-बदल गया, क्योंकि हिन्दू -मुस्लिम एक्ट अंग्रेजों ने जो बना दिया ।
मैं बस यही प्रतीक्षा कर रहा था कि अब तो भगवान स्वयं प्रकट हो तभी इस समस्या और वाद-विवाद का समाधान मिल सकेगा भाई भगवान प्रजापति आपकी बड़ी अनुकंपा और ऐसे सटीक उदाहरणों से आपने अपनी बात रखी है जो सुप्रीम कोर्ट के जज भी इनकार नहीं कर सकते आपको बहुत-बहुत साधुवाद सप्रेम नमन और चरण स्पर्श.
मार्कंड दवे
नडियाद गुजरात
8वीं सदी मे ये ग्रंथ होते तो आदि शंकराचार्य ने जब 788 ई -832 ई मे सनातन धर्म का पुनरुद्धार किया था तब ये विवरण आता
क्यो झूठ बोलकर इस्लाम के भक्त बन रहे हो और अपनी सनातन संस्कृति के साथ गद्दारी कर रहे हो >जब संस्कृत कहती है हमारा शब्द नहीं है ,>हमारे प्रमाणित शास्त्रों मे नहीं है तो फिर ये 17वीं सदी की झूठी पुस्तकों का हवाला देना तो ये ही दर्शाता है >>इस्लाम के अब भी पुजारी हो >
देखो अकाट्य प्रमाण >इन प्रमाणो का कहीं तोड़ नहीं है >हाँ यदि कोई गद्दार है तो इसे स्वीकार नहीं करेगा >>>>>>>
हिन्दू शब्द फारसी है ,डॉ हरदेव बाहरी ,रामकृष्ण वर्मा आदि के शब्द कोष कहते है
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हिन्दू शब्द के बारे में >
फारस में लेखक हमारे लेखक कहते है>
इस शब्द का तात्पर्य ‘दास’ है और इस्लाम के अनुसार वो सारे लोग जिन्होंने इस्लाम को नहीं अपनाया था उनको दास बना दिया गया।
आगे ‘काला’ और ‘दास’ संकलन में फारसी और उर्दू भाषा के शब्द कोष यह वर्णन करते है कि यह अर्थहीन और घ्रणित ‘हिन्दू’ शब्द का अर्थ है- फारसी भाषा का शब्दकोष – ल्युजत-ए-किशवारी, लखनऊ 1964, चोर, डाकू, राहजन, गुलाम, दास। उर्दू फिरोजउल लजत-प्रथम भाग पृ. 615, तुर्की चोर, राहजन, लूटेरा: फारसी गुलाम, दास, बारदा (आज्ञाकारी नौकर), शियाकाम (काला) पेज 376 भार्गव शब्द कोष बारवां संकलन 1965 भी देखे)
परसियन – पंजाबी (डिक्सनरी) शब्द कोश (पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला) भारतीय उपमहाद्वीप के निवासी, डाकू, राहजन, चोर, दास, काला, आलसी।
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हिन्दू का अर्थ अपमानजनक है, खुद देखो >तत्कालीन मंत्री डॉ नज़माहेपतुल्ला29 अगस्त 2014
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सभी जातियों के वंशज उसी जाति के हैं। भारत में आर्यों के वंशज हिन्दू –मुसलमान क्यों?
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हमारे शब्द कोष कहते है
आर्यों के वंशज हिन्दू,
आर्यों के वंशज तो आर्य ही होंगे
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हिन्दू शब्द फारसी है इसका अर्थ फारसी शब्द कोषों में गुलाम ,चोर ,लुटेरा आदि बताया है
भगवान प्रजापति ,ब्रह्माण्ड गुरु ,
अधिष्ठाता >प्रकृति शक्ति पीठ ,आर्यावर्त भारत >7737957772
सत्य वचन ।>>>>>>>
हिन्दू शब्द फारसी है ,डॉ हरदेव बाहरी ,रामकृष्ण वर्मा आदि के शब्द कोष कहते है
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हिन्दू शब्द के बारे में >
फारस में लेखक हमारे लेखक कहते है>
इस शब्द का तात्पर्य ‘दास’ है और इस्लाम के अनुसार वो सारे लोग जिन्होंने इस्लाम को नहीं अपनाया था उनको दास बना दिया गया।
आगे ‘काला’ और ‘दास’ संकलन में फारसी और उर्दू भाषा के शब्द कोष यह वर्णन करते है कि यह अर्थहीन और घ्रणित ‘हिन्दू’ शब्द का अर्थ है- फारसी भाषा का शब्दकोष – ल्युजत-ए-किशवारी, लखनऊ 1964, चोर, डाकू, राहजन, गुलाम, दास। उर्दू फिरोजउल लजत-प्रथम भाग पृ. 615, तुर्की चोर, राहजन, लूटेरा: फारसी गुलाम, दास, बारदा (आज्ञाकारी नौकर), शियाकाम (काला) पेज 376 भार्गव शब्द कोष बारवां संकलन 1965 भी देखे)
परसियन – पंजाबी (डिक्सनरी) शब्द कोश (पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला) भारतीय उपमहाद्वीप के निवासी, डाकू, राहजन, चोर, दास, काला, आलसी।
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हिन्दू का अर्थ अपमानजनक है, खुद देखो >तत्कालीन मंत्री डॉ नज़माहेपतुल्ला29 अगस्त 2014
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सभी जातियों के वंशज उसी जाति के हैं। भारत में आर्यों के वंशज हिन्दू –मुसलमान क्यों?
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हमारे शब्द कोष कहते है
आर्यों के वंशज हिन्दू,
आर्यों के वंशज तो आर्य ही होंगे
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हिन्दू शब्द फारसी है इसका अर्थ फारसी शब्द कोषों में गुलाम ,चोर ,लुटेरा आदि बताया है
भगवान प्रजापति ,ब्रह्माण्ड गुरु ,
अधिष्ठाता >प्रकृति शक्ति पीठ ,आर्यावर्त भारत >7737957772
मान्यवर बाकी किताबों को तो मानने का सवाल ही पैदा नहीं होता…और रही बात बृहस्पति आगम की,तो एक बार पुनः देखें उस श्लोक को,वहां इंदुस्थानम का ज़िक्र है,ना कि हिन्दूस्थानम्…धन्यवाद
मदन जी आप आठवीं सदी के ग्रंथ की बात करते हैं , जो आपकी नजर में आया, लेकिन बड़े दुर्भाग्य की बात है कि आप जैसे ज्ञानी पुरुष और प्रकाण्ड विद्वान की नजरों में 5000वर्ष पूर्व का ग्रंथ गीता, वेद, महाभारत, रामायण आदि नहीं आया, जिसमें हिन्दू शब्द का उल्लेख कहीं नहीं है।धन्य हो यूरेशियन लूटेरे।
5000 वर्ष पूर्व वेद के लिए न कहें क्यूंकि ये मानव की उत्पति से है
आपको इन मुसलमानों के ग्रंथों का संदर्भ तो प्रमाणिक लगा किंतु अपने ग्रंथ आपके द्वारा नहीं देखे जा सकते अफसोस उसी का है
जनाब हाँ खोजबीन कर ही कुछ लेख डालते हैं १८ पुराण से रामायण गीता महाभारत से ही hindu सब्द दिखा दें जो प्रमाणिक हैं |
मैं तो अबोध बालक हूं, धर्म ज्ञान के बारे में अधिक जानकारी नहीं है। लेकिन अपनी 23 वर्ष आयु में इतना ही समझ सका हूं कि हिन्दू या आर्य या जो भी हैं वो कई हिस्सों में बांटे हुए प्रतीत होते है जैसे आरएसएस की परिभाषा अलग है इसलिए बहुत बदी जनसंख्या उनका अनुसरण करती हैं, लेकिन दूसरी ओर आर्यसमाज है हिंदुत्व की परिभाषा का कुछ और व्याख्यान करते हैं और इनकी ओर भी बहुत बड़ी जनसंख्या किसी उम्मीद में बेठी है।
अगर आर्यसमाजी और आरएसएस आपस में तालमेल आज ही बना ले तो भारत की एकता बनीं रहेगी। वरना आपका हमारा और यहां की संसकृति का विनाश निश्चित दिखता है।
कृपया पूरे जनमानस को सकता पाठ सिखाए, जिससे हम कभी कमजोर ना हों।
एक भारतीय।🙏
mere bhai aapko kisne bol diya ki rss ki soch ke baare me…. rss aarysamaj kaa samarthn karta hai aur kai baar samarthn me aaya haai …..
आरएसएस और वीएचपी तो हमारी मूल संस्कृति को समाप्त करने लग गई है इनके झंडो में ओउम खोटा है >>>>>>>>>>>>
आओ सनातन धर्म आर्य संस्कृति की अक्षुण्णता के महायज्ञ में शामिल होवें।
जब कानूनी दांव-पेंच उलझ जाता है तो संविधान से अन्तिम निर्णय होता है इसी तरह सनातन धर्म संस्कृति का सत्य भी प्रमाणित शास्त्र ही करेगें न कि मनगढ़त किताबें। -भगवान प्रजापति
हे महामानवों, आर्यावर्त, भारतवर्ष की आर्य संस्कृति सनातन धर्मेव जयते की अक्षुण्णता व व्यापकता के लिए मैं/हम वर्षों से संघर्षरत हैं। हमनें हर प्रकार से, हर क्षेत्र में हमारे साधनों से, गोष्ठियों से व्याख्यानों से, लेखनों से सोशल मीडिया से सरकार को, राजनेताओं को, सामाजिक संगठनों को, जनसाधारण को समझाने का हर सम्भव प्रयास किया है।
हमने लगभग 30 वर्षों के इस संघर्षरत सफर में स्वअर्जित (खेत व घर) सम्पदा को अधिकांश स्वाहा कर दिया है। क्योंकि चन्दा हमने किया नहीं। चन्दे में कालाधन आने की आशंका रहती है। कालेधन को सत्य से सत्य की खोज के लिए लगाना उचित नहीं समझा। कालेधन से जो आज कार्य कर रहे है उनका परिणाम काला ही है। इसका प्रत्यक्ष परिणाम है
ही सृष्टि रचियता है उसे वर्णमाला का बड़ा ऊँ अशुद्ध लिखा जाने लगा है।
चैत्र शुक्ल एकम सृष्टि रचना का दिन है! सनातन धर्म का नवदिवस है। विक्रम संवत का नव दिवस है इनको लुप्त करके हिन्दू धर्म का हिन्दू नव दिवस बताने के पीछे यही बात है कि कोई आकर शक्ति/धन बल से कहे कि तुम्हारे माता-पिता व पूर्वोजों का नाम हम जो बताएं वही है।
बताओं हिन्दु शब्द कौनसे शास्त्र में है और हिन्दु धर्म का प्रवर्तक कौन है।
यही नहीं भारत को हिन्दुस्तान व इण्डिया बना दिया। आर्यों को हिन्दू व मुसलमान बना दिया। हस्तिनापुर/इन्द्रप्रस्थ को दिल्ली बना दिया। इन्दू सरोवर को हिन्द सरोवर बना दिया, सब जातियों की पूर्व जाति कुम्हार/प्रजापति को कुमावत बनाया जा रहा है। ओर तो ओर अष्टांग योग की पहचान उछल-कुद को योग बताया जा रहा है। अब बताओ हमारी मूल पहचान क्या है? हम कौन है? हमारे पूर्वजों की संस्कृति क्या है? हमारे पूर्वज कौन हैं? आदि! आदि की पहचान समाप्त करके हमें संस्कृति की जड़ों से काटा जा रहा है।
अतः हर संभव प्रयास के बाद हमने अब भारत की मुख्य सत्ता कानून की शरण में जाने का निश्चय किया है कि हो सकता है कोई विद्वान आर्य संस्कृति सनातन धर्मेव जयते को समझते हुवे हमारे साथ आ जावें और हमने जो अकाट्य साक्ष्य सत्य से सत्य की खोज से प्राप्त किये हैं उसे समझकर सनातन धर्म संस्कृति की अक्षुण्ण्ता के महायज्ञ में शामिल हो। इसी विश्वास के साथ। एक बात और जो लोग आज चाणक्य को न समझकर राष्ट्रीय मानवीय सनातन धर्म संस्कृति के साथ गद्दारी कर रहे हैं वे आने वाले समय में जयचन्द की तरह सनातन धर्म संस्कृति के इतिहास में होंगे।
ब्रह्माण्डगुरु भगवान प्रजापति-अधिष्ठाता प्रकृति शक्ति पीठ, खेजड़ा एक्सप्रेस
(संसार में सभी जातियों के वंशज उसी जाति के हैं। भारत में आर्यों के वंशज हिन्दू –मुसलमान क्यों?कैसे?जानिये!)https://www.facebook.com/photo.php?fbid=797345143759830&set=pcb.797345220426489&type=3
mere bhai aapke kuch baato se sahmat nahi hu jiska varnan main yaha nahi kar raha hu…..
इस्लाम तो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान का कोई भी अर्थ निकाल सकता है ‘लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम अपने आप को हिन्दू न कह कर मुस्लिम कहने लगे। हमें पता है हिन्दुत्व क्या है, विश्व जानता है कि हिंदू क्या है और कोन हैं। और यदि इस के पश्चात भी कुछ कुत्ते भौंकते है तो भौंकने दो…..
bhasha ki shaleeltaa aap banaye rakhen?
yadi aap lekhak ki bat se sahmat nahene hein to tark purn uttar hein
Hamare kisee bhee granth men Hindu shabd ka varnan naheen hein
ye Mlecchon ki bhasha ka shabd hai
तो फिर डॉ हरदेव बाहरी का शब्द कोश झूठा है >>देखो शब्द कोश क्या कहते है >,22) स्वतंत्रता के बाद किसी ने ‘- शब्द कोश व भारतीय संस्कृति को संभालने की कोशीष ही नहीं की – शब्द कोषों में साफ लिखा है कि -हिन्द -हिंदी -हिन्दू -हिन्दुस्थान आदि फारसी -शब्द है ।
शब्दकोषों में रामकृष्ण वर्मा 1950 के शब्द कोष के पेज 1193 । डाॅ. हरदेव बाहरी के शब्द संस्करण 2008 के पेज 878-879 देखे।
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हिंदुस्तान -पुं ० [फा ० हिन्दोस्तान ]१.
भारतवर्ष ।२.दिल्ली से पटने तक का
भारत का उतरीय और मध्य भाग ।
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हिन्दू -पुं ० [फा०] [भाव० हिन्दूपन ,हिंदुत्व ]
भारतीय आर्यों के वर्तमान भारतीय
वंशज जो वेदों ,स्मृति ,पुराण आदि को
अपने धर्म-ग्रन्थ मानते हैं |
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संसार में सभी जातियों के वंशज उसी जाति के हैं। भारत में आर्यों के वंशज हिन्दू –मुसलमान क्यों?
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(22) फारसी -उर्दू शब्द कोशों में हिन्दू का अर्थ बताया है -गुलाम -आज्ञाकारी नौकर-डाकू -चोर -राहजन आदि आदि।
(23)आगे ‘काला’ और ‘दास’ संकलन में फारसी और उर्दू भाषा के शब्द कोष यह वर्णन करते है । भारत के आर्यों को गुलाम व मुसलमान बना लिया। 1.फारसी भाषा का शब्द कोष – ल्युजत-ए-किषवारी, लखनऊ 1964 में चोर, डाकू, राहजन, गुलाम, दास। 2.उर्दू फिरोजउल लजत-प्रथम भाग पृ. 615, तुर्की में चोर, राहजन, लूटेरा, फारसी गुलाम, दास, बारदा (आज्ञाकारी नौकर),3. षियाकाम में (काला) 4. परसियन – पंजाबी (डिक्सनरी) शब्द कोष (पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला) में भारतीय उपमहाद्वीप के निवासी, डाकू, राहजन, चोर, दास, काला, आलसी। 5. पेज 376 भार्गव शब्द कोष बारवां संकलन 1965 भी देखे)
(24) हिन्दू न ही हमारा -शब्द है न ही हमारी जाति है न ही हमारा धर्म है । यह सत्य है।
sir aap lage raho mai bhi hindu hun lekin mere vichar v us samay ki sthiti ke anusar apaka bat satya lagata hai
धन्यवाद बन्धु
बस प्रयास रहता है की जितना प्रमाणिक लगे वही प्रस्तुत करे
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=795476370613374&set=a.122352747925743.23245.100004530542111&type=3 स पोस्ट को अवश्य पढे
!!!सावचेत हो जाओ !!!
आर्यावर्त भारत की मूल सनातन धर्म संकृति को गद्दार लुप्त करने का जोरदार षडयंत्र चल रहे है
आप पवित्र आर्यावर्त भारत भूमि के देववृति के हैं तो आईये आर्यावर्त भारत भूमिकी मूल सनातन धर्म संस्कृति को बचावें> क्योंकि >
>असुरों ने >विदेशी लुटेरो ,आक्रमणकारियों ने >ब्रह्मांड के रचीयता ,सनातन धर्म के प्रवर्तक > ओउम को अशुद्ध बना दिया >शुद्ध ओउम न तो इंटरनेट पर है न ही कमप्यूटर मे है >
जो है वे सभी वर्णमाला के बड़े ऊ के रुपक है
> आर्यावर्त भारत भूमिको >हिंदुस्तान और इंडिया बना दिया
>हस्तिनापुर/इद्रप्रस्थ को दिल्ली बना दिया
>इन्दु सरोवरको हिन्द महासागर बना दिया (इन्दु ,यानि चंद्रमा के नाम समुन्द्र मंथन के समय नाम रखा था )
आर्यावर्त भारत भूमिमे आर्य रहते थे उन्हे हिन्दू -मुसलमान बना दिया
>सनातन धर्म को हिन्दू धर्म बनाने का प्रयास चल रहा है
>चैत्र शुक्ल एकम को सृष्टि रचना के दिन को>चैत्र शुक्ल सनातन धर्म केदिन को >चैत्र शुक्ल एकम विक्रम संवत को >>हिन्दू धर्म का हिन्दू दिवस बनाने का असुर पुरजोर कोशीश कर रहें है
>>>सब जतियों की पूर्वज कुम्हार /प्रजापति जाति को कुमावत बनाने का भी षडयंत्र चल रहा है
>धार्मिक कृत्यो व(अन्य वाहनो ,दुकानों ,मस्जिदों आदि ) मे स्पीकर रूपी आसुरी कर्कश आवाज से मूल एकाग्रहता पर भारी आघात हो रहा है ,पाप ,रोग बढ़ रहे है >>सबसे बड़ा भयानक खतरा ये है >मानव के साथ पशु पक्षी भी पागलपन की ओर बढ़ रहे है
>>>जबकि ध्वनि प्रदूषण के कानून मेरी बात को हलके मे ले रखा है जबकि पटाखे स्पीकर खतरनाक ही नहीं बेहद खतरनाक है डीजे तो साक्षात राक्षस है ,डीजे से घर भी कांपते है मनुष्य व बचो ,पशु -पक्षियों की तो हालत ही खराब हो जाती है >>जरा सोचो
>>मंदिरों के असुर रूपी स्पीकर गीता /भगवान का घोर अपमान कर रहे है >>>
>किसी भी काल में>>यानि ज्ञान को किसी भी काल में >तप रहित ,भक्ति रहित ,न सुनने वाले को न सुनावे और जो मेरा (ईश )निदक है उसे तो कभी भी न सुनावे !!!
>>> जब निदक मंदिर ,मस्जिद ,गुरुद्वारे के आगे से निकलता है या धार्मिक कृत्यों के आगे से निकलता है और वहाँ स्पीकर की कर्कस आसुरी शोर को सुनकर गाली बकता है कहता है >अफण्ड कर रहे, आध्यात्मिक लूट कर रहे है आदि आदि अनेक तरह के अभद्र भाषा बोलता हुवा चला जाता है
>>>सुप्रीम कोर्ट का ध्वनि प्रदूषण के कानून मे जो बताया है उससे भी ज्यादा खतरनाक है ये शोर जो प्राणियों को पागल बना रहा है
आइये आप सभी मिलकर सनातन धर्म संस्कृति को बचाने के लिए देव बनो और असुर शक्ति को विध्वंस करो !
क्योंकि गीता मे भगवान कहते है >आसुरी प्रवर्ति के लोग अपने विधान खुद बना लेते है !
ॐ तत्सत!आर्य संस्कृति सनातन धर्मेव जयते !!!
>>>>
>>शुद्ध ओउम नीचे देखे >>इसे हमें इंटरनेट पर व कमप्यूटर में डलवाना है !
Image may contain: text
Bhagwan Prajapati Brahmandguru-adhishthata
August 2 at 4:21pm ·
इस स्टिकरको shareकरो ,छपवाओऔर बांटो ,
आर्य संस्कृति सनातन धर्मेव जयते!
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=795476370613374&set=a.122352747925743.23245.100004530542111&type=3
सब जतियों की पूर्वज कुम्हार /प्रजापति जाति को कुमावत बनाने का भी षडयंत्र चल रहा है | इसका क्या मतलब ? थोडा समझाने की कोशिश करना जी | और भी बहुत सी बात है जिसपर चर्चा की जा सकती है
इन को आर्ष-अनार्ष का कुछ ज्ञान ही नहीं । इस लिए इनकी बातों पर ध्यान न दें ।
jinhe aarshy anarshy kaa gyan ho jaayega fir is tarah ki comment nahi karenge
आपने जो हिन्दु शब्द कि व्याख्या की है उसका लिखित प्रमाण है आपके पास ? है तो इस नंबर पर भेजे 7739328059
हिन्दु राष्ट्रीयता है इसका मेरे पास लिखित प्रमाण है चाहिए तो अपना नंबर दीजिए मै चित्र के साथ भेजता हूँ।
भाई हमें रामायण गीता महाभारत इत्यादि में लिखा हुवा प्रमाण दे दे की हिन्दू सब्द आता है उसमे | हमारे फेसबुक पेज पर आप इनबॉक्स में प्रमाण के साथ भेज दीजिये आपका इन्तजार रहेगा | फिर हम अशोक आर्य जी से आपका प्रमाण देने को बोलेंगे
Sir aapka facebook page ka naam kya hai
Mujhe or bhi padane ki ruchi ho rahi hai
aryamantavya
Jo log Veda rishi maharishiyon ke pavitra vichaaron ko tyaag kar geir (foreign) baton ko maan lete hain eise logon ke kaaran hi ham gulam bane aur aaj bhi gulami ka prabhav samaj mein dekte hain. jab Ved Upanishad, Ramayana, Mahabharata sabhi pustakon mein Arya naam hai to muslamanon ka diyaa huaa naam kyon svikaar kerein?
BAHUT HI ACHHHA JAVAB HAI
गर्व से कहो हम हिन्दू है।
इन मुल्लो गडुओ का क्या कहना ये तो अपनी बहन को भी बीबी बना लेते है।
जय जय श्री राम
हाँ में हिन्दू हु।
किसने मना किया है की खुद को हिन्दू मत बोलो | बोलते जाओ | बस यह ध्यान रखना की हिन्दू सब्द आपके किसी पौराणिक ग्रन्थ में नहीं आया | जिन्होंने हिन्दू नाम दिया उन्ही के नाम को स्वीकार करते हो जो आपकी पूर्वज का क़त्ल किया था | और आप उन्ही की कब्रों पर जाकर पूजा करो |
संसार में सभी जातियों के वंशज उसी जाति के हैं। भारत में आर्यों के वंशज हिन्दू –मुसलमान क्यों?
22) स्वतंत्रता के बाद किसी ने ‘- शब्द कोश व भारतीय संस्कृति को संभालने की कोशीष ही नहीं की – शब्द कोषों में साफ लिखा है कि -हिन्द -हिंदी -हिन्दू -हिन्दुस्थान आदि फारसी -शब्द है ।
शब्दकोषों में रामकृष्ण वर्मा 1950 के शब्द कोष के पेज 1193 । डाॅ. हरदेव बाहरी के शब्द संस्करण 2008 के पेज 878-879 देखे।
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हिंदुस्तान -पुं ० [फा ० हिन्दोस्तान ]१.
भारतवर्ष ।२.दिल्ली से पटने तक का
भारत का उतरीय और मध्य भाग ।
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हिन्दू -पुं ० [फा०] [भाव० हिन्दूपन ,हिंदुत्व ]
भारतीय आर्यों के वर्तमान भारतीय
वंशज जो वेदों ,स्मृति ,पुराण आदि को
अपने धर्म-ग्रन्थ मानते हैं |(
Jay shriram,,,,,,,zz
Farsi ke logo ne hindhu ka artha gali ,chor kaha hai ye usne nirman kiye huye shbdha hai yise ham hindhustani kyiu mane kohi kucha bhi bakega hame usko nahi manana chahiye ham hindhu hai aur hindhi hi rahege , jay Shri Ram,,,
bhai aap jai shri raam bol rahe ho …aap raamayan me hi hindu sabd dikhaa denaa padi meharbaani hogi
भारत में बहुत से लोग हिन्दू हैं एवं वे हिन्दू धर्म का पालन करते है।अधिकतर लोग सनातन धर्म को हिन्दू धर्म मानते हैं। वहीं कुछ लोग यह कहते हैं कि हिन्दू शब्द सिंधु से बना है औऱ यह एक फारसी शब्द है। पर ऐसा कुछ नहीं है हमारे वेदो और पुराणों में हिन्दू शब्द का उल्लेख मिलता है। आज हम आपको बता रहे है हमें हिन्दू शब्द कहाँ से मिला ।
ऋग्वेद के ब्रहस्पति अग्यम में हिन्दू शब्द का उल्लेख इस प्रकार आया हैं
“हिमलयं समारभ्य यावत इन्दुसरोवरं ।
तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानं प्रचक्षते।।
अर्थात : हिमालय से इंदु सरोवर तक देव निर्मित देश को हिंदुस्तान कहते हैं |
सिर्फ वेद ही नहीं बल्कि शैव ग्रन्थ में हिन्दू शब्द का उल्लेख इस प्रकार किया गया हैं
“हीनं च दूष्यतेव् हिन्दुरित्युच्च ते प्रिये।”
अर्थात : जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं
और इससे मिलता जुलता लगभग यही यही श्लोक कल्पद्रुम में भी दोहराया गया है :
” हीनं दुष्यति इति हिन्दू ।”
अर्थात जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते है।
4.पारिजात हरण में हिन्दू को कुछ इस प्रकार कहा गया है :
” हिनस्ति तपसा पापां दैहिकां दुष्टं ।
हेतिभिः श्त्रुवर्गं च स हिन्दुर्भिधियते ।।”
अर्थात : जो अपने तप से शत्रुओं का दुष्टों का और पाप का नाश कर देता है वही हिन्दू है |
माधव दिग्विजय में भी हिन्दू शब्द को कुछ इस प्रकार उल्लेखित किया गया है :
“ओंकारमन्त्रमूलाढ्य पुनर्जन्म द्रढ़ाश्य:।
गौभक्तो भारतगरुर्हिन्दुर्हिंसन दूषकः ।।
अर्थात : वो जो ओमकार को ईश्वरीय धुन माने कर्मों पर विश्वास करे,गौपालक रहे तथा बुराईयों को दूर रखे वो हिन्दू है।
केवल इतना ही नहीं हमारे ऋगवेद ( ८:२:४१ ) में विवहिन्दू नाम के बहुत ही पराक्रमी और दानी राजा का वर्णन मिलता है जिन्होंने 46000 गौमाता दान में दी थी और ऋग्वेद मंडल में भी उनका वर्णन मिलता है।
ऋग वेद में एक ऋषि का उल्लेख मिलता है जिनका नाम सैन्धव था जो मध्यकाल में आगे चलकर “हैन्दव/हिन्दव” नाम से प्रचलित हुए
जिसका बाद में अपभ्रंश होकर हिन्दू बन गया।
Ye sabhee pramanik granth naheen hein
जानिए किस ग्रन्थ में प्रयुक्त हुआ है हिन्दू शब्द
पश्चिमी देशों में भूख मिटाने, नींद लाने, यहां तक कि खुशी महसूस करने के लिए भी दवा का प्रयोग किया जाता है, जबकि भारत में मानसिक और ज्यादातर शारीरिक रोगों का समाधान ध्यान और योग में तलाशने की परंपरा है। सनातन धर्म में ईश्वर को पाने का एक मार्ग ध्यान और योग भी बताया गया है। इसलिए यह मात्र धर्म ही नहीं है, बल्कि जीने की कला है,सनातन धर्म का अर्थ होता है-जीवन जीने की शाश्वत शैली।
सनातन को मानने वाले ‘हिन्दू’ कहलाये, हिन्दू शब्द को लेके स्वयं हिन्दू ही नहीं अपुती दूसरे मतों के लोगो का भी यही मानना है की “हिन्दू’ शब्द ईरानियों की देन है | ये भ्रान्ति प्रचलित है की ”हिन्दू’ शब्द सनातन के किसी भी शास्त्र में नहीं है, हिदुत्व कोई धर्म नहीं है, भोगोलिक स्थिति के कारण इसका नाम हिंदुस्तान रखा गया है, हिंदुस्तान में रहने वाले सब धर्म के लोग हिन्दू हैं…. इत्यादि|
परन्तु क्या ये सच है ? क्या ‘हिन्दू’ शब्द विदेशियों का दिया हुआ नाम है? क्या हिन्दू नाम का कोई धर्म नहीं?
इन्ही सब प्रश्नों के उत्तर खोजते हुए कुछ तथ्य प्रस्तुत हैं जो ये दर्शाते हैं की “हिन्दू’” शब्द ईरानियों के आने से बहुत पहले ही सनातन धर्म में प्रयोग होता था| सनातन को मानने वालों को “हिन्दू” कहा जाता था , ईरानियों ने तो बस केवल इसे प्रचलित किया|
कुछ उधाहरण देखते है सनातन में हिन्दू शब्द के बारे में …
१-ऋग वेद में एक ऋषि का नाम ‘सैन्धव’ था जो बाद में “ हैन्दाव/ हिन्दव ” नाम से प्रचलित हुए
२- ऋग वेद के ब्रहस्पति अग्यम में हिन्दू शब्द
हिमालयं समारभ्य यावत इन्दुसरोवरं ।
तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानं प्रचक्षते ।।
( हिमालय से इंदु सरोवर तक देव निर्मित देश को हिन्दुस्थान कहते हैं)
३- मेरु तंत्र ( शैव ग्रन्थ) में हिन्दू शब्द
‘हीनं च दूष्यत्येव हिन्दुरित्युच्चते प्रिये’
( जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं)
४- यही मन्त्र शब्द कल्पद्रुम में भी दोहराई गयी है
‘हीनं दूषयति इति हिन्दू ’
५-पारिजात हरण में “हिन्दू” को कुछ इस प्रकार कहा गया है |
हिनस्ति तपसा पापां दैहिकां दुष्टमानसान ।
हेतिभिः शत्रुवर्गं च स हिंदुरभिधियते ।।
६- माधव दिग्विजय में हिन्दू
ओंकारमंत्रमूलाढ्य पुनर्जन्म दृढाशयः ।
गोभक्तो भारतगुरूर्हिन्दुर्हिंसनदूषकः ॥
( वो जो ओमकार को ईश्वरीय ध्वनी माने, कर्मो पर विश्वाश करे, गौ पालक, बुराइयों को दूर रखे वो हिन्दू है )
७- ऋग वेद (८:२:४१) में ‘विवहिंदु’ नाम के राजा का वर्णन है जिसने ४६००० गएँ दान में दी थी|
विवहिंदु बहुत पराक्रमी और दानी राजा था ऋग वेद मंडल ८ में भी उसका वर्णन है|
हिंदुत्व क्या है…
दुनिया की सबसे पुरानी आध्यात्मिक और नैतिक परंपरा ही हिंदुत्व है। इसके अनुसार, ईश्वर सर्वत्र मौजूद होते हैं। ईशोपनिषदके पहले मंत्र के अनुसार, संपूर्ण ब्रह्मांड में ईश्वरीय शक्ति विराजमान है। ऐसी सभी चीजें, जो दृश्य और अदृश्य हैं, जिनका हम स्पर्श कर पाते हैं या नहीं कर पाते हैं या फिर हर अच्छी और बुरी चीज भी सर्वशक्तिमान का ही अंश है। ईश्वर हमारे अंदर भी मौजूद हैं, जरूरत है तो इसे अनुभव करने की।
हिंदुत्व हमें बताता है कि किसी भी व्यक्ति की प्रकृति या स्वभाव बुरा नहीं होता है। यदि वह स्वयं को नहीं समझ पाता है या उसके शरीर और मन-मस्तिष्क में सही तालमेल नहीं हो पाता है, तभी वह बुरे कर्म करता है। स्वयं को नहीं समझ पाने के कारण व्यक्ति लोभ, क्रोध, मोह आदि का शिकार होता है।
आज हिन्दू अपने ही धर्म शास्त्रों का ज्ञान न होने के कारण आसानी से दूसरे के बहकावे में आ जाता है | उसकी इस अज्ञानता का मुख्य कारण कथित हिन्दू धर्म के ढेकेदार हैं जिन्होंने अपने निजी लाभ के कारण शास्त्रों के सही ज्ञान को जनमानस तक नहीं पहुचने दिया |
Galat hai aapka tark
मानसिक रूप से गुलाम ही बन चुके हो
जिस प्रकार हिन्दू गाली हैं उस्सी प्रकार इंडियन भी गाली हैं।हमारे देश का वास्तविक नाम भारत हैं। खुछ लोगो इंडिया बोलते हैं। जो अनुचित हैं उन लोगो के अनुसार भारत को “English” में इंडिया बोलते हैं।परंतु सत्य इस से विपरीत हैं। अगर आप ऑक्सफ़ोर्ड की पुरानी डिक्शनरी ( Oxford Dictionary ) में देखेगे तो पेज नंबर 789 पर लिखा मिलेगा Indian का वास्तविक अर्थ, जिसका अर्थ होता है कि “old-fashioned & criminal peoples” अर्थात् पिछडे और पुराने विचारों वाले अपराधी लोग” और “india” का एक और अर्थ होता है,जिसी जानकारी होना जरुरी हैं। तो इंडिया का अर्थ होता हैं की:-
“वह व्यक्ति या दंपत्ति जिसके माता-पिता का विवाह ईसाई परंपरा के अनुसार चर्च में नहीं हुआ हो”। उस दंपत्ति से पैदा संतानें जो की चर्च में विवाह न होने के कारण नाजायज हैं मतलब कि बास्टर्ड या फिर हरामी संतान तो ये होता इंडिया और इंडियन का अर्थ तो अब आप खुदको इंडियन बोलना पसंद करेगे? उत्तर हैं बिलकुल नही। अंग्रेजोँ के समय मेँ सिनेमाघरोँ और कई सार्वजनिक जगहोँ पर “Dogs and Indians are not allowed” का बोर्ड लगा रहता था। इसीसे आप समाज लीजिये की हम भारत वासियो की क्या वैल्यू थी अंग्रेजो के लिए। ब्रिटेन में वहां के नागरिकों को “इंडियन” कहना क़ानूनी अपराध है।
कुछ विद्वान कहते हैं कि “इंड” शब्द कि उत्पत्ति “सिंध” शब्द से हुई है इसी “इंड” से इंडिया बना हैं।लेकिन ये गलत है क्योंकि जिन स्थानों पर सिंध नदी नहीं थी वहाँ के लोगो के लिए भी अंग्रेज “इंड” शब्द का प्रयोग करते थे। जैसेकि अमेरिका के मूल निवासियों को “रेड इंडियन” कहा जाता हैं।इसके अलाव इंडोचीन, इंडोनेशिया, वेस्टइंडीज़, ईस्टइंडीज़ आदि शब्दों के प्रयोग में सिंधु नदी या सिंधु घाटी का कोई लेना-देना नहीं है। इसका मतलब बिलकुल साफ़ हैं की “इंडियन” शब्द गुलामी का प्रतीक है और गाली है। क्योंकि जो लोग ईसाई चर्चों की मान्यताओं के अनुसार विवाह नहीं करते थे उन्हें ‘इंडियन’ कहा जाता है ।
भारत में अधिकांश लोग हिन्दू हैं। हिन्दू एक धर्म के रुप में भी माना जाता है। अधिकतर लोग सनातन धर्म को हिन्दू धर्म मानते हैं। वहीं कुछ लोग यह कहते हैं कि हिन्दू शब्द सिंधु से बना है औऱ यह एक फारसी शब्द है। पर ऐसा कुछ नहीं है हमारे वेदो और पुराणों में हिन्दू शब्द का उल्लेख मिलता है। आज हम आपको इसी की जानकारी साझा करेंगे जो हमें एक सांस्कृतिक लेख से मिली है।
1. ऋग्वेद के बृहस्पति अग्यम में हिन्दू शब्द का उल्लेख इस प्रकार आया है……
“हिमलयं समारभ्य यावत इन्दुसरोवरं ।
तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानं प्रचक्षते।।
अर्थात : हिमालय से इंदु सरोवर तक देव निर्मित देश को हिंदुस्तान कहते हैं |
2. सिर्फ वेद ही नहीं……बल्कि..मेरूतंत्र ( शैव ग्रन्थ ) में हिन्दू शब्द का उल्लेख इस प्रकार किया गया है…..
“हीनं च दूष्यतेव् हिन्दुरित्युच्च ते प्रिये।”
अर्थात : जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं|
3. और इसी से मिलता-जुलता लगभग यही यही श्लोक कल्पद्रुम में भी दोहराया गया है :
” हीनं दुष्यति इति हिन्दू ।”
अर्थात जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते है।
4. पारिजात हरण में हिन्दू को कुछ इस प्रकार कहा गया है :
” हिनस्ति तपसा पापां दैहिकां दुष्टं ।
हेतिभिः शत्रुवर्गं च स हिन्दुर्भिधियते ।।”
अर्थात : जो अपने तप से शत्रुओं का, दुष्टों का और पाप का नाश कर देता है वही हिन्दू है |
5. माधव दिग्विजय में भी हिन्दू शब्द को कुछ इस प्रकार उल्लेखित किया गया है :
“ओंकारमन्त्रमूलाढ्य पुनर्जन्म द्रढ़ाश्य:।
गौभक्तो भारतगरुर्हिन्दुर्हिंसन दूषकः ।।
अर्थात : वो जो ओमकार को ईश्वरीय धुन माने कर्मों पर विश्वास करे,गौपालक रहे तथा बुराईयों को दूर रखे वो हिन्दू है
6. केवल इतना ही नहीं हमारे ऋगवेद ( ८:२:४१ ) में विवहिन्दू नाम के बहुत ही पराक्रमी और दानी राजा का वर्णन मिलता है जिन्होंने 46000 गौमाता दान में दी थी और ऋग्वेद मंडल में भी उनका वर्णन मिलता है।
7. ऋग वेद में एक ऋषि का उल्लेख मिलता है जिनका नाम सैन्धव था जो मध्यकाल में आगे चलकर “हैन्दव/हिन्दव” नाम से प्रचलित हुए
जिसका बाद में अपभ्रंश होकर हिन्दू बन गया।….!!
8. इसके अतिरिक्त भी कई स्थानों में हिन्दू शब्द उल्लेखित है…….।।।
नमस्ते कॉपी पेस्ट महोदय श्रीमान तिवारी जी
ऋग्वेद में ऐसा कोई मन्त्र ही नहीं जैसा आपने पोस्ट में दिखाया है यदि है तो उसका रेफरेंस दीजिये और आप भी चेक कीजिये
http://www.onlineved.com यहाँ चारों वेद है चेक करके हमें भी बताये
ऋग्वेद ८:२:४१ में कोई राजा का गुणगान नहीं और चारों में कोई भी ऐतिहासिक घटना का वर्णन नहीं यह सब मूर्खों का फैलाया भ्रमजाल है
बाकी जो शास्त्र बताये वे मेरे पास अभी उपलब्ध नहीं परन्तु यह निश्चित है की वे वेदादि ग्रन्थ नहीं
वेदों में या वेदसम्मत ग्रन्थों में कही हिन्दू शब्द की व्याख्या नहीं
आप स्वाध्याय कीजिये परजीवियों का व्यवहार आपको शौभा नहीं देता
SAHI HAI
क्या ऋग्वेद प्रमाणिक नही है ?
नमस्ते तुषार जी
ऋग्वेद पूर्ण रूप से प्रमाणिक है 🙂
आप विषय पूरा स्पष्ट करें तो अधिक जानकारी दे पाएंगे
हम सनातनी है,
हिन्दू शब्द हिन्द देश के बासियों के लिए पड़ा था,
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक कि जनजाति को या हिन्द देश के बासी को हिन्दू नाम पड़ा।
धर्म हमारा सनातन है और हम सनातनी है।
और तुम्हारी अरबी फारसी की किताबें ढकोसला हैं।
सब झूठा है।
नमस्ते अभय जी
हिन्दू शब्द हिन्द देश के वासी होने से पड़ा तो
पूर्व में आर्यावर्त नाम था तो आर्य क्यों नहीं कहते हो ??
और वर्तमान में इंडिया है तो हिन्दू की जगह इंडियन क्यों नही कहते ?
और हिन्द देश में रहते हुए भी मुस्लिम हिन्दू क्यों नही कहलाते है ?
Kaash ham bhi Pakistan or China ki tarah panth nirpeksh naa hote, to in madarchodo ki itni himmat nahi hoti ki ye Hindu shabd ka arth chor kahte
आज जनजाति आदिवासी जमात के लोग खुद को हिन्दू नही मानते है, क्योकि उनकी जीवन शैली हिन्दू धर्म से अलग है, इनके लिए जरूर अलग गोंडी धर्म कोड या आदिवासी कोड की योजना जनगणना के समय होनी चाहिए, क्योकि ये जनजाती के लोग निसर्गप्रेमी होते है इनका पूजा करने का तरीका अलग है।
नमस्ते परमानन्द जी
आपने जो बात लिखी वह राजनीती से प्रेरित है
हर तबके को अलग अलग लाभ चाहिए जो सम्भव नही
और रही बात पूजा पद्दति की तो हिन्दुओं में भी यह अलग अलग पाई जाती है इससे वे अलग तो नही
यह जो बांटने और बंटने की निति है यही विनाश का कारण है
सिन्धु नदी के किनारे बसे भारत को अंग्रजों व मुगलों ने हिन्दूस्तान बनाया और हिन्द महासागर का वर्णन हमारे शास्त्रोँ में नहीं है, सिन्धु सागर का वर्णन रामायण के साथ साथ सभी शास्त्रोँ में है चूँकि मुगल फारस की खाड़ी से आये थे जो “स”शब्द का उच्चारण “ह” से करते थे
शायद इसी कारण सिन्धु सागर को हिन्द महासागर कहा गया ।।
हिन्द महासागर को सागर क्यों हागर क्यों नहीं कहने लगे ?
सब्जी को ह्ब्जी क्यों नहीं ?
सुबह को हुबह क्यों नहीं ?
भैया ये तर्क बचकाने है कृपया कुछ प्रमाणिक तर्क रखें
भाई साहब अगर आप जोधपुर गये हैं तो वहां सात को हात बोलते हैं कहने का मतलब यह है मारवाड़ में “स”को “ह” से ही संबोधित करते हैं ।।
में जोधपुर का ही निवासी हूँ भाई
वह मारवाड़ी भाषा है यह किसी प्रकार अपभ्रंश नहीं है न ही यह मुगलों की देन हैं जिसकी बात आपने अपने पिछले कमेंट में की है
भारत में भाषाई अंतर आपको हर 10 किलोमीटर के अंतर पर मिल जाएगा
और हां हम सब्जी को ह्ब्जी नहीं कहते है साग कहते है
सुबह को हुबह भी नहीं कहते है
हम कहते है सूबे होइगी है 🙂
और सागर को हागर नही समन्दर कहते है
(समन्दर भरिया पड़िया है सा एड़ी बाता उ ) 🙂
Sahi hai bhae
दोस्तो !
हम भारतीयों पर न चाहते हुए भी जबरन नाम और पहचान लादा गया है। अरबी और फारसी भाषा में “हिन्दू” का अर्थ चोर होता है। हमारा धर्म “सनातन धर्म” है। हमारा देश आजाद होकर ७३ साल हो गया। अब तो इसका सुधार कर के हिन्दू की जगह सनातन धर्म नाम देना चाहिए। इसे लोकसभा राज्यसभा में बिल पास कर के संसोधन किया जाना चाहिए। हम भारत देश के वाशी चाहे जीतनी बड़ी शिक्षा , उच्च शिक्षा प्राप्त करले प्रमाण पत्र में हिन्दू ही लिखा जाता है। जिसका अर्थ अरबी और फारसी भाषा में “हिन्दू” का अर्थ चोर होता है। इसलिए वर्तमान बुद्धजीवी नेता और सम्मानीय सुप्रीम कोर्ट इस विषय पर संशोधन बिल लाये। जिससे हमारी पहचान सनातन धर्म से होने लगे। जय भारत जय “सनातन धर्म” !
लाइक और कमेंट के लिए स्वागत है।
एच. के. विश्वकर्मा
महामंत्री मुम्बई प्रदेश कांग्रेस सेवादल
आपकी बात से सहमत हूं।
विशेष में यह कहूंगा कि मैं सनातन धर्म का आर्यपुत्र ब्राह्मण माकँड दवे नडियाद गुजरात से हूं।
हिंदू शब्द अति संकीर्ण और इस्लामिक भाषा से प्रभावित है मैं अपने आप को हिंदू नहीं मानता हूं क्योंकि मैं हिंदू नहीं हूं बस इतनी सरल बात है अगर हमारे बंधु समझें तो…
अन्यथा कुछ विस्तार करना आवश्यक होगा हमारे शास्त्र अति समृद्ध है और कहीं पर भी हिंदू शब्द का प्रयोग देखा नहीं गया है आप या तो चार वेदों का अवलोकन करें या फिर हमारे उपनिषद,गीता,महाभारत, रामायण वगैरह…
किसी भी सनातन धर्म की प्राचीन पुस्तक में इस कुंठित एवं संकीर्ण शब्द का उल्लेख नहीं है व्यक्तिगत रूप से मेरी यह इच्छा है कि आप जैसे लोग इस भगीरथ कार्य में सहयोग करें और हम सब मिलकर एक मुहिम चलाएं और भारत वर्ष में एक नई क्रांति का आवाहन करें यह शब्द “हिंदू” मुगलो द्वारा हमारे ऊपर ठोक दिया गया और तत्पश्चात अंग्रेजों ने आकर बारंबार इसे दोहराया इस कारण सनातन धर्मीयो ने अपने आप को हिंदू मान लिया पर यह शत-प्रतिशत सफल नहीं हुआ है हमारे जैसे और आपके जैसे हजारों जागृत नागरिक अभी भी मौजूद है और यह खतरा टालने के लिए सक्षम है आजकल फर्जी हिंदुत्व और फर्जी राष्ट्रवाद अपनी पराकाष्ठा को छू रहा है, समय रहते हम लोगों को साथ मिलकर हमारे बंधु भगिनीओ को सत्य का मार्ग दिखाने की आवश्यकता है.
अगर हम अपना दायित्व चुके तो यह समाज के साथ घोर अन्याय होगा, और हम लोग या घटना के भीष्म साक्षी होंगे.
मेरा एक व्यक्तिगत अवलोकन है जो आपके साथ साझा करना चाहूंगा इस्लाम प्रभावित मुस्लिम आक्रांता ओने एक कालखंड में जहां-जहां शासन किया वहां के प्रदेशों के पीछे “स्तान” शब्द जोड़ दिया था। उदाहरण के तौर पर अफगानिस्तान, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज़्बेकिस्तान कजाकिस्तान और बाकी रहा तो पाकिस्तान, हमारे राष्ट्र का नाम तो भारत – भारतवर्ष है।
अंग्रेजों ने आकर फिर एक और नाम दे दिया “इंडिया” फर्जी राष्ट्रवादीयों को मेरा यह निवेदन है की अगर आप में थोड़ी सी भी बुद्धिमत्ता बची है तो सबसे पहले इन अंग्रेज एवं मुस्लिमों की सांस्कृतिक विचारधारा से प्रभावित शब्दों का रद्दी करण करें और आगे हमारे जैसे जागरुक लोग मिलकर भारत वर्ष के हमारे बंधु भगिनीयो का राष्ट्र जागरण के इस भगीरथ कार्य में मार्गदर्शन एवं सहयोग करें।
सनातन धर्म की परिकल्पना शाश्वत के सापेक्ष में की गई है हिंदू जैसे एक बहुत छोटे और संकीर्ण एवं कुंठित शब्द से हमारी संस्कृति को बांधने का प्रयास केवल मिथ्या प्रयास ही है।
श्री सूक्त में कहा गया है कि “प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन् कीर्तिमृद्धिं ददातु मे” इस रुचा में राष्ट्र की कीर्ति एवं वृद्धि की अभिव्यक्ति सुसंस्कृत रूप से अभिव्यक्त की गई है।
फर्जी राष्ट्रवादी एवं फर्जी हिंदू वादियों से सावधान रहें हमारी विरासत, एक सांस्कृतिक विरासत और हमारे धर्म ग्रंथ अति वैज्ञानिकताकि साथ-साथ आध्यात्मिक जगत के शिरोमणि ग्रंथ है उसका अध्ययन, चिंतन, मनन, श्रवण एवं ह्रदय से आदर करना सीखें।
शांडिल्य गोत्र का
त्रिप्रवर शुक्ल यजुर्वेदी
शाखा वाज माध्यानधिनी
माकँड दवे।
भाई मैंने आपके सभी कमेंट पढ़े जितने पड़ सकता था आज मुझसे कुछ लोगों ने सवाल किया हिंदू तुम अपने आप को हिंदू बोलते हो तुम्हें हिंदू का मतलब भी पता है अब आप बताओ मैं उसको क्या जवाब दूं इतने सारे तर्क कुतर्क देख देख कर मैं तो परेशान हो गया हूं कृपा करके मार्गदर्शन करें
नमस्कार सर
आपका संपर्क सूत्र चाहिए .आपके सभी लेख अत्यंत जानकारी देने वाले और सत्य प्रतीत हैं .
नमस्ते जी आप ptlekhram@gmail.com पर सम्पर्क कीजिये
जानकारी का शुक्रिया
Persian kaminey log hai, yey jaltay hai Hinduo sey, yey shabad yey hajaroy saal sey use kar rahay hai. es shabad ka arth, en farsi kavi logo Ney Jaan boojh kar aisa gara hai, shayad 200-300 saal may. Yey salay farsi garib log they, tabhi to nadir shah mayur sihasan uta kar ley gaya tha. Jo bhee muslim, angraj, attacker bahar sey aay, yey sabhi bhooley nagay they, enki country bhee aisi thee
Bhooley- bhookey
तुम न ही मर्द हो न ही स्त्री हो मेरी हिसाब से
Aisa tumhen allah ne bataya kya ?
बकवास , और तुम्हारी ही बकलोली के कारण जेहादी था कांग्रेसी और वामपंथी लोग हिंदुओं पर हमला करते हैं.. आर्यसमाजी नहीं आर्यनमाजी सही है तुम लोगों के लिए
किसी भी विदेशी बोली या भाषा का भाव वह अपने नजरिए से करते हैं ।उनके द्वारा की गई किसी शब्द की व्याख्या समस्त विश्व में बोली जाने वाली भाषाओं से मेल खाए ,यह कतई तौर पर जरूरी नहीं ।ऐसे हजारों शब्द मिल जाएंगे जिनकी व्याख्या अलग-अलग भाषाओं में अलग अलग से होती है। और मूल भाषा में उसका अर्थ अलग होता है
किसी शब्द की व्याख्या मूल भाषा से अलग जाकर देखना अपने आप में ही शब्द का अनर्थ है यह कतई जरूरी नहीं किस सभी शब्दों का भाव विश्व की समस्त भाषाओं में एक ही भाव रखता हो
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Jaruri nai he ki shabd ka arth har jagah ek jaisa hi ho jaruri nahi hai ki wo sabd wahi liya gaya ho pahali bat to ye Hindu dharm sabhi dharmo se pahale aya tha esliye jaruri nahi hai ki aaap bol rahe hai wo sahi hai -sindh Nadi ke kinare rahane ke Karan koi kah diya ho aap Hindu hai karake esse ye to nahi pharsi log ke kahane se ya unake bolane walo sabdo se kisi ko phark pade yadi Hindu sabd unake se chor hai aur hamre hisab se ek dharm antar bahut hai sir kisi ke kahne se kuch nai hota har jagah har sabd ka arth alag hota hai
Manushya ko satya ko sweekar karna chahiye
Hindu Ka Aarth Chor Lutera Daku hi Hota hai Ye Changej Khan Ke Time Prachalit Hua Tha Idhar ke Log Ko Hindu Bola Gya or Idhar ke Log Malich Bolte the Unko