दलितोद्धार में दयानन्द के देवदूतों और आर्यसमाज के स्वयंसेवकों की भूमिका

दलितोद्धार में दयानन्द के देवदूतों और आर्यसमाज के स्वयंसेवकों की भूमिका

चाँद (अछूत-विशेषांक में अभिव्यक्त दलितों की व्यथा-कथा के आधार पर

श्री नन्दकिशोर तिवारी के संवादकत्त्व में ’चाँद‘ नामक हिन्दी मासिक का ’अछूत‘-विशेषांक मई 1927 में आज से 81 वर्ष पूर्व इलाहाबाद से प्रकाशित हुआ था। अंक के प्रधान सम्पादक नन्दकिशोर जी तिवारी और कम्पोजीटर बंशीलाल जी कोरी थे। विशेषांक के मुख पृष्ठ पर एक श्वेत-श्याम चित्र छपा है जिसमें सरयू पारिण ब्राह्मण तिवारी और कोरी चमार एक थाली और एक टेबल पर सहभोज करते हुए दिखलाई दे रहे हैं। विशेषांक की कुल पृष्ठ संख्या 192 है। यह विशेषांक दलितोद्धार व सामाजिक परिवर्तन के लिए समर्पित है। संपादक ने प्राक्कथन में अंक का उद्देश्य सामाजिक अत्याचारों पर प्रकाश डालना और उसके विरूद्ध आन्दोलन करना बतलाया है।

पं0 किशोरीदास वाजपेयी जैसे शास्त्रीय विद्वान् ने वाल्मीकि, रविदास, नाभा, नामदेव, कबीर-कूबा जैसे दलित सन्तों और भक्तों की महत्ता पर प्रकाश डाला है। धर्मान्तरण पर रोशनी डालने वाले हिन्दी कोविद जहूरषरुश ने ’अछूत की आत्मकथा‘ लिखी है। मुन्शी प्रेमचन्द की कालजयी कहानी ’मन्दिर‘ भी इसमें प्रकाशित हुई है। दलितों के शुभचिंतक सी0 एफ0 एण्ड्रयूज और सच्चे दलितोद्धारक अमर शहीद स्वामी श्रद्धानन्द के पूरे एक-एक पृष्ठों पर चित्र छपे हैं। रेखाचित्रों द्वारा भी तत्कालीन दलित संसार को साकार करने का यशस्वी प्रयत्न किया है।

’सम्पादकीय विचार‘ में महास प्रान्त के एक जिले में पाँच वर्षों में पचास हजार दलितों के ईसाई होने का उल्लेख है। अनेक रेखाचित्रों में एक रेखाचित्र वह भी है जिसमें ख्वाजा हसन निजामी को सपने में दलित कलमा में ईमान लाते दिखलाई दे रहे हैं। दलितों में भी जागृति की लहर उत्पन्न हो रही है। संगठन और आत्म सम्मान का भाव जागृत होकर सुधारवाद की ओर झुकाव बढ़ रहा है। महाड़ (महाराष्ट्र) में डॉ0 बाबा साहब अम्बेडकर के आन्दोलन ने तथा कथित द्विजों की अनुदारता की सीमा को स्पष्ट कर दिया है।

चर्चित ’चाँद‘ विशेषांक के अन्तिम परिच्छेद में दलितों की व्यथा-कथा को अभिव्यक्त करने वाले अनेक समाचार हैं। एकाधेक समाचारों में आर्यसमाज को ’दलितों की छाती लगा भाइयों, वरना ये लाल अन्यों के घर जाएँगे‘ के भाव से चिकित्सकवत् तल्लीन देखा जा सकता है। शूद्रों को यज्ञोपवीत देने, उनके साथ सहभोज करने, विभाजित गाँव के दरो-दीवार को ’एक-गाँव-एक पनघट‘ में बदलने तथा ’सर्वेंट्स ऑफ पुलिस सोसाइटी‘ ’दलितोद्धार कान्फ्रेंस में लाला लाजपतराय जी का सभापतित्त्व‘, आर्य प्रचारक लक्ष्मण रव ओघले जी का भाषण, बडोदरा नरेश सयाजी राव गायकवाड़ द्वारा दलितोद्धार सम्बन्धी कानून बनवाना, ’दलितों का आर्यसमाज में प्रवेश‘ और ’स्वामी श्रद्धानन्द दलितोद्धार पाठशालाओं के शिक्षकों का सम्मेलन‘ आदि घटनाओं और गतिविधियों में आर्यसमाज के स्वयं सेवकों तथा स्वामी दयानन्द सरस्वती के देवदूतों को सक्रिय देखा जा सकता है।

माननीय डॉ0 अम्बेडकर जी ने दलितों की व्यथा-कथाओं को अभिव्यक्त करते हुए जिन घटनाओं का आश्रय लिया है, उनमें से पचानवें (95) ˗प्रतिशत घटनाएँ उन्होंने ’तेज‘, ’अर्जुन‘, ’मिलाप‘, ’प्रताप‘ आदि आर्यसमाजी पत्रों से उद्धृत की हैं। (द्रष्टव्य-तत्कालीन इतिहास और परिवर्तित होती हुई सामाजिक परिस्थितियों के अध्ययन के लिए ’चाँद‘ (अछूत-विशेषांक) मासिक में बहुमूल्य सामग्री है। सन् 1927 के बाद 1997 में ’राधाकृष्ण प्रकाशन‘ प्राइवेट लिमिटेड, 2/37-नेताजी सुभाषचन्द्र बोस मार्ग, दरियागंज, नई दिल्ली, पिन-110002 से इस दुर्लभ संदर्भ सामग्री को प्राप्त किया जा सकता है। पत्रकारिता साहित्य तो तत्युभीन समाज का सर्वाधिक दर्पण होता है। इस विशेषांक का प्रत्येक पद, प्रत्येक पृष्ठ, प्रत्येक रचना और प्रत्येक रेखाचित्र अपने समय का अभिलेख एवं दस्तावेज है-

अस्पृश्यता-निवारण

भोला (बंगाल) में ’दास‘ जाति के कुछ हिन्दू रहते हैं, जिन्हें वहाँ के लोग दलित और अस्पृश्य समझते थे। प्रसन्नता की बात है अब वहाँ के हिन्दुओं ने अपने पुराने विचार बदल दिए हैं। हाल ही में वहाँ की ’बार लाइब्रेरी‘ में एक सहभोज हुआ था, जिसमें दास जाति के पुरुषों के साथ वहाँ के प्रसिद्ध ब्राह्मण, वैश्य और कायस्थों ने भी भोजन किया था।

अनुदारता की सीमा

बम्बई प्रान्त के महाद नामक गाँव में द्विजों द्वारा दलितों पर अत्याचार करने की खबर समाचार-पत्रों में प्रकाशित हुई है। कहा जाता है कि म्यूनिसिपैलिटी ने वहाँ के सार्वजनिक तालाबों को सर्व-साधारण के लिए खोल दिया था। इस पर वहाँ के दलित भाई एक तालाब पर स्नान करने के लिए जा रहे थे कि पीछे से कुछ द्विजों ने आक्रमण किया। जिससे बीस आदमी घायल हुए।

अस्पृश्यों से सहभोज

जबलपुर के कालीमाई के मन्दिर में हाल ही में अस्पृश्यों के साथ एक सहभोज हुआ था, जिसमें ब्राह्मण, वैश्य आदि उच्च जाति के कई सज्जन सम्मिलित हुए थे।

मेहतरों में जाग्रति

दिल्ली के मेहतरों में बराबर जाग्रति हो रही है। उन्होंने अपने मुहल्लों में वाल्मीकि सेवा-संघ स्थापित कर लिए हैं, जिनके द्वारा वे अपनी जाति में नवजीवन का संचार तथा अपनी देवियों की रक्षा करने का संगठन कर रहे हैं। क्या हम आशा करें कि अन्य स्थान के मेहतर भाई भी दिल्ली का अनुकरण करेंगे ?

सार्वजनिक जुलूसों में अछूत

अलीगढ़, बनारस आदि कई स्थानों से होली पर सार्वजनिक जुलूसों में अछूतों के सम्मिलित होने के समाचार प्राप्त हुए हैं। इस अवसर पर समस्त हिन्दू-भाइयों ने उन्हें गले लगाया और उन्हें मिठाई बाँटी।

मुसलमानों का अत्याचार

हाल ही का समाचार है कि बनारस में रैदास भाइयों की एक विराट सभा हो रही थी और उसमें जाति-सुधार तथा अधिकार-प्राप्ति के विषय में उपदेश हो रहे थे कि कोई चालीस लट्ठबन्द मुसलमानों ने उन पर आक्रमण किया। पुलिस के तुरन्त ही पहुँच जाने के कारण लड़ाई न हो सकी और गुण्डे भाग गए।

चमारों को अधिकार

भिवानी के हिन्दुओं ने चमारों को सार्वजनिक कुओं से पानी भरने की आज्ञा दे दी है। कई स्थानों पर जब वे पानी भरने पहुँचे, तो उनका हार्दिक स्वागत किया गया।

मन्दिरों में अछूत-प्रवेश

ढण्डा (राँची) के महन्त श्री रामशरणदास जी ने गत शिवरात्रि के अवसर पर अपने शिव-मन्दिर में अछूतों को प्रवेश करने की आज्ञा दे दी थी। अतः प्रातःकाल ही से बहुत से मेहतर और चमार भाई स्वच्छ वस्त्र पहनकर मन्दिर में गए और शिवरात्रि-महोत्सव मनाया।

कानपुर में अछूतोद्धार

कानपुर में हिन्दू-बाल-सभा अछूतोद्धार का कार्य बड़ी तेजी से कर रही है। उसने कई मुहल्लों में अछूतों का संगठन करने के उद्देश्य से अछूत-सभा स्थापित कर दी है। अछूत-पाठशालाएँ भी जगह-जगह स्थापित हो चुकी हैं और बराबर हो रही हैं।

चमार कॉन्फ्रेन्स

गाड़ीवाला (पंजाब) में हाल ही में एक विराट चमार-कॉन्फ्रेन्स हुई थी। उसमें सभी अछूत-जाति के लगभग दस हजार प्रतिनिधि उपस्थित थे। इस कॉन्फ्रेन्स का प्रभाव इतना हुआ कि धीरे-धीरे हिन्दुओं की कट्टरता दूर होने लगी है और वहाँ के ग्यारह सार्वजनिक कुएँ दलित जातियों के लिए खोल दिए गए हैं।

अन्त्यजोद्धार-सम्बन्धी कानून

बड़ोदा राज्य की व्यवस्थापिका सभा में वहाँ के अन्त्यज-प्रतिनिधि श्री मूलदास भूधरदास जी ने एक मसविदा पेश किया है। इस कानून के अनुसार अन्त्यजों को सार्वजनिक एवं सरकारी स्कूलों, बस्तियों, पुस्तकालयों, कचहरियों, तालाबों, कुओं, देवालयों, धर्मशालाओं आदि से लाभ उठाने का उतना ही अधिकार होगा, जितना दूसरी जातियों को है। इसके अनुसार बेगार की प्रथा बिलकुल नष्ट की दी जाएगी। अन्त्यज रोगियों की सेवा-सुश्रूषा सरकारी औषधालयों में उसी प्रकार की जाएगी, जिस ˗प्रकार कि अन्य जातियों की। इतना ही नहीं, वरन् इस कानून के उल्लंघन करने वाले व्यक्ति यदि सरकारी नौकर हों, तो नौकरी से अलग कर दिया जाएगा और यदि कोई गैरसरकारी आदमी इसके विरुद्ध आचरण करेगा, तो 500) रुपये एक अर्थ-दण्ड (जुर्माना) किया जाएगा।

विराट् सभा

हाल ही में कलकत्ता में अखिल भारतवर्षीय रैदास (चमार) सभा हुई थी। उसमें लगभग पाँच हजार रैदास भाई उपस्थित थे और उच्चवर्ण के सज्जनों ने भी उसमें भाग लिया था। सभा में शराब और गो-मांस त्याग करने के सम्बन्ध में कई उपयोगी प्रस्ताव स्वीकृत हुए।

रोहतक में जागृति

हाल ही में रोहतक के दानक लोगों की एक विराट् सभा स्वामी रामानन्द जी के सभापतित्व में हुई थी। इस सभा में राजपूताना, जीन्द, हिसार, करनाल, गुड़गाँव, दिल्ली आदि स्थानों के दानक कई सहस्र की संख्या में उपस्थित थे। सभा में कई एक विद्वानों के सुधार-सम्बन्धी भाषण हुए तथा कई उपयोगी प्रस्ताव स्वीकृत हुए।

बरासत कॉन्फ्रेन्स

हाल ही में बरासत (बंगाल) अछूत कॉन्फ्रेन्स का तीसरा अधिवेशन श्री पीयूषकान्ति घोष (सम्पादक-अमृत बाजार पत्रिका) की अध्यक्षता में हुआ था। इस कॉन्फ्रेन्स में कलकत्ता आदि स्थानों के कई प्रतिष्ठित व्यक्ति सम्मिलित हुए थे। उसमें कई प्रस्तावों के अतिरिक्त अस्पृश्यता-निवारण, शिक्षा-प्रचार और दलितोद्धार सम्बन्धी उपयोगी प्रस्ताव स्वीकृत हुए। इन प्रस्तावों का समर्थन उच्च वर्ण के नेताओं ने भी किया।

अछूतों का मन्दिर-प्रवेश

विक्रमपुर (ढाका) इलाके के ˗प्रसिद्ध ग्राम वज्रयोगिनी में अस्पृश्यों को मन्दिर-प्रवेश का अधिकार दे दिया गया है। हाल ही में अस्पृश्यों ने मन्दिर में जाकर पूजा की और उच्च वर्ण के हिन्दुओं ने उनके साथ बैठकर जल और मिष्ठान्न ग्रहण किया। उसी दिन सन्ध्या को एक विराट् सभा हुई, जिसमें अस्पृश्यता-निवारण पर जोरदार भाषण हुए और दलित भाइयों को समान अधिकार प्रदान करने पर जोर दिया गया।

गुड़गाँव दलितोद्धार कॉन्फ्रेन्स

हाल ही में गुड़गाँव जिला बल्लभगढ़ में दलितोद्धार कॉन्फ्रेन्स बड़े समारोह और उत्साह के साथ हुई। सभापति का आसन डॉक्टर मुंजे ने सुशोभित किया था तथा शाहपुराधीश श्री सरनाहर सिंह, कुँवर रणंजय सिंह, डॉक्टर केशवदेव शास्त्री, स्वामी रामानन्द जी प्रभृति सज्जन भी कॉन्फ्रेन्स में सम्मिलित हुए थे और उसमें योग दिया था। कॉन्फ्रेन्स में अस्पृश्यता-निवारण, बेगार बन्द करने आदि के सम्बन्ध में प्रस्ताव स्वीकृत हुए।

अछूतों को अधिकार

हाल ही में बम्बई प्रान्तीय व्यवस्थापिका सभा में प्रश्न करने पर वहाँ के स्वायत्त शासन-विभाग के मन्त्री महोदय ने सूचना दी है कि सरकार ने अपने कर्मचारियों को ताकीद कर दी है कि वे कौन्सिल के उस प्रस्ताव को अमल में लावें, जिसमें कि अछूत जातियों को सार्वजनिक कुएँ, तालाब और संस्थाएँ प्रयोग में लाने का अधिकार दिया है।

अमरावती में विराट् सभा

हाल ही में अमरावती के गणेश थियेटर में वहाँ की हिन्दू-सभा की ओर से एक सार्वजनिक सभा हुई थी, उसमें सभी विचार के हिन्दू सम्मिलित हुए थे। सभा में महारों की उपस्थिति कई हजार की थी। सभापति का आसन पर एम0 बी0 जोशी भूतपूर्व उप-प्रधान मध्य-प्रान्तीय व्यवस्थापिका सभा ने ग्रहण किया था। श्री पं0 लक्ष्मणराव ओघले शास्त्री, श्री बी0 जी0 खापर्डे आदि माननीय व्यक्तियों ने अस्पृश्यता-निवारण पर जोरदार भाषण दिए। सभा में सब को तिल-गुड़ बाँटे गए, जिन्हें सब लोगों ने खाया।

सर्वेण्ट ऑफ प्युपिल सोसाइटी

सर्वेण्ट ऑफ प्युपिल सोसाइटी ने हाल ही में अपनी सात वर्ष की रिपोर्ट प्रकाशित की है। उससे प्रतीत होता है कि उक्त सोसाइटी ने पंजाब तथा संयुक्त-प्रान्त में अछूतोद्धार का बहुत कार्य किया है। जहाँ उच्च वर्ण के हिन्दू वाल्मीकि (भंगियों) की परछाई तक से बचते थे, वहाँ लाहौर जैसे विशाल नगर में उनके बड़े-बड़े जुलूस निकलते हैं और उच्च वर्ण के हिन्दू उनका हार्दिक स्वागत करते हैं। इसी प्रकार कई स्थानों में उक्त सोसाइटी के प्रचार के फलस्वरूप हिन्दुओं में जागृति हो रही है। हाल ही में सोसाइटी का वार्षिक अधिवेशन बड़े-समारोह से मनाया गया था। जिसके साथ-साथ एक वाल्मीकि कॉन्फ्रेन्स भी हुई। कॉन्फ्रेन्स के सभापति थे सुविख्यात दानवीर सेठ जमनालाल जी बजाज।

दलितोद्धार शिक्षक-सम्मेलन

गत 10 अप्रैल को श्री श्रद्धानन्द दलितोद्धार सभा की पाठशालाओं के शिक्षकों का सम्मेलन बुलन्दशहर में हुआ था। सभापति का आसन प्रोफेसर परमात्माशरण जी एम0 ए0 ने सुशोभित किया था। उसमें दलितों की शिक्षा के विषय में कई उपयोगी प्रस्ताव स्वीकृत हुए।

अछूतों को अधिकार

कुम्भ के अवसर पर महामना पं0 मदनमोहन मालवीय के सभापतित्व में अखिल भारतवर्षीय सनातनधर्म सभा का वार्षिक अधिवेशन हुआ था। उसमें अछूत कहलाने वाली दलित जातियों के देवस्थान में प्रवेश करने और सार्वजनिक कुओं आदि से जल भरने में बाधा न देने के सम्बन्ध में कई प्रस्ताव स्वीकृत हुए।

दलितों का आर्यसमाज-प्रवेश

हाल ही में बिजनौर जिले के गोविन्दपुर तथा सदाफल गाँव के लगभग 80-90 चर्मकारों ने आर्यसमाज में प्रवेश किया। बिजनौर जिले की आर्यसमाज द्वारा उनका संस्कार कराया गया, जिसमें स्त्री-पुरुषों ने हवन किया। तत्पश्चात् सहभोज हुआ।

अखिल भारतीय अछूतोद्धार कॉन्फ्रेन्स

गत 17 अप्रैल को हिन्दू-महासभा के अवसर पर पंजाब-केशरी लाला लाजपतराय जी के सभापतित्व में अखिल भारतवर्षीय अछूतोद्धार कॉन्फ्रेन्स हुई। स्वागताध्यक्ष ने महात्मा गाँधी के नेतृत्व में अस्पृश्यता-निवारण का आन्दोलन जारी करने को कहा और लाला लाजपतराय जी ने अपने भाषण में अछूत के कलंक की घोर निन्दा करते हुए उसे धो डालने की अपील की। उपरान्त अछूतोद्धार सम्बन्धी कई परमोपयोगी प्रस्ताव स्वीकृत हुए। उनमें दलित-श्रेणियों को शिक्षा एवं सरकारी नौकरी के विषय में समान अधिकार दिए जाने और सार्वजनिक कुओं को उनके लिए खोल देने का कहा गया है।

 

बनारस अछूत-सम्मेलन

गत 27 अप्रैल को चौब॓पुर में बनारस जिला अछूत-सम्मेलन श्री नरेन्द्रदेव जी के सभापतित्व में बड़े समारोह के साथ हुआ। इस अवसर पर श्री गणेशशंकर जी विद्यार्थी, श्री बिहारीलाल जी चर्मकार आदि कई प्रतिष्ठित सज्जन उपस्थित थे। सभापति महोदय ने अपने भाषण में कहा कि यदि हम अछूतों को नहीं अपनाएँगे, तो हमारे हिन्दू-धर्म, हिन्दू-जाति एवं हिन्दू-सभ्यता का शीघ्र नाश हो जाएगा। सम्मेलन में अछूतोद्धार सम्बन्धी कई उपयोगी प्रस्ताव स्वीकृत हुए। जिनमें अछूतों को सार्वजनिक अधिकार देने एवं उनमें शिक्षा-प्रचार करने आदि पर जोर दिया गया।

अस्पृश्यता-निवारण का समर्थन

हाल ही में कलकत्ता में अखिल भारतीय अग्रवाल महासभा का वार्षिक अधिवेशन हुआ था। उसके सभापति श्री नेवटिया जी ने अपना भाषण देते हुए अग्रवाल-समाज से अस्पृश्य जाति को सुधारने तथा अस्पृश्यता को दूर करने को अपील की।

 

हिन्दू-महासभा और अछूत

गत ईस्टर की छुट्टियों में डॉक्टर मुंजे के सभा-सतीत्व में हिन्दू महासभा का दसवाँ अधिवेशन पटना में हुआ। सभापति महोदय ने धर्मशास्त्र के कथनों को उद्धृत करते हुए अस्पृश्यता की निःसारता प्रकट की। महासभा में अछूत जाति के सम्बन्ध में कई उपयोगी प्रस्ताव स्वीकृत हुए और उन्हें सार्वजनिक अधिकार देने पर जोर दिया गया।

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