Cows Nutrition and Food Security
RV 6.54
ऋषि: -भारद्वाजो बार्हस्पत्य: , देवता पूषा:
- सं पूषन् विदुषा नय यो अञ्जसानुशासति । य एवेदमिति ब्रवत् ॥ ऋ6.54.1
Oh Pushan –Lord of Nutrition- lead us to the wisdom with clarity about our nutrition.
हे पूषन देवता, हमारी पोष्टिकता के लिये विस्तृत ज्ञान का उपदेश दो
2. समु पूष्णा गमेमहि यो गृहाँअभिशासति। इम एवेति च ब्रवत् ।। ऋ6.54.2
पूषन देवता के अनुसार गृहस्थों के लिए घरों मे गौपालन ही पौष्टिकता का अत्योत्तम साधन है.
It is the divine wisdom that a house cow is the perfect strategy for best of nutrition.
3. पूष्णश्चक्रं न रिष्यति न कोशोऽव पद्यते ।नो अस्य व्यथते पवि: ॥ ऋ 6.54.3
The wheel of the chariot of nutrition by cows is never stuck in ground and comes to harm nor is there any trouble or suffering in its movement.( Cows go through a natural cycle of calving milk giving getting pregnant drying off and calving again. But no harm comes to the nutrition cycle and it does not suffer.)
गोपालन मं ग्याभन होने के कुछ समय पश्चात दूध की मात्रा कम हो सूख कर कर पुन: संतानोत्पत्ति का चक्र क्रम पूषन व्यवस्था में कोइ व्यवधान नहीं हैं.
4. यो अस्मै हविषाविधन्न तं पूषापि मृष्यते। प्रथमो विन्दते वसु ।। ऋ 6.54.4
जो इस गोपालन यज्ञ में समर्पित भावना से गोसेवा करते हैं उन की पौष्टिकता में कभी कमी नहीं होती और उन की समृद्धि निश्चित होती है.
Those who dedicate themselves to taking care of their cows appropriately are blessed immensely with great riches.
5. पूषा गा अन्वेतु न: पूषा रक्षत्वर्वत: । पूषा वाजं सनोतु न: ।। ऋ 6.54.5
हमें गोपालन का उत्तम ज्ञान और सुविधाएं प्राप्त हों जिस से हमारी पौष्टिकता और बल बना रहे
We pray to have the wisdom and means to protect and nurture our cows and horses appropriately to ensure good nutrition and strengths. ..
6. पूषन्ननु प्र गा इहि यजमानस्य सुन्वत: । अस्माकं स्तुवतामुत ।। ऋ6.54.6
यजमान की गोसेवा और स्तुति के फलस्वरूप गो दुग्ध से उत्तम शिक्षित सुंदर वाणी प्राप्त हो.
Dedicated well managed care of the cows provides excellent quality of milk and ensure amiable speech and temperaments.
7. माकिर्नेशन्माकीं रिषन्माकीं सं शारि केवटे ।अथारिष्टाभिरा गहि ।। ऋ6.54.7
हमारी गौएं जो गोचर में स्वपोषन के लिए जाती हैं, किसी कुएं इत्यादि में गिर कर आहत न हों और सुरक्षितघर लौट आएं.
Cows as they go to pastures should be able to return safely without suffering any accidents there. (pastures should be well managed to ensure safety of the foraging cows.)
8. शृण्वन्तं पूषणं वयमिर्यमनष्टवेदसम् । ईशानं राय ईमहे ।। ऋ 6.54.8
विद्वत्जनों से पौष्टिकता के बारे मे ज्ञानप्राप्त करें जिस से निर्बलता दूर हो कर समृद्धि प्राप्त हो.
Learn the science of nutrition from experts to protect you from loss of vitality and have good life.
9. पूषन् तव व्रते वयं न रिष्येम कदा चन । स्तोतारस्त इह स्मसि।। ऋ6.54.9
उत्तम शिक्षा द्वारा उपयुक्त आहार के नियमों का सदैव पालन कना चाहिए.
By good learning and education, in the observance of good nutritional habits one should never be lax.
10. परि पूषा परस्ताध्दस्तं दधातु दक्षिणम् । पुनर्नो नष्टमाजतु ।। ऋ 6.54.10
जहां हम अपने दक्षता पूर्ण कर्म से पौष्टिकता के लिए उत्तम गोपालन और खाद्यान्न का प्रबंध करते हैं,वहां हमें साथ साथ जो पीछे कुछ त्रुटि के कारण अनिष्ट हो गया हो तो उसे भी सुधारने का कार्य करें.
On one hand while we exercise all our knowledge and skills in the management and production of excellent nutritive food products, on the other hand side by side we should also rectify if any mistakes have krept in our programs.
- मातेति गामुपस्पृश्य जपन् गास्तु समश्नुते । वचोविदमिति त्वेतां जपन् वाचं समश्नुते ॥ ऋग्विधान 2.187
जिन की गोपालन द्वारा उत्तम गोवंश और गोपालने के परिणाम स्वरूप उत्तम वाणि की इच्छा हो वे गौ माता को स्पर्ष करते हुए ‘माता रुद्राणाम, वचो विदम्’ से आरम्भ होने वाले ऋग्वेद सूक्त 8.101 के 15, 16 मंत्र का जप करें
He who desires good Cows & obtain gracious speech by grace of cows should while touching the cow, utter Rigved Sookt 8.101.15-16 beginning with ‘मातारुद्राणाम’ & ‘वचोविदम्’ – Rigvidhaan 2.187