Category Archives: आचार्य श्रीराम आर्य जी

बादल जो जमीन और आसमान के बीच में है।

बादल जो जमीन और आसमान के बीच में है।

आसमान की विस्तार पूर्वक व्याख्या करें।

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

इन-न फी खल्किस्समावाति………।।

(कुरान मजीद पारा २ सूरा बकर रूकू २० आयत १६४)

बादल जो (खुदा के हुक्त से) आकाश और धरती के बीच में घिरे रहते हैं।

समीक्षा

हमारी निगाह में यह वाक्य गलत है अथवा खुदा अज्ञानी था क्योंकि जमीन के चारों ओर शून्य आकाश है, कहीं भी कोई ठोस पदार्थ आकाश नाम का नहीं है। जिसके ऊपर कोई हद मान ली जावे और जमीन व आसमान की दो हदों के बीच में बादलों को माना जावे। उचित होता यदि यह लिखा जाता कि-

‘‘धरती के ऊपर आकाश में बादल घिरे रहते हैं।’’

यह साधारण सी बात तो चौथे दर्जे का विद्यार्थी भी जानता है, पर कुरान लिखने वाला अरबी खुदा इतनी सी बात भी नहीं समझता था, घोर आश्चर्य की बात है।

पत्थर भी डर जाते हैं

पत्थर भी डर जाते हैं
क्या बेजान अर्थात् जड़ पदार्थ भी डर सकते हैं डरने के लिए चेतनता की आवश्यकता होती है। कुरान की इस आयत को उचित होना साबित करें
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
सुम्-म क-सत् कुलूबुकुम् मिम्बअ्दि……।।
(कुरान मजीद पारा १ सूरा बकर रूकू ९ आयत ७४)
….. और बाज पत्थर ऐसे भी हैं जो अल्लाह के डर से गिर पड़ते हैं।
समीक्षा
डर उसे लगता है जिसमें दिल व दिमाग होता है और वह चेतन व जानदार होता है। पत्थर तो बेजान अर्थात् जड़ पदार्थ है, ‘‘पत्थर का खुदा से डरना’’ ऐसा लिखना कम समझी की बात है। पता नहीं अरबी खुदा इतनी सी मोटी बात भी क्यों नहीं समझता था?

खुदा फौज लेकर लड़ने गया

खुदा फौज लेकर लड़ने गया

खुदा जब फौज लेकर लड़ने गया तो वह मदद के लिये फौजों का मुहताज रहा। इन्सान के मुकाबिले पर खुदा सेना के साथ लड़ने जावे तो वह खुदा कादिरेमुतलक अर्थात् सर्वशक्तिमान कैसे रहा?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

इज यूही रब्बु-क इलल्-मला इकति…………।।

(कुरान मजीद पारा ९ सूरा अन्फाल रूकू २ आयत १२)

ऐ पैगम्बर! यह वक्त था जब कि तुम्हारा परवर्दिगार फरिश्तों को (युद्ध क्षेत्र में) आज्ञा दे रहा था कि हम तुम्हारे साथ हैं। तुम मुसलमानों को जमाये रखो, हम जल्द काफिरों के दिलों में डर डाल देंगे, बस! तुम इनकी गर्दनें मारो और इनके टुकड़े कर डालो।

समीक्षा

खुदा आदमियों से फरिश्तों की फौज लेकर लड़ाई के मैदान में लड़ने जाया करता था और अपनी कायर फौज की हिम्मत बंधाता था, यह बात भी अरबी कुरानी खुदा की असलियत को खोलने वाली है। अतः कुरान खुदा को सर्वशक्तिमान नहीं मानता है।

इस्लामी खुदा भी एक मामूली सेनापति अर्थात सिपहसालार जैसा ही था। इन्जील में प्रकाशित वाक्य नाम के अध्याय ९ वाक्य १६ में लिखा है कि-

‘‘खुदा के पास बीस करोड़ घुड़सवार सेना रहती है’’

और फौजें कितनी हैं? यह नहीं बताया है किन्तु अरबों खरबों से क्या कम होंगी?

यह फौजें खुदा की रक्षा के लिये उसके पास रहती हैं। यदि यह न हों तो हो सकता है कि दुश्मन खुदा पर हावी हो जावें।

खुदा तख्त पर बैठता है

खुदा तख्त पर बैठता है

यदि तख्त पर खुदा बैठता है तो तख्त खुदा से बड़ा होगा। यदि खुदा बड़ा होगा तो तख्त के इधर-उधर लटकता रहेगा। बतावें कि तख्त है या खुदा?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

अ्ल्ल जी ख-ल-कस्समावाति……….।।

(कुरान मजीद पारा १९ सूरा फूर्कान रूकू ५ आयत ५९)

जिसने जमीन और आसमान को, जो कुछ आसमान और जमीन के बीच में है उसे छः दिन में पैदा किया और फिर आसमानी तख्त पर जा बैठा।

वल्म लुक अला अरजाइहा………….।।

(कुरान मजीद पारा २९ सूरा हाक्क रूकू १ आयत १७)

(कयामत के दिन) तुम्हारे परवर्दिगार के तख्त को आठ फरिश्ते अपने ऊपर उठाये हुए होंगे।

समीक्षा

कुरान में खुदा के लेटने, खड़े होने, आराम का कोई जिक्र नहीं किया गया है हर समय हजारों, लाखों या करोड़ों सालों तक बैठे रहने से बीमारी हो जाना, कमर दर्द होना, कमर का रह जाना आदि स्वाभाविक है। यह तो एक तरह की सजा जैसी बात है। पर यहूदियों की एवं कुरान की मान्य ‘‘पुस्तक तौरेत में उत्पत्ति ३-९’’ से खुदा का रोजाना सबेरे अदन के बाग में (स्वास्थ्य ठीक रखने को) टहलने के लिए जाने का वर्णन दिया गया है।

खुदा जन्नत अर्थात् स्वर्ग में रहता है:

खुदा जन्नत अर्थात् स्वर्ग में रहता है:
आचार्य डाँ. श्रीराम आर्य
खुदा जन्नत अर्थात् स्वर्ग में रहता है जब खुदा जन्नत में रहता है, तो जन्नत खुदा की अपेक्षा लम्बाई चैड़ाई में बड़ी साबित हो गई। अगर खुदा सावतें आसमान पर रहता है तो आसमान भी खुदा से बड़ा हो गया। जबकि खुदा से बड़ा दुनियां में कोई नहीं है यह बात गलत सिद्ध हो गई? खुदा सर्वव्यापक (हाजिर-नाजिर) भी नहीं रह गया। कुरान की यह आयत खुदा की महानता पर बट्टा लगाती है। देखिये कुरान में कहा गया है कि- इन्नल् मुत्तकी न फी……………..।। (कुरान मजीद पारा २७ सूरा कमर रूकू ३ आयत ५४) परहेजगार जन्नत के बागों में और नहरों में होंगे। फी मक्-आदि सिद्किन…………।। (कुरान मजीद पारा २७ सूरा कमर रूकूं ३ आयत ५५) सच्ची बैठक में बादशाह अर्थात् खुदा के पास जिसका सब पर कब्जा है, बैठेंगे। समीक्षा इससे प्रगट है कि अरबी इस्लाम का खुदा सारे विश्व में व्यापक नहीं है, बल्कि केवल जन्नत अर्थात् स्वर्ग में अपने मकान के अन्दर रहता है।

कुरआन में जन्नत अर्थात् स्वर्ग में सुन्दरी अछूती औरतों, गिलमों अर्थात् लोंडों व शराब आदि का प्रलोभन

यह एक ऐतिहासिक सत्य है कि कुरान शरीफ की रचना इस्लाम मत के आदि प्रवर्तक हजरत मौहम्मद साहब ने खुदा की ओर से मक्का और उसके आस-पास के रहने वालों को दोजख आदि के भय एवं जन्नत अर्थात् स्वर्ग में सुन्दरी अछूती औरतों, गिलमों अर्थात् लोंडों व शराब आदि का प्रलोभन देकर इस्लाम में लाने के लिए अरबी जुबान में की थी। यह बात कुरान के अन्दर खुले शब्दों में कही गई है, देखो- कुरान मजीद पारा ७ सूरा अन्आम रूकू ११ आयत १२, कुरान मजीद पारा २५ सूरा शूरा रूकू १ आयत ७, कुरान मजीद पारा २५ सूरा जुखरूफ रूकू १ आयत ४, कुरान मजीद पारा १२ सूरा यूसुफ रूकू १ आयत २, तथा हमारे १७६ प्रश्न व उनके आलोच्य स्थल, कुरान हजरत मौहम्मद साहब की ही रचना है इस विषय में उनके ही शब्द इसे प्रमाणित करते हैं देखो- कुरान मजीद पारा १० सूरा तौबा रूकू ५ आयत ३०, कुरान मजीद पारा ११ सूरा हूद रूकू ५ आयत ३५ कुरान मजीद पारा ३ सूरा बकर रूकू ३३ आयत २५२ कुरान मजीद पारा २६ सूरा अहकाफ रूकू २ आयत ८ से ११, इस पर भी कुरान का दवा है कि- ‘‘कुरान खुदाई किताब है’’ और उसमें जो कुछ भी लिखा है वह सब सत्य है देखो- कुरान मजीद पारा २४ सूरा हामीम सज्दह रूकू ५ आयात ४२, कुरान मजीद पारा १५ सूरा कहाफ रूकू १ आयत १, मौजूदा कुरान असली है या नकली? इसकी जाँच की भी एक कसौटी कुरान में दे दी गई है कि- ‘‘जिस कुरान से मुर्दें जिन्दा होकर बोलने लगें जमीन के टुकड़े हो जावें और पहाड़ चलने लगें’’ बस! वही असली सच्चा कुरान होता है देखो – कुरान मजीद पारा १३ सूरा राद रूकू ४ आयत ३१, कुरान मजीद पारा २८ सूरा हशर रूकू ४ आयत २१, किन्तु इस पक्की कसौटी पर भी कुरान पूरा खरा नहीं उतरता है। अतः मौजूदा कुरान असली साबित नहीं होता है। देखिऐ कुरान में लिखा है कि- आसमान में ओलों के पहाड़ जमे हुए हैं। कुरान मजीद पारा १८ सूरा नूर रूकू ६ आयत ४३, आसमान जमीन पर गिरने से रूका हुआ है- कुरान मजीद पारा १७ सूरा हज्ज रूकू १ आयत ६५ सूरज और चाँद जमा किये जायेंगे। कुरान मजीद पारा २९ सूरा कयामत रूकू २ आयत १, आसमान की खाल खींची जावेगी। कुरान मजीद पारा ३० सूरा तकवीर रूकू २ आयत ११, आसमान कागज की तरह लपेटा जायेगा। कुरान मजीद पारा १७ सूरा अम्बिया रूकू ७ आयत १०४, सूरज काली कीचड़ के तालाब में डूबता है। कुरान मजीद पारा १६ सूरा कहफ रूकू ११ आयत ८६, कुरान के इन ऊट पटागं अनेक स्थलों को देखकर हमारे मन में यह बात पैदा हुई कि कुरान के बुद्धि विरूद्ध, विज्ञान विरूद्ध सृष्टि नियम तथा इतिहास विरूद्ध साथ ही परस्पर विरूद्ध कुछ स्थलों को मय समीक्षा के पुस्तकाकार प्रस्तुत करें उन पर अपनी शंकाओं को प्रश्नों के रूप में पेश करके संसार के कुरान मर्मज्ञों को समाधान के लिए आह्नान करें। हमने सैकड़ों ऐसे स्थलों में से केवल नमूने के रूप में १७६ स्थल ही इस पुस्तक में संग्रहीत किये हैं इतने मात्र से ही कुरान की स्थिति स्पष्ट हो जावेगी। पुस्तक में दी गई विषय से उन स्थलों के शीर्षक का पता लग जावेगा। प्रश्नाली मे १७६ प्रश्नों के नम्बर के क्रमानुसार ही आलोच्य स्थलों को भी साथ-साथ दिया गया है। कुरान अरबी सभ्यता का ग्रन्थ है। उसका निर्माण केवल अरब वालों के लिए ही हुआ था। यह बात स्वयं कुरान में ही लिखी गई है। उसमें ईश्वरीय ज्ञान की कोई भी बात हमको नहीं मिल सकी है। हम चाहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति जो भी कुरान को पढ़े वह अन्धविश्वास को त्याग कर खुले दिल-ओ-दिमाग से पढ़े और सच्चाई को ग्रहण करे। क्योंकि अन्ध-विश्वास के साथ किसी भी बात को बिना परीक्षा के मानने से सच्चाई से दूर भागना होता है। आशा है इस पुस्तक को पढ़कर कुरान के विद्वान हमारे प्रश्नों पर गम्भीरता पूर्वक विचार करके समुचित उत्तर देने का कष्ट करेंगे अथवा सच्चाई को स्वीकार करेंगे। (कासगंज-उ.प्र.) निवेदक- ‘‘डाक्टर श्रीराम आर्य’’ (प्रश्नकर्ता एवं समीक्षक)