अक्सर बुद्ध मत के समर्थक ओर नास्तिक अम्बेडकरवादी सनातन धर्म पर अंधविश्वास का आरोप लगाते है ,ओर खुद को अंधविश्वास रहित बताते बताते नही थकते है ..लेकिन हद तो तब कर देते है जब वेदों पर भी अंधविश्वास का आरोप लगाते है ..यहाँ हम बुद्ध मत में वर्णित विभिन्न तरह के अंधविश्वास ,काल्पनिक बातें और आडम्बर के बारे में बतायेंगे ..बुद्धो में हीनयान,महायान ,सिध्यान ,वज्रयान नाम के कई सम्प्रदाय है इन सभी में अंधविश्वास आपको मिल जायेगा …
बुद्धो में भूत ,पिशाच के बारे में अंध विश्वास :-
एक समय की बात है कि मुर्रा नाम की एक भूतनी ने भेष बदल कर बुद्ध से प्रेम का इकरार किया लेकिन बुद्ध ने मना कर दिया ,,उसने नृत्य ,श्रृंगार ,रूप आदि से बुद्ध को लुभाने की खूब कोसिस की लेकिन बुद्ध ने उसकी एक न मानी ..तब क्रोधित मुर्रा भूतनी ने बुद्ध पर आक्रमण किया लेकिन उसके सारे हमले निष्फल हो जाते है ..फिर वो भूतनी अपने भूत प्रेतों के टोले के साथ आक्रमण करती है ..लेकिन बुद्ध पर इन सबका कोई प्रभाव नही होता है और फिर सभी भूत और भूतनिया बुद्ध के आगे झुक जाती है ..और बुद्ध इन्हें मोक्ष प्रदान करते है ..
अब इस काल्पनिक कहानी से निम्न प्रश्न उठते है :-
क्या बुद्ध मत भूत ,प्रेत को मानता है ..
क्या कोई आत्मा किसी के प्रति आकर्षित हो सकती है ..
क्या आत्मा भूत आदि सम्भोग की इच्छा कर सकते है ..
इसी तरह प्रेतवत्तु सूक्त के अनुसार जब कोई व्यक्ति तपस्या करते भिक्षु को कंकड़ मारता है तो वो प्रेत बन जाता है ..इसी सूक्त में एक और प्रेतनी का वर्णन है जो कि गंगा के पास पानी पीने जाती है और उसे नदी का पानी लहू दिखने लगता है ……
इस तरह की अनेक भूत पिशाचो की बातें बुद्ध मत में मिलेगी ………………………………………………..
बुद्ध मत में आडम्बर :-
(१)प्रार्थना चक्र :-
चित्र में बुद्ध भिक्षुओ के पास एक प्रार्थना चक्र है जिसे ये घुमाते रहते है ,,आइये जानते है प्रार्थना चक्र के बारे में
ये हाथ में पकड़ कर घुमाने की साइज़ से लेकर १०० फिट का होता है …जिसे गूगल पर बुद्ध प्रेयर व्हील नाम से खोज कर देख सकते है …
इस पर संस्कृत में लिखा होता है ,ॐ मणि पद्मे हुम् “
इनका मानना है कि चक्र को घुमाने से मन पवित्र होता है और पुण्य प्राप्त होता है …भूत प्रेत आदि नकाराताम्क उर्जाये दूर होती है ..
इस चक्र को घडी की दिशा में घुमाने से ध्यान अच्छे से लगता है और विपरीत दिशा में घुमाने से तंत्र में सफलता मिलती है …यदि कोई जानवर भी इसकी छाया से गुजरे तो उसे भी अध्यात्म की प्राप्ति होती है ….
अब ये बात लोग खुद सोचे क्या चक्र से भूत भाग सकते है ?
क्या चक्र से अध्यात्मिक सुख की अनुभूति हो सकती है ?
इससे पता चलता है कि बुद्धो में कितना पाखंड भरा है ..इसी तरह ये लोग बुद्ध के भिक्षा पात्र की भी पूजा करते है … विमानवत्थु सूक्त के अनुसार स्तूप (मठो आदि ) पर माला अर्पण करने से शांति और अध्यात्म ,सुख की प्राप्ति होती है …अब अन्धविश्वासी बुद्धो से कोई पूछे की अच्छे कर्मो से सुख ,अध्यात्म आएगा या माला आदि ढोंगो से ..
बुद्ध द्वारा काल्पनिक चीजों का निर्माण :-
बुद्ध वंस के रतनचंगमनण्ड के अनुसार धम्मप्रवर्तक चक्र चलाने से पहले बुद्ध बुद्ध जादू से रत्नों और मणियो से सुसज्जित रत्न खचित चक्रमण भूमि का निर्माण करते है …
अशोकवंदन अनुसार उसने पिछले जन्म में 500 हिरनों की ऑंखें फोड़ दी थी
फलस्वरूप
वह पैदा तो आँखों के साथ हुआ पर उसके आँखों की रौशनी चली गई बाद में
कैसे गई इसपर कई कहानी है
बाद में एक अरहंत या एक सिद्ध बोध भिक्षु ने अपनी शक्तियों से कुनाल की आंखे ठीक करदी …
महा बौधि मंदिर में स्थापित बुद्ध की मूर्ति का सम्बन्ध ये लोग स्वयं बुद्ध से बताते है ..कहा जाता है कि इसमें बुद्ध की आकर्षण मूर्ति की स्थापना करने का विचार किया गया लेकिन कोई ऐसा शिल्पकार नही मिला जो बुद्ध की मूर्ति बना सके ..
सहसा एक व्यक्ति आया और उसने बुद्ध की मूर्ति बनाने की बात कही लेकिन इसके लिए उसने कुछ शर्त भी रखी …कि उसे पत्थर का एक स्तम्भ और लेम्प दिया जाये ..
उसकी एक और शर्त थी कि उसे ६ महीनो का समय दिया जाए और उससे पहले कोई भी मंदिर का दरवाजा न खोले ……
उसकी शर्त मान ली गयी..लेकिन व्याकुल ग्राम वासियों ने तय समय से ४ दिन पहले मंदिर के द्वार खोल दिए ..उन्होंने मंदिर में एक आकर्षित मूर्ति देखि .जिसका हर अंग आकर्षित था सिवाय छाती के क्यूँ की छाती वाला भाग अभी तक नही तराशा गया था …
कुछ समय बात बुद्ध भिक्षु इस मंदीर में रहने लगे और एक बुद्ध भिक्षु के सपने में आकर भगवन बुद्ध बोले की ये मूर्ति उन्होंने बनाई है …..
इसी तरह की कई काल्पनिक बातें बुद्ध साहित्यों और बुद्धो द्वारा प्रचारित की जाती है जिससे अंधविश्वास को बढवा मिलता है ….
भविष्यवाणी ओर भाग्यवाद सम्बंधित पाखंड :-
उपरोक्त चित्र लाफिंग बुद्ध का है ,,जिसे ये बुद्ध लोग ये मानते है कि घर में रखने से सुख समर्धि और शांति प्राप्त होती है …अब भला बिना पुरुषार्थ के एक जड़ से सुख शांति कैसे मिल सकती है ये बात तो यही बुद्ध जानते होंगे …
इनता ही नही ये बुद्ध किसी भी व्यक्ति की भविष्यवाणी भी कर देते थे ..पुब्बकम्मपिलोतिक बुद्ध अपदान में बुद्ध ओर उनसे पूर्व के २४ और साथ के ३ और आगे आने वाले बुद्ध के बारे में ..उनके जीवन परिचय के बारे में है …
इसी के बुद्धपकिण्णक कण्ड के अनुसार गौतम बुद्ध आने वाले बुद्ध मेतेर्य बुद्ध की भविष्यवाणी करते है ..
(१) सरुची नाम के तपस्वी के लिए पनोमदस्सी भगवान ने भविष्य वाणी की कि यह अपने अंतिम जीवन में सारिया नाम की ब्राह्मणी की कोख से पैदा होकर सारीपुत्त नाम वाला होकर पेनी प्रज्ञा वाला होगा …यह उस समय धर्मचक्र अनुप्रवर्तक बनेगा .. (सारीपुत्तत्थेर अपदान )
(२) कोसिय नाम के जटाधारी के लिए पुदुमुतर भगवान ने भविष्यवाणी की कि यह इश्वाकू वंश के कुले गौतम शाशककाल में प्रव्रज्या प्राप्त कर उनका सुभूति नामका श्रावक होगा ..(सूभूतित्थेर अपदान )
(३) अनोम नाम के तापस के लिए पियदस्सी भगवान ने भविष्यवाणी की कि चक्षुमान गौतम बुद्ध के शासक काल में यह अभिरमण करता हुआ ,उनके धर्म को सुन कर, अपने दुखो का विनाश करेगा और सारे आसन्वो का परिज्ञान कर अनानसव होकर निर्वान प्राप्त करेगा …(हेमकत्थेर अपादान )
अब निम्न बातो को पढने से पता चलता है कि बुद्ध मत भी पाखंडियो की तरह कर्म को महत्व न दे भाग्यवाद और भविष्यवाणी में विश्वास करता है ….
संभोग योगा :-
बुद्ध मत में वज्रयान नाम की एक शाखा है .जिसमे तरह तरह के तंत्र मन्त्र होते है ..ये तरह तरह के देवी देवताओ विशेष कर तारा देवी को पूजते है …
ये लोग वाम्मार्गियो की तरह ही बलि और टोटके करते है ..इन्ही में भेरवी चक्र होता है ..जिसमे ये लोग शराब और स्त्री भोग करते है ..जिसे ये सम्भोग योग कहते है ..इनका मानना है की विशेस तरह से स्त्री के साथ योन सम्बन्ध बनाने से समाधी की प्राप्ति होती है ..इस तरह का पाखंड इन बुद्धो में भरा है ..एक महान बौद्ध राहुल सांस्कृत्यायन के अनुसार भारत में बुद्ध मत का नाश इसी वज्रयान के कारण हुआ था …………………..
आज भी थाईलैंड ,चाइना आदि वज्रयान बुद्ध विहारों पर कई नाबालिक लडकियों का कौमार्य इन दुष्ट भिक्षुओ द्वारा तोडा जाता है ……
अन्य बौद्ध पाखंड या काल्पनिक बातें :-
मझिम निकाय के अनुसार बुद्ध लाखो में विभक्त होकर एक हो जाते थे ..बुद्ध खुद को बहुत विशाल ओर खुद को चीटी जैसा छोटा भी कर लेते थे .. शीलवती बौद्ध भिक्षुणी के पैर के अंगूठे को बुद्ध देव सपने में आकर छू देते है ओर वह गर्भवती हो जाती है …
जापानी बुद्धो द्वारा एक लोक कथा प्रचलित है की एक भिक्षुणीकी जिसे ८०० नन कहा जाता है .. जापान में एक मान्यता थी की यदि कोई जलपरी का मॉस खा ले तो अमर बन जाएगा ..अब उस भिक्षुणी का नाम था याओ .याओ के पिता एक मछुवारे थे ..एक दिन उनके जाल में जल पारी फस गयी और याओ ने उसका मॉस खा लिया जिसके कारण वह अमर हो गयी तक़रीबन ८०० साल बाद वह बुद्ध की शरण में गयी और मोक्ष को प्राप्त कर गयी …
ललितविस्तर सूक्त के अनुसार बुद्ध पैदा होते ही चलने लगे थे और जहा जहा वे चलते वहा वहा कमल खिलने लगते …
इस तरह की कई अवैज्ञानिक ,स्रष्टि नियम विरुद्ध बातें बुद्ध मत में आपको मिलेगी लेकिन दुसरो के बारे में बोलने वाले नास्तिक कभी भी अपने अंधविश्वास को नही उजागर करेंगे ,,
यहा हमने बुद्धो के कुछ ही अंधविश्वास प्रस्तुत किये है ..इसके अलावा बुद्ध साहित्य और बुद्ध स्थलों ,मठो और बिहारो में तरह तरह के पाखंड देखे जा सकते है ..पाठक गण थोड़े से ही पता कर सकते है की बुद्ध मत में कितना पाखंड है ………….
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सिरी मानजी…,
आप की सुरुवात अंबेडकरी बौद्ध से शुरू हुई पर बिच में आप भटक गए आप यह भूल ही गए की अंबेडकरी बौद्ध दुनिया के बौद्ध से सर्वथा अलग है वह न तो पूर्णतः हीनयानी है न ही पुर्णतः महायानी है .बाबासाहब ने अपने आपको नवयानी कहना अधिक योग्य समझा था .
जापान के बौद्ध धर्म के अंधविश्वासों को कोसने से हिन्दू धर्म का कोई लाभ नही हो सकता , हिन्दू ओ की कुप्राथाओ को कोसने के लिए जपान के बौद्ध के पास समय नही है. अपना ज्ञान किसी अन्य धर्म के बारे में निश्चित ही अल्प होता है .हमे इस बात की शर्म आना लाजमी है की जिस धर्म की हम बात रहे है वह हमारे ही घर से दूर- सुदूर पहुँचा है . हमारे कुछेक पूर्वजो ने उसे सुरक्षित स्थान पर ला कर खड़ा किया है .
दुनिया में १४ बौद्ध घोषित राष्ट्र है तथा ५९ इस्लामी घोषित राष्ट्र है,इसकी तुलना में हम कहा खड़े है यह भी देखना जरूरी है , 2012 तक दुनिया में एक मात्र हीन्दू राष्ट्र नेपाल था . पर समय रहते आज वह भी न रह सका है . क्या हम इसके बारे में आत्म मन्थन करना जरूरी समझते है..??
pahle nirdharit kar len ki aapki man gadhant baudh kaunse hein
buddh to vaidik dharm ke hee poshak the
सही कहा आपने बड़े मान की बात है अगर कुछ लोग बौद्ध धर्म पर चलना चाहते है तो इसका ये मतलब नहीं कि उन्हें सनातन संस्कृति धर्म का अनादर करना देश से बिलुप्त हो रही संप्रदाय को जीवंत करने वाले लोग यश के पात्र है बुद्घ हमारे देश हमारी संस्कृति के महानायक रहे है उन्हें यू विलुप्त हो जाना इस राष्ट्र के लिए धर्म की बात है
हिन्दू ही था ,हिन्दू ही है, हिन्दू ही रहेगा, चौमास की घास जैसी समझ और सोच है तुम्हारी अंबेडकर और नवयान की और अन्य धर्मो ,पंथो,संतो की ,हिन्दू धर्म सृष्टि की वास्तविक जानकारी है…बाकी सब विकृत और दबी कुचले मानसिकता के दाग़, belive that …because me said only ultimate facts , follow me on FB bandichhod@gmail.com & boost your brain and power। Bbbyye.take care।
पहले श्री लिखना सीखिए, फिर तर्क करिए।
अभीतक एक बुद्ध पैदा हुए हैं, आप के बुद्ध भीमटों के बुद्ध वास्तविक बुद्ध से अलग कैसे हो गये?
आप जैसे सेकुलरों के कारण ही समाज भ्रमित हो रहा है, बँट रहा है।
आप की लेखनशैली से ही पता चल रहा है कि आप कितने बुद्धिमान हैं।
2012 से आज तक एक दृष्ट मुस्लिम देशों और अपने कथित बौद्ध देशों तथा विशेष कर चीन की वर्तमान स्थित को समझिए पता चल जाएगा उनका स्तित्व क्या है।
आप
Ek bodhki scientfic bate dekhi hai abhi. Or Islam ka to sbko pta hai. Atah niskarsh e nikla ki duniya me gand mariyio andhvisvashiyo ki sankhya sbse jyada hai
O bhatak nahi gaya hai. E reservation ki galati hai ki aap puri bat samajh nahi paya
Usne desh duniya k sb jagah k bodho k andhvishvaso ko bataya hai
Aapne bada hi sundar lekh likkha hai. Ye sab buddha ke pavitra naam par gandgi kar rahe hai. Are kaha buddha ka tatva-gyan aur kaha ye pakhandiyo ka agyan.
– Dhanyawad
Bhai….. Ap logon ne Buddh ko vishnu ka nauvan avtar ghoshit kar diya to ab aap log ye bhi sochiye ki khud apke vishnu bhagwan ne aakar bauddh dharm ki shuruwat ki to aap log bauddh dharm ko kyon nahin svikar kar lete akhir apke vishnu bhagvan ne khud aakar kaha hai aapse aisa karne ko…….
bhagwaan aur ishwar me bahut antar hota hai mere bandhu…. waise ved me avtaar nahi hota… is kaaran ham avtaar nahi maante
आप को पता नहीं है क्या कि बुद्ध ने सनातन धर्म का ही प्रचार किया था। केवल जो कुरीतियाँ उसमें थीं उसे ही त्यागने को कहा था लेकिन उनके मंतव्य को न समझ कर बौद्धिष्ट भी कुरीतियाँ समाहित करते चले गये जिनका उल्लेख पोस्ट में किया जा चुका है।
बौद्ध धर्म सनातन धर्म की ही एक शाखा है। हम लोग मूल में जल देते हैं शाखाओं में नहीं।
May your knowledge is limited our bhudha is also know as balram. It’s not your so called bhudha okay.
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Pahale hindu dharm aaya ya budh
Manwata hee dharma hai
मेरे दलित बौद्ध दोस्त ने मुझे बताया कि उसके घर पवित्रं पाठ का आयोजन था
बौद्ध भिक्षु एक दिन पहले हि आ चुके थे
ऊन बौद्ध भिक्षु ने उन्हें कहा कि आप जो कमरा मुझे दे रहे है वह शुद्ध पवित्र होना चाहिये
वहा कोई व्यक्ती प्रवेश नही करेगा या हाथ लगायेंगा
क्या किसीके छुने से कोई पवित्रता भंग हो जाती है?
अर्थात बौद्ध भिक्षु भी छुआछुत करते है
O bhatak nahi gaya hai. E reservation ki galati hai ki aap puri bat samajh nahi paya
Usne desh duniya k sb jagah k bodho k andhvishvaso ko bataya hai
Bodh jan sikh sab sampraday hai, esme hame koi prablam nahi hi to tumhe kyu
Andhvishwas se sabhee ko bachana Dharmik karya hai