आ तनिक उठ बैठ अब कुछ जागरण की बात कर लें।
अथक रहकर लक्ष्य पा ले, उस चरण की बात कर लें।।
जगत् में जीने की चाहत, मृत्यु से डरती रही है।
जिन्दगी की बेल यूँ, पल-पल यहाँ मरती रही है।।
प्राण पाता जगत् जिससे, उस मरण की बात करे लें-
अथक रह कर लक्ष्य पा ले.-
सत्य से भटका मनुज, पथा्रष्ट होकर रह गया है।
उद्दण्डता का आक्रमण, मन मौन होकर सह गया है।।
उद्दण्डता के सामने सत्याचरण की बात कर लें-
अथक रहकर लक्ष्य पा ले.-
परिश्रम से जी चुराना साहसी को कब सुहाता?
उच्च आदर्शों से युत्र्, जीवन जगत् में क्या न पाता??
साहसी बन आदर्शों के, अनुकरण की बात कर लें-
अथक रहकर लक्ष्य पा ले.-
दोष, दुर्गुण, दुर्ष्यसन का, फल सदा दुःख दुर्गति है।
सुख सुफल है सद्गुणों का, सज्जनों की समति है।।
संसार के सब सद्गुणों के संवरण की बात कर लें-
अथक रहकर लक्ष्य पा ले. –
हैं करोड़ों पेट भूखे, ठण्ड से ठिठुरे बदन हैं।
और कुछ के नियंत्रण में, अपरिमित भूषण-वसन हैं।।
भूख से व्याकुल उदरगण के भरण की बात कर लें-
अथक रहकर लक्ष्य पा ले.-
अन्न जल से त्रस्त मानव का हृदय जब क्रुद्ध होगा।
सूाी आंतो का शोषण से, तब भयानक युद्ध होगा।।
निरन्तर नजदीक आते, न्याय-रण की बात कर लें-
अथक रहकर लक्ष्य पा लें
आर्यसमाज शक्तिनगर
Bhajan