को वः स्तोमं राधति यं जुजोषथ विश्वे देवासो मनुषो यतिष्ठन।
को वोऽध्वरं तुविजाता अरं करद्यो नः पर्षदत्यंहः स्वस्तये।।
– ऋ. 10.63.6
ये स्तवन गीत बुन रहा कौन, सुन सिद्ध कर रहा गीत कौन।
गा रहा मधुर ये गीत कौन, सुन रहा गीत वह मीत कौन।।
किसने यह ऋचा रचाई हैं
मृदु भाव भंगिमा लाई हैं,
किसने स्तुतियाँ गाई हैं।
ये छेड़ रहा संगीत कौन, कर रहा सरस स्वर प्रीति कौन।
गा रहा मधुर ये गीत कौन, सुन रहा गीत वह मीत कौन।।
ज्ञानी अग्रज या अनुज सभी
जग मनन शील ये मनुज सभी
इनके शुभ कर्म पूर्ण करता
कौन हटाता अघ दनुज सभी।
हिंसा पर करता जीत कौन, दे रहा अहिंसा रीति कौन।
गा रहा मधुर ये गीत कौन, सुन रहा गीत वह मीत कौन।।
क्या तुमने कुछ अनुमान किया
हो भले अपरिमित ज्ञान किया
प्यारे उस परम पिता ने ही
वरदान पूर्ण यह गान किया।
ये छेड़ रहा संगीत कौन, यह मुखर किन्तु वह मीत मौन।
गा रहा मधुर ये गीत कौन, सुन रहा गीत वह मीत कौन।।
– अवन्तिका प्रथम, रामघाट मार्ग, अलीगढ़, उ.प्र.-202001