चोरी की सज़ा
आयशा बतलाती है-”अल्लाह के पैग़म्बर ने एक-चौथाई और उससे अधिक दीनार की चोरी करने वालों के हाथ काट डाले“ (4175)। अबू हुरैरा, पैगम्बर को यह कहते बतलाते हैं-”उस चोर पर अल्लाह की लानत है जो एक अंडा चुराता है और जिसका हाथ काट डाला जाता है। और उस चोर पर भी जो रस्सी चुराता है और उसका हाथ काट डाला जाता है“ (4185)।
हदीस में कुरान की पुष्टि ही की गई है। कुरान में कहा है-”और जो चोरी करे, वह मर्द हो या औरत, उसके हाथ काट डालो। यह उनके किये की सज़ा और अल्लाह की तरफ से इबरत है। और अल्लाह सबसे जबर्दस्त और साहिबे-हिकमत (बुद्धिमान) है“ (5/38)। अनुवादक दो पृष्ठ की एक लम्बी टिप्पणी देकर समझाते हैं कि ”इस्लाम द्वारा विहित सामाजिक सुरक्षा की योजना को दृष्टि में रखते हुए ही कुरान चोरी के लिए हाथ काट डालने की सज़ा निर्धारित करता है“ (टि0 2150)।
आयशा इसी तरह का एक और मामला बयान करती हैं। मक्का की विजय के अभियान के समय एक औरत ने कोई चोरी की। यद्यपि मुहम्मद की प्रिया उसामा बिन ज़ैद ने उसकी ओर से पैरवी की, तथापि उस औरत का हाथ काट डाला गया। आयशा कहती हैं कि ”यह एक सही प्रायश्चित था“ (4188)। अनुवादक हमें विश्वास दिलाते हैं कि इस सज़ा के बाद ”उस औरत की आत्मा में एक आश्चर्यजनक परिवर्तन आ गया“ (टि0 2152)।
author : ram swarup