हदीस : प्रक्षालन (वुज़ू)

प्रक्षालन (वुज़ू)

मुहम्मद शारीरिक स्वच्छता की आवश्यकता पर जोर देते हैं। वे अपने अनुयायियों से कहते हैं कि ”सफाई ईमान का आधा हिस्सा है“ (432) और जब तक वे ’वुजू नहीं करते‘ तब तक अशुद्धि की दशा में की गई उनकी प्रार्थना मंजूर नहीं की जाएगी (435)। किन्तु यहां अशुद्धि का अर्थ पूर्णतः कर्म-काण्डपरक है।

 

मुहम्मद अपनी पंथमीमांसा में एकत्ववादी किन्तु प्रक्षालन के मामले में त्रित्ववादी थे। वे प्रक्षालन-कर्म यों करते थे-”वे अपने हाथ तीन बार धोते थे। फिर वे तीन बार कुल्ला करते थे तथा तीन बार नाक साफ करते थे। तदुपरान्त अपना चेहरा तीन बार धोते थे। फिर दाहिनी बांह कुहनियों तक तीन बार धोते थे। फिर उसी तरह तीन बार बांयी बांह धोते थे। फिर अपना सिर पानी से पोंछते थे। फिर दाहिना पांव टखनों तक तीन बार और फिर बांया पैर टखनों तक तीन बार धोते थे।“ मुहम्मद ने कहा-”जो मेरी तरह प्रक्षालन करता है….तथा प्रार्थना के दो रकाह अर्पित करता है…..उसके पहले के सब पापों का प्रायश्चित हो जाता है“ (436)। यह प्रक्षालन विहित बन गया। मुस्लिम मजहबी कानून के अध्येताओं के अनुसार प्रार्थना के लिए किए जाने वाले प्रक्षालनों में यह सर्वांगसम्पूर्ण है। इस विषय पर मुहम्मद के आचार और विचार को बार-बार बतलाने वाली ऊपर बताई गई हदीसों जैसी 21 हदीस और हैं (436-457)।

author : ram swarup

 

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