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ये प्रेरक प्रसंग, यह किया और यह दिया: राजेन्द्र जिज्ञासु

ये प्रेरक प्रसंग, यह किया और यह दिया :- मार्च 2016 के वेदप्रकाश के अंक में श्री भावेश मेरजा ने मेरी दो पुस्तकों के आधार पर देशहित में स्वराज्य संग्राम में आर्यसमाज के बलिदानियों को शौर्य की 19 घटनायें या बिन्दु दिये हैं।

किन्हीं दो आर्यवीरों ने ऐसी और सामग्री देने का अनुरोध किया है। आज बहुत संक्षेप से आर्यों के साहस शौर्य की पाँच और विलक्षण घटनायें यहाँ दी जाती हैं।
1. देश के स्वराज्य संग्राम में केवल एक संन्यासी को फाँसी दण्ड सुनाया गया। वे थे महाविद्वान् स्वामी अनुभवानन्दजी महाराज। जन आन्दोलन व जन रोष के कारण फाँसी दण्ड कारागार में बदल दिया गया।

2. हैदराबाद राज्य के मुक्ति संग्राम में सबसे पहले निजामशाही ने पं. नरेन्द्र जी को कारागार में डाला अन्य नेता बाद में बन्दी बनाये गये।

3. निजाम राज्य में केवल एक क्रान्तिवीर को मनानूर के कालेपानी में एक विशेष पिंजरे में निर्वासित करके बन्दी बनाया गया।

4. स्वराज्य संग्राम में केवल एक राष्ट्रीय नेता को पिंजरे में गोराशाही ने बन्दी बनाया। वे थे हमारे पूज्य स्वामी श्रद्धानन्द जी।

5. जब वीर भगतसिंह व उनके साथियों ने भूख हड़ताल करके अपनी माँगें रखीं तब उनके समर्थन में एक विराट् सभा की। अध्यक्षता के लिए एक बेजोड़ निर्ाीक सेनानी की देश को आवश्यकता पड़ी। राष्ट्रवासियों की दृष्टि हमारे भीमकाय संन्यासी स्वामी स्वतन्त्रानन्द जी पर पड़ी।

सरकार उनके उस ऐतिहासिक भाषण से हिल गई। आर्य समाज के पूजनीय नेता के उस अध्यक्षीय भाषण को क्रान्तिघोष मान कर सरकार ने केहरी को (स्वामी जी का पूर्व नाम केहर सिंह-सिंहों का सिंह था) कारागार में डाल दिया। आज देशवासी और आर्यसमाज भी यह इतिहास-गौरव गाथा भूल गया।

पाठक चाहेंगे तो ऐसी और सामग्री अगले अंकों में दी जायेगी। मेरे पश्चात् फि र कोई यह इतिहास बताने, सुनाने व लिखने वाला दिख नहीं रहा। श्री धर्मेन्द्र जिज्ञासु इस कार्य को करने में समर्थ हैं यदि……..