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वे ऐसे व्यक्ति थे

वे ऐसे व्यक्ति थे

1908 की घटना होगी। पंजाब विश्वविद्यालय सेनिट के चुनाव हुए। डी0ए0वी0 कॉलेज लाहौर के प्राचार्य महात्मा हंसराजजी को भी प्रबन्ध समिति ने चुनाव के अखाड़े में उतरने के लिए कहा।

वे पहले भी सेनिट के सदस्य थे। उन्होंने चुनाव लड़ा, परन्तु सेनिट के चुनाव में हार गये।

उन दिनों डी0ए0वी0 कॉलेज की एक पत्रिका निकला करती थी। उसमें कॉलेज के समाचार भी छपा करते थे। एक समाचार यह भी छपा कि कॉलेज के प्राचार्य हंसराज चुनाव हार गये हैं।

पाठकवृन्द! ज़्या आज कोई छोटा-बड़ा व्यक्ति चुनाव हार जाने पर अपनी ही पत्रिका में ऐसा समाचार देने का नैतिक साहस दिखा सकता है? आज तो शिक्षा-व्यापार जगत् के इन लोगों से ऐसी आशा नहीं की जा सकती।