Tag Archives: naam va kaam

जो भी संसार में है, उसका नाम व काम परमेश्वर द्वारा नियम किया हुआ है। कहा जाता है कि मनुष्य कर्म करने में स्वतन्त्र है, इसका हनन उपरोक्त कथन में होता है।

जिज्ञासा- 

  1. इसलिए जो भी संसार में है, उसका नाम व काम परमेश्वर द्वारा नियम किया हुआ है।

कहा जाता है कि मनुष्य कर्म करने में स्वतन्त्र है, इसका हनन उपरोक्त कथन में होता है।

अमरसिंह आर्य, सी-12, महेश नगर, जयपुर-15

समाधान-

(ग) जिज्ञासा-समाधान 103 में जो समाधान ‘क’ के अन्त में लिखा ‘‘इसलिए जो भी संसार में है, उसका नाम व काम परमेश्वर द्वारा नियम किया हुआ है।’’ इसका तात्पर्य यह कदापि नहीं कि मनुष्य के कर्म करने की स्वतन्त्रता का हनन हो रहा है। वहाँ मनु का प्रमाण देते हुए कहा था-

सवेषां तु नामानि कर्माणि च पृथक्-पृथक्।

वेदशदेय एवाऽऽदौ पृथक्संस्थाश्च निर्ममे।।

-मनु. 1.21

परमेश्वर ने संसार के सब पदार्थों के नाम व काम निर्धारित कर रखे हैं। सूर्य, चन्द्र, नक्षत्र, गो, अश्व, मनुष्यादि, इनके भिन्न-भिन्न कर्म, जैसे-सूर्य का गर्मी व प्रकाश देना, चन्द्रमा का शीतलता देना, गाय का दूध देना, अश्व का यान के रूप में आदि। गाय-अश्व आदि को हम विद्यालंकार, वेदालंकार करवाना चाहें तो वह होगा ही नहीं, क्योंकि यह काम इनका है ही नहीं। ऐसे ही मनुष्यों के कर्म विद्या अध्ययन करना, अगले नये शुा अथवा अशुभ कर्म करना मनुष्य की स्वतन्त्रता है।

यह स्वतन्त्रता परमेश्वर की ओर से निर्धारित है। इस निर्धारण के आधार पर मनुष्य स्वतन्त्र होकर शुभ अथवा अशुभ कर्म कर सकता है। इस रूप में जिज्ञासा-समाधान 103 के तात्पर्य को समझना चाहिए। अलमिति।