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श्री कृष्ण को भगवान मानने वाले उनका जन्म क्यों करते हैं, अन्य किसी देवी-देवता का जन्म क्यों नहीं करते?

जिज्ञासाऋषि उद्यान के सभी विद्वानों को मेरा सादर नमस्ते। ईश्वर आप सबको लबी आयु प्रदान करे। आप अपने जैसे विद्वानों को तैयार करें, ताकि जिज्ञासा-समाधान की शृंखला निरन्तर चलती रहे। मेरी जिज्ञासा है-

(क) श्री कृष्ण को भगवान मानने वाले उनका जन्म क्यों करते हैं, अन्य किसी देवी-देवता का जन्म क्यों नहीं करते?

– आशा आर्या, 14, मोहन मेकिन्स रोड, डालीगंज, लखनऊ-226020, उ.प्र.

समाधान– (क) वैदिक शुद्ध ज्ञान के अभाव में आज विश्वभर में पाखण्ड, अन्धविश्वास का बोलबाला है। इसकी चपेट से वही बच सकता है, जो महर्षि दयानन्द के दिखाये विशुद्ध वैदिक ज्ञान को अपना लेता है। केवल भारत में ही पाखण्ड, अन्धविश्वास नहीं है, अपितु जो देश अपने को विकसित व शिक्षित मानते हैं, उनके वहाँ भी यह सब आडमबर है। इस पाखण्ड में प्रायः सृष्टि विरुद्ध कपोल कल्पनाएँ ही होती हैं, जो कि मानव के उत्थान में बाधक ही बनती हैं। ईसाई लोगों की सृष्टि विरुद्ध मान्यता- ‘‘ईश्वर ने भूमि की धूल से आदम को बनाया और नथुनों में जीवन का श्वास फूँका और आदम जीवता प्राण हुआ और परमेश्वर ईश्वर ने ‘अदन’ में पूर्व की ओर एक ‘बारी’ लगाई और उस आदम को, जिसे उसने बनाया था, उसमें रखा।। और बारी (बाड़ी=रहने का स्थान) के मध्य में जीवन का पेड़ और भले-बुरे के ज्ञान का पेड़ भूमि में उगाया।। तौ.उ.पर्व 2. आ.7-9 इस बिना सिर-पैर की बात को ईसाई लोग मानते हैं।

और भी देखिए- परमेश्वर ईश्वर ने आदम को बड़ी नींद में डाला और वह सो गया। तब उसने उसकी पसलियों में से एक पसली निकाली और उसकी सन्ति मांस भर दिया (पसली के स्थान पर मांस भर दिया) और परमेश्वर ईश्वर ने आदम की उस पसली से एक नारी बनाई और उसे आदम के पास लाया। (तौ.उ.प. 2/आ 21-22) यहाँ भी पसली से स्त्री की उत्पत्ति सृष्टि विरुद्ध कथन है। महर्षि दयानन्द ने इस पर समीक्षा की है- ‘‘जो ईश्वर ने आदम को धूली से बनाया, तो उसकी स्त्री को धूली से क्यों नहीं बनाया? और जो नारी को हड्डी से बनाया, तो आदम को हड्डी से क्यों नहीं बनाया? और जैसे नर से निकलने से नारी नाम हुआ, तो नारी से नर नाम भी होना चाहिए…..।

देखो विद्वान् लोगो! ईश्वर की कैसी ‘पदार्थ विद्या’ अर्थात् ‘फिलासफी’ चलती है? जो आदम की एक पसली निकालकर नारी बनाई, तो सब मनुष्यों की एक पसली कम क्यों नहीं होती? और स्त्री के शरीर में एक पसली होनी चाहिए, क्योंकि वह एक पसली से बनी हुई है। क्या जिस सामग्री से जगत् बनाया, उस सामग्री से स्त्री का शरीर नहीं बन सकता था? इसलिए यह बाइबल का सृष्टिक्रम सृष्टि विद्या विरुद्ध है।’’

ऐसी ही सृष्टि विद्या विरुद्ध बातों को मुस्लिम मानते हैं, इनकी पुस्तकें भी व्यर्थ के चमत्कारों से भरी हुई हैं।

जैसे अन्य मतमतान्तरों में अविद्या के कारण पाखण्ड है, ऐसा ही पाखण्ड पुराणों को मानने वालों में है। कृष्ण के जन्म की जो आप पूछ रही हैं कि उनका ही जन्म क्यों करते-कराते हैं, यह इन जन्म कराने-करने वालों की बाल बुद्धि का द्योतक है, क्योंकि श्री कृष्ण जी का जन्म तो लगभग 5 हजार वर्ष पूर्व हुआ था। उस समय उन्होंने मानव कल्याण का कार्य किया था, समाज से देशद्रोही तत्त्वों को दूर कर समाज और देश को संगठित किया था। आज प्रति वर्ष इन पाखण्डों को मानने वालों की कृष्ण जी के जन्म कराने वाली बात ऐसी ही समझें, जैसे गुड्डे-गुड्डियों का खेल।

आपने पूछा- अन्य देवी-देवता का जन्म क्यों नहीं करवाते तो इस पर हमारा विचार है कि करवाने को तो ये अन्य का भी करवा सकते हैं, फिर भी कृष्ण जन्म कराने में इनको गप्फा अधिक मिलता है। कृष्ण जन्म के समय बधाइयों के नाम पर जनता को खूब लूटा जाता है, जिस प्रकार रामलीला करते हुए सीता विवाह कन्यादान के नाम पर लोगों को ठगते हैं। यह सब स्वार्थ के वशीभूत हो कर किया जाता है, जो कि अवैदिक है।