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दंगल की जायरा वसीम अभिनेत्री को कश्मीर की अलगाववादियों की धमकी

दंगल की  जायरा वसीम  अभिनेत्री  को  कश्मीर की अलगाववादियों की धमकी

आजकल  सोशल मीडिया में दंगल की बहुत चर्चा हो रही है इतना ही  नहीं बहुत से टीवी सीरियल  में भी दंगल  की बात की जाती है  की दंगल करते हैं इत्यादि इत्यादि | आज यदि भारत में विमुद्रीकरण  होने के कारण  लोग बोल रहे हैं की पैसा बाजार में नहीं है तो फिर  बाजार में दंगल ने ३६० करोड़  से ज्यादा का कारोबार कैसे कर लिया ? यह बात समझ से  बाहर है | लोग आमिर  को एक समाजसेवक के रूप में  देखते हैं | समाज सेवक के रूप में लोगो को नजर आते हैं और सत्यमेव जयते को करके और भी अपने को समाज सेवक के तौर पर  लोगो में अपना दिल  बना लिया है | यह वही  आमिर खान  हैं जिन्हें  पाकिस्तान से प्रेम है  जिस कारण pk जैसे  फिल्मो  में पाकिस्तान की लव जिहाद की बात पर जोर दिया गया था की  पाकिस्तान का  लड़का है  तो क्या दिक्कत है | खैर  हमें इन सब सब बातो पर चर्चा  नहीं करनी है | फिलहाल  अभी दंगल की अभिनेत्री  के बारे में चर्चा करनी है |

सबसे पहले यह जाने की की आखिर  ये  जयरा वासिम कौन हैं और आज सभी उसकी  ओर क्यों संवेदना  प्रकट  कर रहे हैं |  कुछ तो इतना बोल रहे हैं की उन्हें सनातन धर्म में वापसी करनी चाहिए | खैर वे सनातन धर्म में वापसी करें या ना करें  यह उनकी  मर्जी है  इस मामले में हमें कुछ नहीं  बोलना चाहिए | पहले हम जायरा वासिम के बारे में बात करें ये कौन है फिर  दंगल की जायरा वासिम की बात करेंगे |

जायरा वासिम कश्मीरी मुस्लिम लड़की है  जिसकी  उम्र १६ साल की है ऐसा बतलाया जा रहा है मीडिया में |  यह फेसबुक पर बहुत ही बहुत ही जयादा इस्तेमाल करती थी  हो सकता है अब भी करती हो | यह जायरा वासिम फेसबुक पर  रास्त्रगान को नहीं गाने वाली  कई पोस्ट कर चुकी हैं ऐसा सोशल मीडिया में बाते होती रही है | जायरा वासिम  फेसबुक  पर अलगाववादी की कई बार  पोस्ट की तहत  समर्थन कर चुकी  हैं |  जो रास्ट्रगान का तिरस्कार करे  उसे देश द्रोही  ना बोला जाए ? और जब जायरा वासिम  जैसे जो राष्ट्रगान का  विरोध किया है  उसका हम समर्थन कर रहे हैं | राष्ट्रगान का  विरोध करना मतलब देशद्रोही  होना  उस हिसाब से  जायरा वासिम भी देशद्रोही न हुयी  ? वैसे आमिर खान  सलमान खान शारुखखान  इत्यादि  भी  देशद्रोही का  समर्थन करते हैं  पाकिस्तानी का समर्थन  करते हैं  फिर इन्हें देशद्रोही  बोलना कुछ गलत  नहीं होगा ?

 

अब बात करते हैं दंगल की जयरा वासिम की  | क्यों आजकल वे मीडिया में प्रसिद्ध हो  रहे हैं | आपको पहले ही बतलाया  की जयरा  वासिम  दंगल में काम कर चुकी हैं और वे  काश्मीरी  हैं | फिल्म दंगल में काम करने के कारण उसमे  नाचने के कारण आज काश्मीरी अलगाववादी  कई बार  धमकी दे रही हैं गाली दे रही हैं | कश्मीरी अलगाववादी  आज जयरा वासिम को  इस कारण धमकी गाली दे रही हैं क्यूंकि उन्होंने बुरखा क्यों नहीं पहना और क्यों दंगल में काम किया  नाच गान  किया | जबकि खुद जयरा  वासिम अलगाववादी  का समर्थन करनेवाली है | आज इस्लाम के नजर में बुरखा पहनना चाहिए जो नहीं किया इस कारण  उसे आज धमकी  मिल रही है | आज इस्लाम  में अब भी औरत की बुरी हालत है यदि वे  बुरखा ना पहने तो यह प्रमाण  के तौर पर जयरा वासिम है जिसे धमकी दी गयी है | इस्लाम में अब भी औरत की हालत बहुत ख़राब है  यह जयरा वासिम की हालत  पर मालुम चल जाता है |

सत्मेव जयते  इत्यादि में बहुत  खुद को समाजसेवक  बोलनेवाले   क्यों नहीं जायरा वासिम की मदद  करने को अग्रसर  हो रहा है  जो की उसी की फिल्म का कलाकार  थी | आज किरण राव को क्यों कुछ दर्द  नजर  नहीं आ रहा | अखलाख  के समय  पुरस्कार  वापसी करने वाले आज क्यों मौन हैं  ?  आज देश में  उन्हें बुरा नजर नहीं  आ रहा क्या ? आज सारे  सेक्युलर चुप क्यों हैं ?  पश्चिम बंगाल में दंगा हुवा क्यों सलमान  आमिर इत्यादि चुप हैं  | हमारे देश के लोग बस जब मुस्लिम पर कुछ  होता है तो तो पूरा देश में मीडिया हंगामा करने लगती हैं और जब हिन्दू पर होते हैं तब चुप क्यों हो जाते हैं सभी  नेता  अभिनेता  ?  अब क्या देश में असहिस्नुता  नहीं हो रही ? मुस्लिम  मुस्लिम को ही सताता है फिर देश में असहिस्नुता  नजर नहीं आता | मुस्लिम हिन्दू पर  मार पिट करे तब नजर नहीं आता है  असहिस्नुता | जब कभी हिन्दू  मुस्लिम पर करे तब असहिस्नुता नजर आता  है |  यह कैसी  दोहरी मानसिकता है क्या  लोगो को यह समझ  नहीं आता ? आज सलमान  सहरुख  आमिर किरण राव  इत्यादि को असहिस्नुता नजर नहीं आता जाब धोलागढ़  में हवा था | हम इसके बात खतना दिवस  १  जनुवरी का  जश्न  मना रहे थे |

आज पूरा देश जयरा  वासिम की ओर सांत्वना दे रहा है जबकि  वे खुद अलगाववादी  थे | राष्ट्रगान  का तिरस्कार  करनेवाली थी |  फिर भी पूरा देश आज जयरा वासिम के साथ है | उसकी समर्थन में सब आगे  आ रहे हैं | बोल रहे हैं  उनके साथ बहुत  गलत कर रहे  हैं |  बिना जानकारी हुए सभी जायरा वासिम की समर्थन कर रहे हैं |  अब भी आप चाहे  तो समर्थन करें जयरा  वासिम की | मर्जी आपकी विचार आपका |

धन्यवाद |

 

 

 

अल्लाह ने ‘कुन’ कहा और …….- राजेन्द्र जिज्ञासु

एक करणीय कार्यःगुजरात यात्रा में हम लोगों ने महर्षि की गुजरात यात्रा तथा महर्षि के जीवन पर तो व्यायान दिये ही, इनके साथ सैद्धान्तिक व आध्यात्मिक व्यायान तथा प्रवचन भी देते रहे। एक नगर में महर्षि दयानन्द की वैचारिक क्रान्ति तथा विश्वव्यापी दिग्विजय पर बोलते हुए मैंने मत पन्थों के नये-नये ग्रन्थों के उद्धरण देकर ऋषि दयानन्द की दिग्विजय व अमिट छाप के प्रमाण दिये तो आदरणीय आचार्य नन्दकिशोर जी ने यात्रा की समाप्ति तक बार-बार यह अनुरोध किया कि अपनी इस नवीन खोज व चिन्तन पर कुछ लिख दें। अधिक नहीं तो 36-48 पृष्ठ की एक पुस्तक अतिशीघ्र लिखकर छपवा दें।

मैंने उनकी प्रेरणा को स्वीकार करते हुए इस करणीय कार्य को अतिशीघ्र करने को कहा। श्रीमान् आनन्द किशोर जी की यह बहुत बड़ी विशेषता है कि वह दिन-रात धर्म प्रचार व साहित्य के लिये सोचते रहते हैं।

मैंने उस व्यायान में कहा क्या? इस पर कुछ लिखना नई पीढ़ी व पुराने आर्यों सबके लिए लाभप्रद रहेगा। उ.प्र. के गोरखपुर जनपद से भी आर्य बन्धु श्री लल्लनसिंह का एक ऐसा ही पत्र मिला है। ऋषि जी ने सृष्टि नियमों को अनादि, अटल व नित्य माना है। महर्षि ने तीन पदार्थों को अनादि व नित्य माना है। धर्म को सार्वभौमिक माना है। ईश्वर के गुण, कर्म व स्वभाव के विपरीत कुछ भी ऋषि को मान्य नहीं है। यह है ऋषि की मूलभूत विचारधारा जिसका आज संसार में डंका बज रहा है। आर्यसमाज महर्षि दर्शन की दिग्विजय के प्रचार को पूरी शक्ति से, ढंग से प्रस्तुत नहीं कर पा रहा। मैंने कहा, इस्लाम का दृष्टिकोण यह रहा कि अल्लाह ने ‘कुन’ कहा तो सृष्टि रची गई। ‘कुन’ कहा किस से? श्रोता जब कोई था ही नहीं तो यह आदेश जड़ को दिया गया या चेतन को? बिना उपादान कारण के सब सृष्टि जब रची गई तो फिर अल्लाह अनादि काल से पालक, मालिक, न्यायकारी, दाता व स्रष्टा कैसे माना जा सकता है? कुरान  में अल्लाह के इन नामों की व्याया तो कोई करके दिखावे?

आज उपादान कारण के बिन ‘कुन’ कहकर कोई सूई, मेज, चारपाई, चाय की प्याली तो बनाकर दिखा दे। चाँद-सूरज तो भगवान् ही बना सकता है। यह हमें मान्य है परन्तु जीव अपने वाला कोई कार्य तो करके दिखा दे।

इरान, जापान, मिश्र, पाकिस्तान व अमरीका, बंगला देश के सब वैज्ञानिक यह मानते हैं कि Matter can neither be created nor it can be destroyed. अर्थात् प्रकृति को न तो कोई उत्पन्न कर सकता है और न ही इसे नष्ट किया जा सकता है। बाइबिल व कुरान की किसी आयत से ऐसा सिद्ध नहीं हो सकता। वहाँ तो ‘कुन’ मिलेगा अथवा। बाइबिल की पहली आयत ‘पोल’ की चर्चा करती है। बाइबिल के नये संस्करणों में VOID (पोल) का लोप हो जाना वैदिक धर्म की दिग्विजय माननी पड़ेगी।

ÒÒand the spirit of God was howering over the waters.ÓÓ  अर्थात् परमात्मा का आत्मा जलों पर मंडरा रहा था। हम बाइबिल के इस कथन पर दो प्रश्न पूछने की अनुमति माँगते हैं। सृष्टि की उत्पत्ति से पूर्व जल कहाँ से आ गये? सृजन का कार्य तो अभी आरभ ही नहीं हुआ। जलों को किसने बना दिया? जल ईश्वर द्वारा बनाने की बाइबिल में कहीं चर्चा ही नहीं। ईश्वर के अतिरिक्त प्रकृति (जल) का होना बाइबिल की पहली आयत से ही सिद्ध हो गया। फिर यह भी मानना पड़ेगा कि बाइबिल का ईश्वर यहाँ शरीरधारी नहीं। वह निराकार है। आगे बाइबिल 3-8 में हम पढ़ते हैं ÒÒThen the man and his wife heard the sound of the Lord God as he was walking in the garden in the cool of the day.ÓÓ अर्थात् तब आदम व उसकी पत्नी ने परमात्मा की आवाज सुनी। वह (परमात्मा) दिन की ठण्डी में वाटिका में सैर कर रहा था।

यहाँ परमात्मा देहधारी के रूप में उद्यान में विचरण करते हुए उन दोनों की खोज करता है। आवाजें लगाता है कि तुम कहाँ हो? परमात्मा का शरीर कब बना? किस ने बनाया? किससे बनाया? मनुष्य तो भक्ति भाव से मक्का, मदीना, काशी व यरुशलम में ईश्वर को खोजते फिरते हैं। यहाँ ईश्वर अपनी बनाई जोड़ी को खोजने निकला है। उसकी सर्वज्ञता पर ही पानी फेर दिया गया है। ऐसे-ऐसे कई प्रश्न श्री हरिकिशन जी की पूना से छपी पुस्तक ‘बाइबिल-ईश्वरीय सन्देश।’ में पाठक पढ़ें तो। हमनेाी इसके प्राक्कथन में एक प्रश्न उठाया है। अब बाइबिल में ‘उत्पत्ति’ पुस्तक में दो बार ÒHuman BeingsÓ शब्दों  का प्रयोग किया गया है अर्थात् एक जोड़ा नहीं कई जोड़े सृष्टि के आदि में बिना माता-पिता के (अमैथुनी) उत्पन्न किये गये।

क्या यह सब कुछ महर्षि दयानन्द जी की दिग्विजय नहीं है? गत 50-60 वर्षों में आर्य लेखकों की पुस्तकों की सूचियाँ बनाकर प्रचारित करने को ही शोध समझ लिया गया। पं. लेखराम जी से लेकर उपाध्याय जी पर्यन्त सैद्धान्तिक दृष्टि से बाइबिल कुरान आदि पर समीक्षा व शोध करना छूट गया। फिर भी आप इसे पं. लेखराम जी, पं. चमूपति जी की परपरा के विद्वानों की तपस्या का चमत्कार मानेंगे कि बाइबिल के भाव तो बदले सो बदले, पाठ के पाठ बदल दिये गये हैं। ऋषि की इस दिग्विजय पर श्री नन्दकिशोर जी ‘कुरान सत्यार्थ प्रकाश के आलोक में’ जैसा एक ग्रन्थ मुझसे चाहते हैं। बड़ा ग्रन्थ न सही 48 पृष्ठ का ही हो जाये। उनका यह अनुरोध मुझे मान्य है।