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रोगी हिन्दू समाज के ये डाक्टरः- प्रा राजेन्द्र जिज्ञासु

रोगी हिन्दू समाज के ये डाक्टरः

एक बार महाराष्ट्र सभा के आदेश पर मैं धूले गाँव गया। प्रातः समय समाचार पत्र विक्रेता एक युवक से आर्य समाज मन्दिर का अता-पता पूछा। उसने कहा, ‘‘वह कौनसे भगवान् का मन्दिर है?’’ मैंने उसे कहा-‘‘तू अपने नगर के भगवानों की सूची दिखा। मैं देखकर बताऊँगा कि आर्यों का भगवान् उसमें है या नहीं?’’ यह हिन्दू समाज के रोगग्रस्त होने का एक प्रमाण है। जब रोगी स्वयं को रोगी ही न माने या रोग को रोग ही न समझे तो ठीक नहीं हो सकते। हिन्दू समाज की रक्षा का भार आज झोला छाप डाक्टरों के ऊपर है। वे बड़बोले तो हैं, परन्तु रोगी के रोग को जानते हुए भी उसका उपचार करना नहीं चाहते। घृणित जाति बन्धन तोड़ने का आन्दोलन  इन लोगों ने कभी छेड़ा? हिन्दू कृषक सैकड़ों व सहस्रों आत्महत्यायें क्यों कर रहे हैं? कभी सोचा इन्होंने कि हिन्दू समाज में ही इतनी आत्महत्यायें क्यों हो रही हैं? बलात्कार की घटनाओं की शिकार भी हिन्दू देवियाँ! अपराधी भी हिन्दू! पढ़-सुनकर रोना आता है। कभी एक नेता जी ने कहा था कि रेप इण्डिया में होते हैं, भारत में नहीं। इसका क्या अर्थ? कहाँ रेप की घटनायें नहीं हुई? योग -योग का शोर मचाने वालें के कुंभ स्नान को देखा क्या? प्रवचन, व्यायान, ज्ञान, ध्यान, योग, भक्ति भजन क्या था? बस डुबकी लगाने की होड़। म.प्र. में एक मन्दिर में मदिरा का प्रसाद दिया जाता है। शिवजी की बूटी की महिमा एक योगी बाबा बता रहे थे। बिहार में अगला मुय मन्त्री किस जाति का होगा? लव जिहाद का शोर मचाने वालों ने कभी जाति पाँति को चुनौती माना? गुजरात में कुरान का नाम लेकर गोमाँस के दोष के विज्ञापन लगाये गये। कथन तो ठीक था, परन्तु वचन कुरान का नहीं था। आर्य समाज के विद्वानों से सुन तो लिया, प्रमाण का अता-पता न किया। मुसलमान चिल्लाये। कर्मफल को, गीता को मानने वाले संकट मोचन मन्दिरों, ज्योतिषियों से दुःख निवारण करवाते, स्नान से पाप क्षमा करवाते? कहाँ गई गीता? हिन्दू समाज के झोला छाप डाक्टर रोगों पर चुप्पी साधे बैठे हैं। घर वापिसी का क्या बना? कोई पं. देव प्रकाश, पं. शान्ति स्वरूप, पं. मेघातिथि, सत्यदेव, वीरेन्द्र घर वापिस लाये क्या? आर्य समाज के नाम से ही बिदकने वाले ये डाक्टर समाज को क्या बचायेंगे? प्रमाण, सामग्री मुझसे माँगते हैं और मेरे आर्य समाज का नाम तक लेना नहीं चाहते।

अंधविश्वास पर चुप्पी क्यों?-राजेन्द्र जिज्ञासु

अंधविश्वास पर चुप्पी क्यों?ः-

 

मन्त्रिमण्डल ने 15 सितबर 1948 को हैदराबाद में पुलिस कार्यवाही का निर्णय लिया था। सरदार पटेल ने 13 को सेना को अपना कार्य करने का आदेश दिया। उस समय का अंग्रेज सेनापति 15 को ही सेना भेजने पर अड़ा रहा। जब सरदार अपने निश्चय पर अडिग रहे तो गोरे सेनापति ने हिन्दुओं के अंधविश्वास का मिजाईल चलाकर सरदार का मनोबल गिराने की चाल चली। उसने कहा, ‘‘13 का अंक अशुभ होता है।’’ लौह पुरुष पटेल बोले, ‘‘तुहारे लिए होगा। मेरे लिए नहीं। मैं गुजराती हूँ। गुजरात में 13 का अंक शुभ माना जाता है’’। सेना ने उसी दिन हैदराबाद को चारों ओर से घेरकर अपना कार्य आरभ कर दिया। यह घटना सरदार के रियासती विभाग के सचिव श्री मेनन ने अपने ग्रन्थ में दी है।

अब प्रातः से सायं तक टी.वी. पर कई बाबे, कई तिलकधारी ज्योतिषी, काले कुत्ते व शुभ अंकों वाले अंधविश्वास परोसते रहते हैं। हिन्दू-हिन्दू की रट लगाने वाले नेता, प्रवक्ता, साक्षी महाराज  की बयान मण्डली हिन्दुओं के अंधविश्वासों पर चुप्पी साधे रहते हैं। सब दलों के नेता तन्त्र-मन्त्र में विश्वास करते हैं। ये अंधविश्वास देश को डुबोने वाले हैं।