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हदीस : विवाह और विच्छेद (अल-निकाह और अल-तलाक)

. विवाह और विच्छेद (अल-निकाह और अल-तलाक)

आठवीं किताब का शीर्षक है ”निकाह की किताब“। इसका एक हिस्सा तलाक के बारे में भी है।

 

मुहम्मद अविवाहित जीवन का निषेध करते हैं। ”तुममें से जो लोग एक बीवी रख सकते हैं, उन्हें शादी करनी चाहिए। क्योंकि वह बुरी नजर डालने से और अनैतिकता से बचाती है” (3231)। उनके साथियों में से एक जन अविवाहित जीवन बिताना चाहता था। किन्तु मुहम्मद ने ”उसे ऐसा करने से मना किया“ (3239)।1

 

वस्तुतः मुहम्मद सर्वसाधारण संयम को मना करते थे। उनके एक साथी ने कहा, ”मैं शादी नहीं करूंगा।“ दूसरे ने कहा, मैं गोश्त नहीं खाऊंगा।“ एक अन्य ने कहा, ”मैं बिस्तर पर नहीं सोऊंगा।“ मोहम्मद ने अपने आप से पूछा, ”इन लोगों को क्या हो गया है जो ये ऐसा-ऐसा बोलते हैं, जबकि मैं इबादत करता हूँ और सोता भी हूं; मैं रोज़ा रखता हूं और उसे रद्द भी कर देता हूं, मैं औरतों से शादी भी करता हूं ? और जो मेरे सुन्ना को नहीं मानता, उसका मुझसे कोई रिश्ता नहीं“ (3236)।

 

अपनी औरत एक बहुत बड़ा मुक्ति-मार्ग है। पर अगर वह भी काम न आये और कोई आदमी किसी दूसरी औरत को देखकर आतुर हो जाये, तो उसे अपने घर जाना चाहिए और अपनी बीवी के साथ मैथुन करना चाहिए। ”अल्लाह के रसूल ने एक औरत को देखा और तब वे अपनी बीवी जै़नब के पास आये जो चमड़ा सिझा रही थी। और उन्होंने उसके साथ मैथुन किया। फिर वे अपने साथियों के पास गये और उनसे बोले-औरत शैतान के रूप में आगे बढ़ती है और लौट जाती है। इसलिए जब तुममें से कोई किसी औरत को देखे तो उसे अपनी बीवी के पास जाना चाहिए। क्योंकि उससे जो वह अपने दिल में महसूस करता है, वह बाहर निकल जायेगा“ (3240)। हम सब दूसरों के भीतर शैतान देखने को हरदम तैयार रहते हैं। लेकिन अपने भीतर का शैतान नहीं देख पाते।

 

  1. इब्न अब्बास की एक हदीस को इब्न साद ने उद्धृत किया है। साद कातिब अत-वाकिदी के नाम से लोक¬िप्रय थे और पैगम्बर के जीवनीकार थे। हदीस के अनुसार मुहम्मद ने कहा-”मेरी उम्मा में सबसे अच्छा वह है, जो सबसे ज्यादा तादाद में बीवियां रखता है“ (तबक़ात, किताब 2, पृष्ठ 146)

author : ram swarup