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Continue to Chatआजकल आर्य समाज में कई नए-नए संगठन बन गए हैं, जो अपनी नई-नई परमपराएँ चला रहे हैं और नए-नए सिद्धान्त भी बता रहे हैं। इसी प्रकार एक यज्ञ के बारे में सुना, जिसका नाम स्वराज यज्ञ रख रखा है। मेरी जिज्ञासा यह है कि क्या वेद, शास्त्रों और स्वामी दयानन्द के अनुसार इस प्रकार के स्वराज यज्ञ करने का कोई विधान है? अगर है तो इसे कौन कर सकता है, इसके करने की विधि क्या होगी? कितने समय के अंतराल पर इसे करना चाहिए? क्या इतिहास में भी कहीं इस प्रकार के यज्ञ का वर्णन आता है? इस प्रकार के यज्ञ करने से स्वराज-प्राप्ति हो जाती है? और इस यज्ञ का लाभ क्या होगा? http://aryamantavya.in/swarajy-yagya/