सुशील नारी ही गृह लक्ष्मी होती है

ओउम
सुशील नारी ही गृह लक्ष्मी होती है

डा. अशोक आर्य ,मण्डी डबवाली
मानव सुन्दरता का पुजारी है | यही कारण है कि वह सुन्दरता की खोज में भटकता रहता है तथा प्रयास करता है कि वह प्रतिक्षण सुन्दर दृश्यों में ही अपना समय बितावे | यह ही वह कारण है कि आज का मानव न केवल सुन्दर अपितु सुशील युवती को पाकर अति प्रसन्न होता है | यदि उस की सुन्दरता में कुछ कमीं अनुभव करता है तो उसे वह वर्तमान युग में कृत्रिम साधनों से दूर करने का प्रयास करता है | ठीक इसी प्रकार मनुष्य सोम के जल को पा कर भी आनंद का अनुभव करता है , उसे पवित्र करता है | इस तथ्य की चर्चा ऋग्वेद के मन्त्र १०.३०.५ में की गयी है | जो इस प्रकार है : –
याभी: सोमां मोदते हर्षते च
कल्यानिभिर्युवतिभिर्ण मर्य: |
टा अघ्वर्यो अपो अच्छा परेहि
यदासिन्चा ओशधिभी: पुनितात || ऋग. १०.३०.५ ||
शब्दार्थ : –
(सोम:) सोम (याभि) जिनसे ( मोदतेहर्षते च ) प्रसन्न होता है (कल्यानीभी:) सुशील (युवातिभी:) स्त्रियों से (मर्य: न ) जैसे मनुष्य ( हे अध्वर्यो )हे यज्ञकर्ता ( ता: अप : अच्छ) उन जालों को प्राप्त करने के लिए (परेहि) जाओ (यात) जब (असिन्वा:) सींच,तब (ओशधिभी:) ओषधियों अर्थात सोमलता सोमरस और जल से ( पुनितात) पवित्र करे –
सुन्दर व् सुशील युवतियों से जिस प्रकार मनुष्य प्रसन्न होता है , उसी प्रकार सोम जल से आनंदित और प्रसन्न होता है | हे अघ्वर्यु ! उस जल के पास जाओ | जब तुम उस जल से सोम्लाता को सींचते हो तो सोम ओषधियों से पवित्र करता है |
सरल, सुशील और विनीत स्त्री अपने सौम्य तथा विनीत भाव से घर को स्वर्ग बना देती है | घर में किसी प्रकार का कलह, द्वेष नहीं रहता | इस का कारण है कि जहाँ सुशील और कल्याणकारी पत्नी है, वहां स्वर्ग होता है | जिस प्रकार स्वर्ग की कल्पना की गयी है कि वहां किसी को किसी प्रकार का अभाव नहीं होता , सब लोग सुख पूर्वक रहते हैं | कोई किसी से झगड़ता नहीं, कोई लड़ता नहीं, कोई किसी से द्वेष नहीं रखता , सब प्रकार के सुख, सब प्रकार की संपतियां, सब प्रकार के सुख के साधन वहां उपलब्ध होते हैं | ठीक इस प्रकार जहाँ सुशील, विनीत व् सरल स्वभाव पत्नी होती है , वहाँ इस प्रकार के सुखों की आनंदों की वर्षा प्रतिक्षण होती रहती है | सब परिजन परस्पर मिलकर आनंद से प्रसन्नता से

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रहते हैं | सुशील पत्नी सौभाग्य से ही प्राप्त होती है | इस तथ्य को ही मन्त्र स्पष्ट करता है | इस सुशील पत्नी को पाकर मनुष्य आनंद, प्रसन्न व सुखी रहता है |
सुशील स्त्री हर्ष व आमोद का कारण होती है तो इस से विपरीत गुणों वाली पत्नी जिसे हम दू:शील कह सकते हैं , परिवार के लिए दु:ख व कष्ट और क्लेश ही पैदा करती है | ऐसी पत्नी एक सुन्दर व संपन्न घर को तबाह कर देती है | वह घर में लडाई, झगडा, कलह क्लेश का कारण बनती है | ऐसे परिवार से सुख सम्पति, धन वैभव व प्रसन्नता भाग जाती है | परिवार रसातल की और बढ़ता चला जाता है | इस लिए गृह पत्नी का सुशील, विनीत होना गृह शोभा का कारण होता है | तब ही तो कहा गया है कि विवाह करते समय गुण, कर्म, स्वभाव की परख कर सम्बन्ध स्थापित करना चाहिए | बेमेल सम्बन्ध जोड़ना , परिवार के नाश का कारण होता है |
जिस प्रकार किसी वृक्ष को जल मिल जाने से वृक्ष हरा भरा व् प्रसन्न रहता है , ठीक उस प्रकार ही सुशील स्त्री व् पुरुष के मिलन से परिवार के सुखों के कारण परिवार की ख्याति दूर दूर तक फ़ैल जाती है | इस तथ्य को मन्त्र में बड़े ही सुन्दर ढंग से समझाया गया है | वृक्ष की ही भाँती सुशील पत्नी को पा कर पुरुष फलता व फूलता है, सदा प्रसन्न रहता है | जंगल की लताएं जल को पाकर स्वयं ही फलती फूलती व बढती हैं , उस प्रकार ही सुन्दर सुशील स्त्री को पा कर परिवार की भी श्रीवृद्धि होती है | परिवार भी न केवल धन धान्य से बल्कि उत्तम सुसंतान से भर जाता है | तब ही तो सुशील ,विनीत पत्नी को परिवार की लक्ष्मी कहा गया है | जब स्त्री परिवार की लक्ष्मी है तो उस के आने से परिवार में धन धान्य की , सुखों की , प्रसन्नता की, वैभव की वर्षा तो होगी ही | इस प्रकार यह परिवार उस युवती के कारण , जो पत्नी बनकर परिवार में आयी है , संपन्न बन जावेगा | \
अत: मन्त्र के आश्य के अनुसार गृह पत्नी सुशील व प्रसन्न रहते हुए परिवार में खुशियाँ व संपतियां लाने का प्रयास करे तो उस की ख्याति बढ़ेगी | उसकी ख्याति के साथ ही परिवार की ख्याति भी बढ़ेगी तथा सुखों की गणना करते समय लोग इस परिवार का उदाहरण देने लगें गे |
डॉ. अशोक आर्य

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