साईं – वैदिक धर्म के लिए अभिशाप

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आज हमारे  देश में तथाकथित भगवानो का एक  दौर चल निकला है. इन्हीं भगवानों में से एक हैं शिर्डी के साईं बाबा. आज भारतवर्ष के हर नगर में इनके अनेकों मंदिर हैं . अनेकों  संस्थाएं  इनके नाम से चल रही हें  एवं देश विदेश में इनको मानने वालों की तथा इनके लिए दान देने वालों की संख्या में निरंतर वृध्धि हो रही है. महाराष्ट्र के अहमदनगर में स्थित शिर्डी साईं बाबा शीरीं के अनुसार वर्ष २०११ में केवल इस  ट्रस्ट को ही ३६ किलो ग्राम सोना, ४४० किलोग्राम चांदी एवं  ४०१ Cr रूपया दान में मिला. समस्त साईं मंदिरों में दिए गए दान का तो अनुमान भी लगाना भी संभव  नहीं है.
आज साईं  को इश्वर का अवतार माना  जा रहा है . हमारे महपुरुषों श्री राम कृष्ण का ही रूप इन्हिने बतलाया जा  रहा है और उनके इस्थान पर इनकी पूजा की जा रही है. मन में प्रशन उठता है की आखिर   ये बाबा हैं कौन, कहाँ से ये आये थे और किस तरह ये लोगों का भला करते हैं. साईं एक पारसी शब्द है जिसका अर्थ है मुस्लिम फकीर. साईं एक टूटी हुयी मस्जिद में रहा करते थे और सर पर कफनी बंधा करते थे. सदा ” अल्लाह मालिक” एवं ” सबका मालिक एक” पुकारा करते थे ये दोनों ही शब्द मुस्लिम धर्म से संभंधित हैं.साईं  का जीवन चरित्र उनके एक भक्त हेमापंदित ने लिखा है. वो लिखते हैं की बाबा एक दिन गेहूं पीस रहे थे. ये बात सुनकर गाँव के लोग एकत्रित हो गए और चार औरतों ने उनके हाथ से चक्की ले ली और खुद गेहूं पिसना प्रारंभ कर दिया. पहले तो बाबा क्रोधित हुए फिर मुस्कुराने लगे. जब गेंहूँ पीस गए त्तो उन स्त्रियों ने सोचा की गेहूं का बाबा क्या  करेंगे और उन्होंने उस पिसे हुए गेंहू को आपस में बाँट लिया. ये देखकर बाबा अत्यंत क्रोधित हो उठे और अप्सब्द कहने लगे -” स्त्रियों क्या तुम पागल हो गयी हो? तुम किसके बाप का मॉल हड़पकर ले जा रही हो? ” फिर उन्होंने कहा की आटे को ले जा कर गाँव की सीमा पर दाल दो. उन दिनों गाँव मिएँ हैजे का प्रकोप था और इस आटे को गाँव की सीमा पर डालते ही गाँव में हैजा ख़तम हो गया.  (अध्याय १ साईं सत्चरित्र )
१. मान्यवर सोचने की बात है की ये कैसे भगवन हैं जो स्त्रियों को गालियाँ दिया करते हैं हमारी संस्कृति में  तो स्त्रियों को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है और कहागया है की यात्रा नार्यस्तु पुजनते रमन्ते तत्र देवता . आटा  गाँव के चरों और डालने से कैसे हैजा दूर हो सकता है?  फिर इन भगवान्  ने केवल शिर्डी में ही फैली हुयी बीमारइ के बारे में ही क्यूँ सोचा ? क्या ये केवल शिर्डी के ही भगवन थे?
२. साईं सत्चरित्र के लेखक ने इन्हें क्रिशन का अवतार बताया गया है और कहा गया है की पापियों  का नाश करने के लिए उत्पन्न हुए थे परन्तु इन्हीं के समय में प्रथम विश्व युध्ध हुआ था और केवल यूरोप के ही ८० लाख सैनिक इस युध्द में मरे गए थे और जर्मनी के ७.५ लाख लोग भूख की वजह से मर गए थे. तब ये भगवन कहाँ थे. (अध्याय 4 साईं सत्चरित्र )
३. १९१८ में साईं   बाबा की मृत्यु हो गयी. अत्यंत आश्चर्य  की   बात है की जो इश्वर अजन्मा है अविनाशी है वो भी मर गया.  भारतवर्ष में जिस समय अंग्रेज कहर धा  रहे थे. निर्दोषों को मारा जा रहा था अनेकों प्रकार की यातनाएं दी जा रहीं थी अनगिनत बुराइयाँ समाज में व्याप्त थी उस समय तथाकथित भगवन बिना कुछ किये ही अपने लोक को वापस चले गए. हो सकता है की बाबा की नजरों में   भारत के स्वतंत्रता सेनानी अपराधी  थे और ब्रिटिश समाज सुधारक !
४. साईं  बाबा चिलम भी पीते थे. एक बार बाबा ने अपने चिमटे को जमीं में घुसाया और उसमें  से अंगारा बहार निकल आया और फिर जमीं में जोरो से प्रहार किया तो पानी निकल आया और बाबा ने अंगारे से चिलम  जलाई और पानी से कपडा गिला किया और चिलम पर लपेट लिया. (अध्याय 5 साईं सत्चरित्र ) बाबा नशा करके क्या सन्देश देना चाहते थे और जमीं में चिमटे से अंगारे निकलने का क्या प्रयोजन था क्या वो जादूगरी दिखाना कहते थे?  इस प्रकार के किसी कार्य  से मानव जीवन का उद्धार तो नहीं हो सकता हाँ ये पतन के साधन अवश्य हें .
५ शिर्डी में एक पहलवान था उससे बाबा का मतभेद हो गया और दोनों में कुश्ती हुयी और बाबा हार गए(अध्याय 5 साईं सत्चरित्र ) . वो भगवान् का रूप होते हुए भी अपनी ही कृति मनुष्य के हाथों पराजित हो गए?
 ६. बाबा को प्रकाश से बड़ा अनुराग था और वो तेल के दीपक जलाते थे और इस्सके लिए तेल की भिक्षा लेने के लिए जाते थे एक बार लोगों ने देने से मना  कर दिया तो बाबा ने पानी से ही दीपक जला दिए.(अध्याय 5 साईं सत्चरित्र ) आज तेल के लिए युध्ध हो रहे हैं. तेल एक ऐसा पदार्थ है जो आने वाले समय में समाप्त हो जायेगा इस्सके भंडार सीमित हें  और आवश्यकता ज्यादा. यदि बाबा के पास ऐसी शक्ति थी जो पानी को तेल में बदल देती थी तो उन्होंने इसको किसी को बताया क्यूँ नहीं?
७. गाँव में केवल दो कुएं थे जिनमें से एक प्राय सुख जाया करता था और दुसरे का पानी खरा था. बाबा ने फूल डाल  कर  खारे  जल को मीठा बना दिया. लेकिन कुएं का जल कितने लोगों के लिए पर्याप्त हो सकता था इसलिए जल बहार से मंगवाया गया.(अध्याय 6 साईं सत्चरित्र) वर्ल्ड हेअथ ओर्गानैजासन    के अनुसार विश्व की ४० प्रतिशत से अधिक लोगों को शुध्ध पानी पिने को नहीं मिल पाता. यदि भगवन पीने   के पानी की समस्या कोई समाप्त करना चाहते थे तो पुरे संसार की समस्या को समाप्त करते लेकिन वो तो शिर्डी के लोगों की समस्या समाप्त नहीं कर सके उन्हें भी पानी बहार से मांगना पड़ा.  और फिर खरे पानी को फूल डालकर कैसे मीठा बनाया जा सकता है?
८. फकीरों के साथ वो मांस और मच्छली का सेवन करते थे. कुत्ते भी उनके भोजन पत्र में मुंह डालकर स्वतंत्रता पूर्वक खाते थे.(अध्याय 7 साईं सत्चरित्र ) अपने स्वार्थ वश किसी प्राणी को मारकर  खाना किसी इश्वर का तो काम नहीं हो सकता और कुत्तों के साथ खाना खाना किसी सभ्य मनुष्य की पहचान भी नहीं है.
अमुक चमत्कारों को बताकर जिस तरह उन्हें  भगवान्  की पदवी दी गयी है इस तरह के चमत्कार  तो सड़कों पर जादूगर दिखाते हें . काश इन तथाकथित भगवान् ने इस तरह की जादूगरी दिखने की अपेक्षा कुछ सामाजिक उत्तथान और विश्व की उन्नति एवं  समाज में पनप रहीं समस्याओं जैसे बाल  विवाह सती प्रथा भुखमरी आतंकवाद भास्ताचार अआदी के लिए कुछ कार्य किया होता!
यह संसार अंधविश्वास और तुच्छ ख्यादी एवं सफलता के पीछे  भागने वालों से भरा पड़ा हुआ है. दयानंद सरस्वती, महाराणा प्रताप शिवाजी सुभाष चन्द्र बोस सरदार भगत सिंह राम प्रसाद बिस्मिल सरीखे लोग जिन्होंने इस देश के लिए अपने प्राणों को न्योच्चावर कर दीये  लोग उन्हिएँ भूलते जा रहे हैं और साईं बाबा जिसने  भारतीय स्वाधीनता संग्राम में न कोई योगदान दिया न ही सामाजिक सुधार  में कोई भूमिका रही उनको समाज के कुछ लोगों ने भगवान्  का दर्जा दे दिया है. तथा उन्हें योगिराज श्री कृष्ण और मायादापुरुशोत्तम श्री राम के अवतार के रूप में दिखाकर  न केवल इन  महापुरुषों का अपमान किया जा रहा अपितु नयी पीडी और समाज को अवनति के मार्ग की और ले जाने का एक प्रयास किया जा रहा है.
आवश्यकता इस बात की है की है की समाज के पतन को रोका जाये और जन जाग्रति लाकर वैदिक महापुरुषों को अपमानित करने की जो कोशिशेन की जा रही हिएँ उनपर अंकुश लगाया जाये.

2 thoughts on “साईं – वैदिक धर्म के लिए अभिशाप”

  1. I am a shopkeeper. I used to sell Sai Baba idols. Now I came to know the reality about Sai Baba. Even I was thinking Sai Baba will do miracle and improve my business. Now I realized Sai Baba is fake. Only truth is Vedic message of Theory of Karma. I feel ashamed that calling myself soldier of Dayanand I used to believe in Sai Baba. I ask pardon from Ishwar and also Rishi Dayanand. This article opened my eyes. Thanks a ton.

  2. I am falling at your feet my dear Aryasamamjis.

    Please don’t start enmity between Buddhism and Hinduism again.
    Already we quarreled in the 1st millenium and Islam won.

    The real enemy is Christianity/Islam.

    You are unnecessarily posting derogatory articles about Buddhism and even on posts from Judaism (Old testament)
    Even Manusmriti sometimes says contradictory things.

    Regards,

    Karthik.

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