सच्ची रामायण की पोल खोल-६

 *सच्ची रामायण की पोल खोल-६
अर्थात् पेरियार द्वारा रामायण पर किये आक्षेपों का मुंहतोड़ जवाब*
 कार्तिक अय्यर
।।ओ३म्।।
 धर्मप्रेमी सज्जनों ,नमस्ते ।कल पेरियार साहब की भूमिका का खंडन करके हमने उनकी आर्य-द्रविड़ की राजनीति का पर्दाफाश किया।अब आगे कथा स्रोत का जवाब लिखा जाता है।
*प्रश्न-६रामायण की घटनायें और कथा क्रम ‘अरबी जोधा ‘ ‘मदन कामराज’ पंचतंत्र की तरह है।वे मानव की समझ और गूढ़ विचारों से दूर है।यह ढृढ़तापूर्वक कहा जाता है कि रामायण में कोई वास्तविक कथा नहीं है।रामायण में वर्णित तत्व निराधार,निरर्थक अनावश्यक है।*
*समीक्षा*- बहुत खूब पेरियार साहब!जब आपने रामायण को कोरी गप्प माना है तो आप और ललई सिंह जी किस मुंह से रावण का यशोगान करते हैं?अहो मूलनिवासी मित्रों! रामायण पर गप्प होने का तमगा लगाकर आपके तथाकथित पूर्वज रावण को भी काल्पनिक सिद्ध नहीं कर दिया?
 रामायण मानव के समझ और गूढ़ विचारों से दूर नहीं है।सत्य कहें तो आप ‘मानव’ का अर्थ नहीं जानते।आपने मानव बनकर रामायण का पठन-चिंतन-मनन किया होता तब आपको कुछ समझ में आता।और जो व्यक्ति मानवीय आचरण,चिंतन से परे हैं उसे क्या कहा जाता है ये पाठक भली-भांति जानते हैं।
“रामायण वास्तविक कथा नहीं है”-यह आप किस आधार पर कहते हैं?केवल कागज़ पर कागज़ रंगने से सच नहीं झुठलाया जा सकता।*रामायण की ऐतिहासिकता पर प्रश्न-चिह्न लगाने वालो!रामसेतु रामायण की वास्तविकता का ज्वलंत उदाहरण है।’नासा’ ने भी यह प्रमाणित कर दिया।इस विषय पर विस्तार से आगे लिखा जायेगा।बाकी लंका और अयोध्यानगरी ये चीख-चीख कर कह रहे हैं कि रामायण एक सत्य घटना है।इसे काल्पनिक कहने वाला हठी-दुराग्रही है या फिर अल्पज्ञानी।
रामायण में वर्णित तत्व निराधार या निरर्थक नहीं है।रामायण में आस्तिकता,धार्मिकता,प्रतिज्ञा-प्रतिपालन,वर्णाश्रमधर्मानुसार मर्यादित आचरण एवं उच्च नैतिक आदर्शों का वर्णन है,वह दुर्लभ है।जैसे बालकांड में राम जी के बचपन का सुंदर वर्णन है,तो अयोध्याकांड में उनके सद्गुणों का उल्लेख।सुंदरकांड में श्रीहनुमानजी की वीरता और शौर्य का मार्मिक चित्रण है।युद्धकांड में सत्य-असत्य धर्माधर्म का निर्णायक युद्ध ।
 रामायण वैदिक संस्कृति के उच्चतम मानवीय मूल्य प्रदर्शित करने वाला ग्रं थ है। *शायद निरर्थक या अनावश्यक सामग्री  देखकर आपको रामायण काल्पनिक लगी हो,परंतु यह क्लिष्टतायें प्रक्षेपकर्ताओं ने जोड़ी हैं।निश्चित ही इसके दोषी वे लोग हैं,नाकि आदिकवि वाल्मीकि ।
 श्रीरामचंद्रा-सा उदात्त चरित्र, लक्ष्मण-सा आदर्श भाई,भरत-जैसा वैराग्यवान मिलना कठिन है।रामायण मानव मात्र की उन्नति करने वाला ग्रंथ है।इस पर आक्षेप करने वालों की बुद्धि पर तरस आता है।
क्रमशः—–
पूरी पोस्ट पढ़ने के लिये धन्यवाद ।
धन्यवाद ।
 मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्रा की जय ।
योगेश्वर श्रीकृष्ण चंद्र की जय।
नोट : यह लेखक का अपना विचार  है |  लेख में कुछ गलत होने पर इसका जिम्मेदार  पंडित लेखराम वैदिक  मिशन  या आर्य मंतव्य टीम  नहीं  होगा

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