(3) मेरी तीसरी शंका है कि वेद, ऋषि-मुनि, विद्वान् तथा वैज्ञानिक आदि सभी यही मानते हैं कि पेड़-पौधों में आत्मा होती है, परन्तु कुछ पौधे जैसे- साग-सजी, मेथी-बथुवा, पालक आदि हम सब दैनिक प्रयोग करते हैं तो हम क्या इन आत्माओं का हनन करके पाप करते हैं? क्या हम पाप के भागी नहीं हुए? कृपया बताएँ।

(3) मेरी तीसरी शंका है कि वेद, ऋषि-मुनि, विद्वान् तथा वैज्ञानिक आदि सभी यही मानते हैं कि पेड़-पौधों में आत्मा होती है, परन्तु कुछ पौधे जैसे- साग-सजी, मेथी-बथुवा, पालक आदि हम सब दैनिक प्रयोग करते हैं तो हम क्या इन आत्माओं का हनन करके पाप करते हैं? क्या हम पाप के भागी नहीं हुए? कृपया बताएँ।

– सुमित्रा आर्या, 261/8, आदर्शनगर, सोनीपत, हरियाणा

समाधान-

(ग) पेड़-पौधों में आत्मा है, इसको प्रमाण पूर्वक अनेक विद्वान् स्वीकार करते हैं। अनेक विद्वानों ने स्वीकार किया है, आज विज्ञान भी इसको स्वीकार करता है, किन्तु कुछ विद्वान् वृक्षादि में आत्मा नहीं मानते। जो नहीं मानते, उनके लिए तो यह प्रश्न बनेगा ही नहीं। हाँ, जो आत्मा को वृक्षों में स्वीकारते हैं, उनके लिए यह प्रश्न बनता है। इस विषय में पहले भी अनेक वाद-विवाद हो चुके हैं, शास्त्रार्थ हो चुके हैं।

हमारी समझ से जिन पौधों का नाम आपने लिया है, उनका प्रयोग करने में हमें पाप नहीं लगेगा, ये पौधे परमेश्वर द्वारा हमारी जीवन रक्षा के लिए बनाए हैं। इनका प्रयोग करने का आदेश परमेश्वर द्वारा वेद के माध्यम से किया गया है। खेती करने का विधान परमात्मा की ओर से ही है। शाक-सबजी में जो पौधे प्रयोग में आते हैं, उनको लेने में पाप नहीं होता और उन आत्माओं का हनन भी नहीं होता, क्योंकि पेड़-पौधों में जो आत्माएँ होती हैं, वे मूर्छा अवस्था में होती हैं, उनकी इन्द्रियों का व्यवहार बाह्य जगत् से नहीं होता, इसलिए उनको अन्य प्राणियों की भाँति सुख-दुःख भी नहीं होता। हाँ, इसमें इतना अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि जो वृक्षादि जगत् के लिए अधिक उपयोगी हैं, अनेक प्राणियों के लिए आश्रयरूप हैं, उन वृक्षों को काटने से अवश्य पाप लगेगा। मनुष्य की शरीर रक्षा के लिए परमात्मा ने जिन पौधों का निर्माण किया है, उनका प्रयोग करने में पाप नहीं लगेगा। अस्तु ।

– ऋषिउद्यान, पुष्करमार्ग, अजमेर

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