महर्षि के मिशन के सबसे पहले ब्राह्मणेतर शास्त्रार्थ महारथी राव बहादुरसिंह- प्रा राजेंद्र जिज्ञासु

राव बहादुरसिंह मसूदा-इतिहास के लुप्त पृष्ठः-

महर्षि दयानन्द जी की जीवनी लिखने वाले पुराने विद्वान् लेखकों ने मसूदा राजस्थान के राव बहादुरसिंह जी की अच्छी चर्चा की है, परन्तु उन पर कुछ विशेष खोज करने का उद्यम न तो मसूदा के किसी गवेषक ने किया और न ही राजस्थान के आर्यों ने राव जी की ठोस सेवाओं तथा व्यक्तित्व के अनुरूप ही करणीय पुरुषार्थ किया। वास्तव में ऐसे कार्य धन से ही नहीं होते। इनके लिए पण्डित लेखराम की आग, स्वामी स्वतन्त्रानन्द की ललक और इतिहासकार पं. विष्णुदत्त  जैसी लगन चाहिए। हमने राव बहादुरसिंह की विशेष देन तथा आर्यसमाज के इतिहास में उनके स्थान का नये सिरे से मूल्याङ्कन करके ऋषि जीवन तथा ‘परोपकारी’ पाक्षिक में कुछ नया प्रकाश डाला है।
हमारी खोज अभी जारी है। महर्षि के मिशन के सबसे पहले ब्राह्मणेतर शास्त्रार्थ महारथी राव बहादुरसिंह थे। परोपकारिणी सभा के निर्माण, दयानन्द आश्रम आदि की स्थापना तथा सभा के आरम्भिक काल के उत्सवों के आयोजन में आपने दिल खोलकर दान दिया। आपके दान से परोपकारिणी सभा तथा राजस्थान का आर्यसमाज ही लाभान्वित नहीं हुआ, वरन अन्य-अन्य प्रदेशों के समाजों व संस्थाओं को भी आपने उदारतापूर्वक दान दिया-
१. देशहितैषी मासिक को उस युग में ६५/- रु. दान दिये।
२. आर्यसमाज मन्दिर अजमेर के लिये ४००/- रु. प्रदान किये।
३. आर्य अनाथालय फीरोजपुर को १५०/- रु. दिये।
४. फर्रुखाबाद की पाठशाला के लिए १००/- रु. दिये।
५. आर्यसमाज शिमला (हिमाचल) के मन्दिर निर्माण के लिए ५०/- रु. दिये।
६. स्वामी आत्मानन्द जी को उस युग में १००/- रु. भेंट किये।
उनके एक और बड़े दान की फिर चर्चा की जायेगी। जब दयानन्द आश्रम की स्थापना के उत्सव पर देशभर से भारी संख्या में आर्यगण पधारे, तब एक समय के भोजन का सब व्यय आपने दिया था।

2 thoughts on “महर्षि के मिशन के सबसे पहले ब्राह्मणेतर शास्त्रार्थ महारथी राव बहादुरसिंह- प्रा राजेंद्र जिज्ञासु”

  1. Mahoday

    Mai Shrinivas vani I . ek niyamit vachak
    Aapse anurodh karta hu ki aapki site me lekh bahut hi vistrut aur purvgrah dushit nahi hote aur nyaysangat bhi hote hai ise aur vachko tak pahuchne me iska copy hona jaruri hai .taki copy kar use what’s up jaise midia par dal sake .

    Aapse anurodh hai ki aap is vyvastha ko apnaye taki use ho sake

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