पुस्तक – परिचय पुस्तका का नाम – सत्यार्थ प्रकाश भाष्य

पुस्तक – परिचय

पुस्तका का नाम – सत्यार्थ प्रकाश भाष्य

भाष्यकार वाचस्पति

सपादक प्रदीपकुमार शास्त्री

प्रकाशक सत्यधर्म प्रकाशन झज्जर,

हरियाणा 9812560233

मूल्य 100/-      पृष्ठ संया– 192

महर्षि ने सत्यार्थ प्रकाश की रचना कर सत्य का मार्ग प्रशस्त किया है। उन्होंने आडमबर, अज्ञान व अन्धकार को दूर किया है।

उस समय धर्मान्धता, बाह्याडमबर का साम्राज्य चल रहा था, घोर अन्धकार में लोग अपनी स्वार्थपूर्ति कर रहे थे, अपना उल्लू सीधाकर रहे थे। सच्चाई से दूर, अज्ञान के खड्डे में गिर रहे थे। अनेक पाखण्डियों ने धर्म के ठेकेदार बनकर अपने को योगी, तपस्वी व महान् सिद्ध कर रखा था। मूर्तिपूजा, पर्दाप्रथा, स्त्रियों को अशिक्षित रखना आदि दूषण समाज में फैले हुए थे। वेद के शबद किसी के कानों में न पड़े यदि ऐसा हो भी जाय तो शीशा गर्म करके कान में डाल देते थे। अत्याचारों का बोलबाला था। ईश्वर के प्रति मनगढ़न्त कथाएँ जोड़ी जा रही थीं। भोली-भाली जनता को ठगा जा रहा था। सत्यार्थ प्रकाश के पढ़ने से वास्तविकता का ज्ञान होने लगा। वेदों के बाद महत्त्वपूर्ण ज्ञानार्जन के लिए सत्यार्थ प्रकाश है। सत्यार्थ प्रकाश के प्रति जनमानस की भावना प्रतिकूल विरोधाभास की रही पर आलोचना, अपशबदों का प्रयोग करना कहाँ की बुद्धिमानी है?

लेखक ने प्रथम समुल्लास एवं द्वितीय समुल्लास का भाष्य कर सरस, सरल व प्रश्न उत्तर के माध्यम से पाठकों के लिए प्रस्तुत सामग्री सारगर्भित कर दी है। पाठकों की शंका समाधान करके प्रत्युत्तर दिया गया है। ईश्वर के 100 नाम हैं, वे किस प्रकार और क्यों है? जन मानस भोली जनता के सामने अर्थ का अनर्थ कर रहे थे। उन्हें स्पष्ट किया गया है। द्वितीय समुल्लास में अनेक प्रकार की शिक्षाओं के माध्यम से सभी प्रकार की बातों का ज्ञान कराया गया है।

इसमें भी लोगों की शंकाएँ रही। स्वामी जी को गृहस्थ सबन्धी बातों से क्या अभिप्राय था? इसका भी सटीक उत्तर दिया गया है। वास्तव  में सार की बात को ग्रहण करना चाहिए। कहा है सार-सार को गहि रहे, थोथा दे उड़ाय। जीवन को सफलीभूत बनाने के लिए सत्य बात जो जीवन को श्रेष्ठ बनाती है, उसे अवश्य स्वीकार करना चाहिए। स्वामी जी के समय जो अन्धविश्वास थे, आज भी अनेक अन्धविश्वास एवं पोप लीलाओं ने अपना गढ़ बना लिया है। सत्य कटु होता है। पाठकों को चाहिए कि भ्रान्तियों को दूर करने के  लिए पठन-पाठन करें आपको अमूल्य निधि प्राप्त होगी। भाष्य सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। भाष्यकार एवं सपादक का आभार।

-देवमुनि, ऋषि उद्यान, पुष्कर मार्ग, अजमेर।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *