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Continue to Chatओ3म् जय जगदीश हरे... यह भजन पौराणिक जगत् में आरती के नाम से प्रचलित है। इसके रचनाकार महर्षि के घोरविरोधी पं. श्रद्धाराम फिलौरी हैं, किन्तु आर्य समाज की पुस्तकों में भी यह विद्यमान है। क्या भजन के रूप में इसे आर्य परिवारों में भी बोला जा सकता है? कृपया, समाधान करें। http://aryamantavya.in/pauranik-bhajan-oum-jai-jagdish-hare/