विज्ञान और खुदा

    विज्ञान और खुदा -चढत़े हैं फरिश्ते और रूह तर्फ़ उसकी वह अज़ाब होगा बीच उस दिन के कि है परिमाण उसका पचास हजा़र वर्ष । जब कि निकलेंगे वर्ष कबरों में से दौडत़े हुए  मानो कि वह बुतों के स्थानों की ओर दौड़ते हैं । म0ं 7। सि0 29। सू0 70। आ0 4। 431 समी0 -यदि पचास हज़ार वर्ष दिन का परिमाण है तो पचास हज़ार वर्ष की रात्रि क्यों नहीं ? यदि उतनी बड़ी रात्रि नहीं है तो उतना बड़ा दिन कभी नहीं हो सकता। क्या पचास हज़ार करोड़ वर्ष तक खुदा फ़रिश्ते और कर्मपत्र वाले खड़े वा बैठे अथवा जागते ही रहेंगे ? यदि ऐसा है तो सब रोगी होकर पुनः मर ही जायेंगे। क्या कबरों … Continue reading विज्ञान और खुदा

स्वामी ध्रुवानन्द

स्वामी ध्रुवानन्द डा. अशोक आर्य गांव पानी जिला मथुरा उतर प्रदेश में आप का जन्म हुआ । आप का नाम धुरेन्द्र था तथा शास्त्री होने पर नाम के साथ शास्त्री लग गया ओर सन १९३९ में राजा उम्मेद सिंह , नरेश शाहपुर ने आप को राजगुरु की उपाधि दी तो आप के नाम के साथ राजगुरु भी जुड गया । इस प्रकार आप का पूरा नाम धुरेन्द्र शास्त्री , राजगुरु बना । स्वामी सर्वदानन्द जी ने अलीगट से पच्चीस किलोमीटर दूर काली नदी के तट पर एक सुरम्य स्थान पर गुरुकुल की स्थापना की । इस स्थन का नाम हर्दुआगंज है । वास्तव में यह हरदुआगंज नामक गांव इस गुरुकुल से मात्र पांच किलोमीटर की दूरी पर है । इस … Continue reading स्वामी ध्रुवानन्द

स्वामी ओमानन्द सरस्वती

स्वामी ओमानन्द सरस्वती – डा. अशोक आर्य स्वामी ओमानन्द सरस्वती जी का जन्म गांव नरेला ( दिल्ली ) में दिनाक चैत्र शुक्ला ८ सम्वत १९६७ विक्रमी तदनुसार ९ जून १९११ इस्वी को हुआ । आप के पिता गांव के धनाट्य थे जिनका नाम कनक सिंह था । माता का नाम नान्ही देवी था । आप का नाम भगवान सिंह रखा गया । आप ने गांव के ही हाई स्कूल में अपनी शिक्शा आरम्भ की । आरम्भिक शिक्शा पूर्ण कर आप दिल्ली के सेंट स्टीफ़ेंस कालेज में उच्च शिक्शा के लिए प्रवेश लिया । यहां से आप ने एफ़ ए की उपाधि की परीक्शा उतीर्ण कर देश के स्वाधीनता आन्दोलन में कूद पडे तथा देश को स्वाधीन कराने के प्रयास में … Continue reading स्वामी ओमानन्द सरस्वती

स्वामी रामेश्वरानन्द सरस्वती

स्वामी रामेश्वरानन्द सरस्वती  -डा. अशोक आर्य स्वामी रामेश्वरानन्द सरस्ती जी आर्य समाज के तेजस्वी संन्यसी थे । आप उच्चकोटि के वक्ता थे तथा उतम विद्वान व विचारक थे । सन १८९० मे आप का जन्म एक क्रष्क परिवार में हुआ । आप आरम्भ से ही मेधावी होने के साथ ही साथ विरक्त व्रति के थे । आप उच्च शिक्शा न पा सके गांव में ही पाट्शाला की साधारण सी शिक्शा प्राप्त की । आरम्भ से ही विरक्ति की धुन के कारण आप शीघ्र ही घर छोड कर चल दिए तथा काशी जा पहुंचे । यहां पर आप ने स्वामी क्रष्णानन्द जी से संन्यास की दीक्शा  ली  । संन्यासी होने पर भी आप कुछ समय पौराणिक विचारों में रहते हुए इस … Continue reading स्वामी रामेश्वरानन्द सरस्वती

पण्डित प्रकाश वीर शास्त्री

-डा. अशोक आर्य आर्य समाज के जो प्रमुख वक्ता हुए, कुशल राजनेता हुए उनमें पं. प्रकाश वीर शास्त्री जी का नाम प्रमुख रुप से लिया जाता है । आप का नाम प्रकाशचन्द्र रखा गया । आप का जन्म गांव रहरा जिला मुरादाबाद , उतर प्रदेश मे हुआ । आप के पिता का नाम श्री दिलीपसिंह त्यागी था , जो आर्य विचारों के थे । उस काल का प्रत्येक आर्य परिवार अपनी सन्तान को गुरुकुल की शिक्शा देना चाहता था । इस कारण आप का प्रवेश भी पिता जी ने गुरुकुल महाविद्यालय ज्वालापुर में किया ।  इस गुरुकुल में एक अन्य विद्यार्थी भी आप ही के नाम का होने से आप का नाम बदल कर प्रकाशवीर कर दिया गया । इस … Continue reading पण्डित प्रकाश वीर शास्त्री

पं. राजाराम शास्त्री

पं. राजाराम शास्त्री        -डा. अशोक आर्य पंण्डित राजाराम शास्स्त्री जी अपने काल में अनेक शास्त्रों के अति मर्मग्य तथा इन के टीका कार के रुप में सुप्रसिद्ध विद्वान के रुप में जाने गये । आप का जन्म अखण्ड भारत के अविभाजित पंजाब क्शेत्र के गांव किला मिहां सिंह जिला गुजरांवाला मे हुआ , जो अब पाकिसतान में है ।  आप के पिता का नाम पं. सुबा मल था । इन्हीं सुबामल जी के सान्निध्य में ही आपने अपनी आरम्भिक शिक्शा आरम्भ की । आप अति मेधावी थे तथा शीघ्र ही प्राथमीक शिक्शा पूर्ण की ओर छात्रव्रति प्राप्त करने का गौरव पाया किन्तु इन दिनों एक आकस्मिक घटना ने आप के मन में अंग्रेजी शिक्शा प्रणाली के प्रति घ्रणा पैदा … Continue reading पं. राजाराम शास्त्री

पण्डित कालीचरण शर्मा

पण्डित कालीचरण शर्मा -डा. अशोक आर्य वैसे तो विश्व की विभिन्न भाषाओं का प्रचलन इस देश में बहुत पहले से ही रहा है किन्तु आर्य समाज के जन्म के साथ ही इस देश में विदेशी भाषाओं को सीखने के अभिलाषी , जानने के इच्छुक लोगों की संख्या में अत्यधिक व्रद्धि देखी गई । इस का कारण था विदेशी मत पन्थों की कमियां खोजना । इस समय आर्य समाज भारत की वह मजबूत सामाजिक संस्था बन चुकी थी , जो सामाजिक बुराईयों तथा कुरीतियों और अन्ध विश्वासों  को दूर करने का बीडा उटा चुकी थी । इस का लाभ विधर्मी , विदेशी उटाने का यत्न कर रहे थे । इस कारण इन के मतों को भी जनना आवश्यक हो गया था … Continue reading पण्डित कालीचरण शर्मा

स्वामी आत्मानन्द सरस्वती

स्वामी आत्मानन्द सरस्वती -डा. अशोक आर्य स्वामी आत्मानन्द जी सरस्वती आर्य समाज के महान विचारक तथा प्रचारक थे । आप का जन्म गांव अंछाड जिला मेरट उतर प्रदेश में संवत १९३६ विक्रमी तदानुसार सन १८७९ इस्वी को हुआ । आअपका नाम मुक्ति राम रखा गया । आपके पिता जी का नाम पं. दीनदयालु जी था । आपकी आरम्भिक शिक्शा मेरट में हुई तत्पश्चात उतम व उच्च शिक्शा के लिए आप को काशी भेजा गया । आप बडे ही मेहनती प्रव्रति के थे । अत: आप ने काशी में बडी लग्न , बडी श्रद्धा व पुरुषार्थ से विद्याध्ययन किया । यहां रहते हुए आप ने व्याकरण व साहित्य के अध्ययन के साथ ही साथ वेदान्तिक दर्शनों का भी अध्ययन किया । … Continue reading स्वामी आत्मानन्द सरस्वती

वीतराग स्वामी सर्वदानन्द

वीतराग स्वामी सर्वदानन्द -डा. अशोक आर्य आर्य समाज ने अनेक त्यागी तपस्वी साधू सन्त पैदा किये हैं । एसे ही संन्यासियों में वीतराग स्वामी सर्वदानन्द सरस्वती जी भी एक थे । आप का जन्म भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम से मात्र दो वर्ष पूर्व विक्रमी सम्वत १९१२ या यूं कहें कि १८५५ इस्वी को हुआअ । आप का जन्म स्थान कस्बा बस्सी कलां जिला होशियारपुर पंजाब था । आप के पिता का नाम गंगा विष्णु था, जो अपने समय के सुप्रसिद्ध वैद्य थे । यही उनकी जीविकोपार्जन का साधन भी था । स्वामी जी का आरम्भिक नाम चन्दूलाल रखा गया । यह शैव वंशीय परम्परा से थे । इस कारण वह शैव परम्पराओं का पालन करते थे तथा प्रतिदिन पुष्पों … Continue reading वीतराग स्वामी सर्वदानन्द

स्वामी आनन्दबोध

स्वामी आनन्दबोध     -डा. अशोक आर्य            सन १९०९ में काशमीर के अनन्तनाग क्शेत्र में एक बालक का जन्म हुआ , जिसका नाम रामगोपाल रखा गया । इनके पिता का नाम लाला नन्द लाल था । आप मूलत: अम्रतसर के रहने वाले थे । यह बालक ही उन्नति व व्रद्धि करता हुआ आगे चल कर राम गोपाल शालवाले के नाम से विख्यात हुआ ।             आप काशमीर से चलकर सन १९२७ में दिल्ली आ गए । दिल्ली आकर आप आर्य सम,आज के नियमित सदस्य बने । आप को पं.रमचन्द्र देहलवी की कार्य्शैली बहुत पसन्द आयी तथा आप ने उन्हें अपनी प्रेरणा का स्रोत बना लिया ।           आप के आर्य समाज के प्रति समर्पण भाव तथा मेहनत व लगन के … Continue reading स्वामी आनन्दबोध

आर्य मंतव्य (कृण्वन्तो विश्वम आर्यम)