भगवा

भगवा हमारे भारतीय सन्यासियों के वस्त्र का रंग भगवा है|और भारत के सनातन वैदिक धर्म ध्वजा का रंग भी भगवा है पर प्रश्न है कि ये भगवा रंग कहाँ से लिया गया,  क्यूँ लिया गया,  इसकी क्या विशेषता है, इसके पिछे क्या प्रेरणा है , भारत के ऋषी मुनियों ने क्यूँ इसे चुना और ये किन बातों का प्रतीक है ? ये भगवा रंग अग्नि से लिया गया है | अग्नि की तीन विशेषताएं हैं | वैसे तो अग्नि का गुण धर्म अर्थात स्वरुप उष्णता और प्रकाश है | पर इसमें विशेषता भी है वह बहुत खास है | १. विशेषता है अग्नि किसी भी पदार्थ के गुणों को कई गुना रूप से प्रगट करती है २.  जब इसमें कुछ … Continue reading भगवा

SHUDDHI WORK OF THE ARYA SAMAJ

SHUDDHI WORK OF THE ARYA SAMAJ By Lala Lajpat Rai “If we have sinned against the man who loves us, have ever wronged a brother, friend or comrade, have ever done an injury to the neighbor who ever dwelt With us, or even to a stranger, O Lord! Free us from the guilt to this trespass.” -R. v., 85, 7. I. Reclamation and Conversion Literally, Shuddhi means purification, but when used by Arya Samajists it includes also reclamation and conversion. The Arya Samaj, being a Vedic church, and as such a Hindu organization, engages in the work of reclaiming those who have left Hindu society, and it converts everyone who is prepared to accept its rehgious teachings. In this work it comes … Continue reading SHUDDHI WORK OF THE ARYA SAMAJ

The Assassin

Somehow to Abdul Rashid is being given credit for what he as an ordinary man could never have done. He owed no grudge to Swami Shraddhananda. The latter had done him no personal wrong. Till before the Counsel for him disillusioned him under the awe of legal justice, he is reported to have been proud of what he regarded to be greatest service he could have done to his religion. And how do his co-religionists take it? We thought it was a misguided editor who justified the deed of Abdul Rashid as being in accordance with Islamic Law. The other day in a mass meeting in Lahore, speaker after speaker condemned Shraddhananda instead of Abdual Rashid for the murder. One … Continue reading The Assassin

क्या खुदा ऊंटनी की सवारी करता है ?

  क्या खुदा ऊंटनी की सवारी करता है ? -और जब आवेगा मालिक तेरा और फ़रिश्ते पंक्ति  बांध के।। और लाया जावेगा उस दिन दोज़ख को।। मं0 7। सि0 30। सू0 89। आ0 21। 231 समी0 -कहो जी! जैसे कोटवालवा सेनाध्यक्ष अपनी सेना को लेकर पंक्ति बांध फिरा करे वैसा ही इनका खुदा  है ? क्या दोजख को घड़ा सा समझा है कि जिसको उठाके जहा चाहे वहा ले जावे। यदि इतना छोटा है तो असंख्य कैदी उसमें कैसे समा सकेंगे ? -बस कहा था वास्ते उनके पैग़म्बर खुदा के ने, रक्षा करो ऊंटनी खुदा की को, और पानी पिलाना उसके को।। बस झुठलाया उसको, बस पांव काटे उसके, बस मरी डाली ऊपर उनके रब उनके ने।। मं7। सि0 30। … Continue reading क्या खुदा ऊंटनी की सवारी करता है ?

अल्लाह का न्याय

 अल्लाह का न्याय -ये लोग वे हैं कि मोहर रक्खी अल्लाह ने ऊपर  दिलों उनके और कानों उनके और आँखों  उनकी के और ये लोग वे हैं बेखवर।। और पूरा दिया जावेगा हर जीव को जो कुछ किया है और वे अन्याय न किये जावेंगे।। मं0 3। सि0 14। सू016। आ0 108। 1113 समी0 -जब ख़ुदा ही ने मोहर लगा दी तो वे बिचारे विना अपराध मारे गये क्येांकि उनको पराधीन कर दिया, यह कितना बड़ा अपराध है ? और फिर कहते हैं कि जिसने जितना किया, उतना ही उसको दिया जायगा। न्यूनाधिक नहीं। भला ! उन्होंने स्वतंत्रता से पाप किये ही नहीं,किन्तु खुदा  के कराने से किये, पुनःउनका अपराध ही न हुआ, उनको फल न मिलना चाहिये। इसका फल … Continue reading अल्लाह का न्याय

गुमराही अल्लाह

गुमराही अल्लाह –कह निश्चय अल्लाह गुमराह करता है जिसको चाहता है और मार्ग दिखलाता है तर्फ अपनी उस मनुष्य को रुजू करता है।मं0 3। सि0 13। सू0 13।।आ0 27 समी0- जब अल्लाह गुमराह करता है तो खुदा  और शैतान में क्या भेद हुआ ? जब कि शैतान दूसरों को गुमराह अर्थात् बहकाने से बुरा कहाता है तो खुदा  भी वैसा ही काम करने से बुरा, शैतान क्यों नहीं ? और बहकाने के पाप से दोज़खी क्यों नहीं होना चाहिये ? –इसी प्रकार उतारा हमने इस कुरान  को अर्बी में जो पक्ष करेगा तू उनकी इच्छा का पीछे इसके आई तेरे पास विद्या से। बस सिवाय इसके नहीं कि ऊपर तेरे पैग़ाम पहुँचाना  है और ऊपर हमारे है हिसाब लेना।। मं0 3। … Continue reading गुमराही अल्लाह

छली मुहम्मद

छली  मुहम्मद  -आरै उस मनुष्य  से अधिक पापी कौन है जो  अल्लाह पर झूठ बाँध  लेता है आरै कहता है कि मरेी ओर  वही की गई  परन्तु वही उसकी ओर नहीं की गई  और जो कहता है कि में  भी उतारूंगा  कि जैसे अल्लाह उतारता है । म0ं 2। सि0 7। स0ू 6। आ0 93 समी0-इस बात से सिद्ध  होता है कि जब मुहम्मद साहेब कहते थे कि मेरे पास खुदा  की ओर से आयतें आती हैं  तब किसी दूसरे  ने भी महुम्मद साहबे के तुल्य  लीला रची होगी कि मेरे पास भी आयतें उतरती हैं, मुझको भी पैग़म्बर मानो। इसको हठाने और अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिये मुहम्मद साहेब ने यह उपाय किया होगा | -अवश्य हमने तुमको उत्पन्न किया, … Continue reading छली मुहम्मद

क्या क़ुरान विश्वासी शिक्षक हो सकता है ?

क्या क़ुरान विश्वासी शिक्षित हो सकता है ? -और वह जो लड़का, बस थे मां बाप उसके ईमान वाले, बस डरे हम यह कि पकड़े उनको सरकशी में और कुफ्र में।। यहाँ तक कि पहुंचा  जगह डूबने सूर्य  की, पाया उसको डूबता था बीच चश्मे कीचड़ के। कहा उननेऐजुलकफ्ररनैननिश्चय याजूजमाजूजफि़साद करने वाले हैं बीच पृथिवी के।। मं0 4। सि0 16। सू018। आ0 80। 88।944 समी0 -भला! यह खुदा  की कितनी बेसमझ है। शंका  से डरा कि लड़के के मां-बाप कहीं मेरे मार्ग से बहका कर उलटे न कर दिये जावें। यह कभी ईश्वर की बात नहीं हो सकती। अब आगे की अविद्या की बात देखिये कि इस किताब का बनाने वाला सूर्य को एक झील में रात्रि को डूबा जानता … Continue reading क्या क़ुरान विश्वासी शिक्षक हो सकता है ?

स्त्री और इस्लाम

स्त्री और इस्लाम -प्रश्न करते हैं तुझसे रजस्वला को कह वो अपवित्र हैं पृथक् रहो ऋतु समय में उनके समीप मत जाओ जब तक कि वे पवित्र न हों, जब नहा लेवें उनके पास उस स्थान से जाओ खुदा  ने आज्ञा दी।। तुम्हारी बीबियाँ तुम्हारे लिये खेतियाँ हैं बस जाओ जिस तरह चाहो अपने खेत में।। तुमको अल्लाह लग़ब;बेकार,व्यर्थ शपथ में नहीं पकड़ता।। मं0 1। सि0 2। सू0 2। आ0 222- 2241 समी0-जो यह रजस्वला का स्पर्श संग न करना लिखा है, वह अच्छी बात है। परन्तु जो यह स्त्रियों को खेती के तुल्य लिखा और जैसा जिस तरह से चाहो, जाओ यह मनुष्यों को विषयी करने का कारण है। जो खुदा  बेकार शपथ पर नहीं पकडत़ा तो सब झूठ … Continue reading स्त्री और इस्लाम

घमण्डी अल्लाह

घमण्डी  अल्लाह -उन लोगों  का रास्ता कि जिन पर तूने निआमत की।। और उनका मार्ग मत दिखा कि जिनके ऊपर  तूने ग़ज़ब अर्थात् अत्यन्त क्रोध  की दृष्टि की और न गुमराहों का मार्ग हमको दिखा।। मं0 1। सि0 1। सू0 1। आ0 6।7 समी0- जब मुसलमान लोग पूर्वजन्म और पूर्वकृत पाप-पुण्य नहीं मानते तो किन्हीं पर ‘‘निआमत’’ अर्थात् फ़जल वा दया करने और किन्हीं पर न करने से खुदा पक्षपाती हो जायगा, क्योंकि बिना पाप-पुण्य, सुख-दुःख देना केवल अन्याय की बात है। और बिना कारण किसी पर दया और किसी पर क्रोध दृष्टि करना भी स्वभाव से बहिः है। क्योंकि बिना भलाई-बुराई के’ वह दया अथवा क्रोध नहीं कर सकता और जब उनके पूर्व संचित  पुण्य-पाप ही नहीं, तो किसी पर दया … Continue reading घमण्डी अल्लाह

आर्य मंतव्य (कृण्वन्तो विश्वम आर्यम)