पादरी स्काट के बारे मेंःप्रा राजेन्द्र जिज्ञासु

पादरी स्काट के बारे मेंः

पादरी स्काट की 1868 में ऋषि से प्रथम भेंट की जीवनियों में चर्चा तथा पश्चिम के स्रोतों में उसके वर्णन पर परोपकारी में कुछ निवेदन करते हुए भारतीय जी के कथन को मैंने सत्य ही बताया, परन्तु जो स्रोत हमें मिला है, उसमें और भारतीय जी के वृत्तान्त व पुस्तक के नाम में भाषा भेद स्पष्ट है। भारतीय जी की पुस्तक भक्त प्रशंसक व सत्संग और परोपकारी में नये दस्तावेज के उद्धरण का मिलान कीजिये। नाम में शद भेद स्पष्ट है । वैसे झगड़ा करते जाओ। क्या घिसता है? इससे इतिहास प्रदूषण का कलङ्क तो नहीं मिटेगा। मैंने जीवन चरित्रों में ककौड़ा की चर्चा में पादरी के नाम का उल्लेख नहीं, यह लिखा है। जीवन चरित्र के बाहर अब किसी पुस्तक पोथी में भारतीय जी ने यह चर्चा की है तो मैं सर्वज्ञ नहीं। मुझे नहीं पता चला । यह मेरा दुर्भाग्य है। ऋषि जीवन का उनका सन् 1983 का वृत्तान्त देख लो। चाँदापुर में पादरी स्काट ने ऋषि जी की इंग्लैण्ड के एक व्यभिचारी को उपमा दी थी। इसको तो आप पचा ही गये या एकदम भूल गये?

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