आददीत न शूद्रोऽपि शुल्कं दुहितरं ददन् । शुल्कं हि गृह्णन्कुरुते छन्नं दुहितृविक्रयम् ।

और राजा के निर्णयों को कपटपूर्वक लिखने वाले, प्रकृति-प्रजा, मन्त्री, सेनापति आदि राजकर्मचारियों को रिश्वत आदि बुरे कार्यों में फंसाकर बिगाड़ने वाले, स्त्रियों, बच्चो और विद्वानों की हत्या करने वाले, तथा शत्रु से मिलकर उसका भला करने वाले, इनको वध से दण्डित करे ।

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