त्रिंशद्वर्षो वहेत्कन्यां हृद्यां द्वादशवार्षिकीम् । त्र्यष्टवर्षोऽष्टवर्षां वा धर्मे सीदति सत्वरः ।

ये छुपे हुए तस्कर = चोर राज्य में रहकर गलत और बुरे कामों को कर करके सदा राजा और सज्जन प्रजाओं को दुःख पहुंचाते रहते हैं ।

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