Adhyay : 9 Mantra : 90 Back to listings त्रीणि वर्षाण्युदीक्षेत कुमार्यृतुमती सती । ऊर्ध्वं तु कालादेतस्माद्विन्देत सदृशं पतिम् Leave a comment ये जो जूआ और समाह्वय है ये प्रत्यक्ष में होने वाली तस्करी=चोरी है राजा इनको समाप्त करने के लिये सदा प्रयत्नशील रहे । Related