यादृशं भजते हि स्त्री सुतं सूते तथाविधम् । तस्मात्प्रजाविशुद्ध्यर्थं स्त्रियं रक्षेत्प्रयत्नतः

अपनी स्त्री को धन की संभाल और उसके व्यय की जिम्मेदारी में, घर एवं घर के पदार्थों की शुद्धि में धर्मसम्बन्धी अनुष्ठान- अग्निहोत्र आदि में, भोजन पकाने में, और घर की सभी वस्तुओं की देखभाल में लगाये

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