भर्तुः शरीरशुश्रूषां धर्मकार्यं च नैत्यकम् । स्वा चैव कुर्यात्सर्वेषां नास्वजातिः कथं चन ।

सन्तानहीन पुत्र के धन को माता प्राप्त करे और माता मर गयी हो ते पिता की माता अर्थात् दादी उसके धन को ले ले।

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