येऽक्षेत्रिणो बीजवन्तः परक्षेत्रप्रवापिणः । ते वै सस्यस्य जातस्य न लभन्ते फलं क्व चित्

(एवम् उद्धारे समुद्धते) इस प्रकार ’उद्धार’ (=अतिरिक्त धनविशेष) के निकालने के (समान्-अंशान् प्रकल्पयेत्) शेष धन को समान भागों में बांट ले, (तु उद्धारे अनुद्धते) यदि ’उद्धार’ पृथक् से नहीं निकाले तो (एषाम् अंशकल्पना इमं स्यात्) उन भाइयों के भाग का बंटवारा इस प्रकार करे ।

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