धर्मेण च द्रव्यवृद्धावातिष्ठेद्यत्नं उत्तमम् । दद्याच्च सर्वभूतानां अन्नं एव प्रयत्नतः

वैश्य इस प्रकार धर्मपूर्वक धन की वृद्धि के लिए अधिक से अधिक यत्न करे और सब प्राणियों को प्रयत्नपूर्वक अन्न उपजाकर देता रहे ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *