Adhyay : 9 Mantra : 321 Back to listings अद्भ्योऽग्निर्ब्रह्मतः क्षत्रं अश्मनो लोहं उत्थितम् । तेषां सर्वत्रगं तेजः स्वासु योनिषु शाम्यति । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related