एतैरुपायैरन्यैश्च युक्तो नित्यं अतन्द्रितः । स्तेनान्राजा निगृह्णीयात्स्वराष्ट्रे पर एव च ।

राजा इन पूर्वोक्त उपायों तथा इनसे भिन्न जो और उपाय हों उनसे युक्त होकर सदा आलस्यहीन रहता हुआ अपने राष्ट्र में रहने वाले और दूसरे राष्ट्र से आकर चोरी करने वाले चोरों को वश में करे ।

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