(यथा) जिस प्रकार (धरा) धरती सब प्राणियों को समानरूप से धारण करती है (तथा) उसी प्रकार समान भाव से सभी प्राणियों को धारण-पोषण करने पर राजा का ’पार्थिव व्रत’ होता है ।
(यथा) जिस प्रकार (धरा) धरती सब प्राणियों को समानरूप से धारण करती है (तथा) उसी प्रकार समान भाव से सभी प्राणियों को धारण-पोषण करने पर राजा का ’पार्थिव व्रत’ होता है ।