पीडनानि च सर्वाणि व्यसनानि तथैव च । आरभेत ततः कार्यं संचिन्त्य गुरुलाघवम् ।

अपने तथा शत्रु के राज्य में आई सभी व्याधि, आपत्ति आदि पीड़ाओं को तथा व्यसनों के प्रसार को और बड़े-छोटे अर्थात् अपने और शत्रु राजा में कौन कम-अधिक शक्तिशाली है इन बातों पर विचार करके उसके पश्चात् राजा सन्धि-विग्रह आदि कार्य को आरम्भ करे ।

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