पतिं या नाभिचरति मनोवाग्देहसंयता । सा भर्तृलोकानाप्नोति सद्भिः साध्वीति चोच्यते ।

(नियुक्तौ) नियोग के लिए नियुक्त बड़ा या छोटा यदि (विधि- हित्वा) नियोग की विधि = व्यवस्था (समाज या परिवार में किये गये पूर्व निश्चयो) को छोड़कर (कामतः वर्तेयाताम्) काम के वशीभूत संभोगादि करे (तु) तो (तौ + उभौ) वे दोनों (स्नुषाग-गुरुतल्पगौ पतित स्याताम्) पुत्रवधूगमन औरर गुरुपत्नीगमन के अपराधी माने जायेंगे ।

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