प्रकाशवञ्चकास्तेषां नानापण्योपजीविनः । प्रच्छन्नवञ्चकास्त्वेते ये स्तेनाटविकादयः ।

उन दोनों प्रकार के चोरों में नाना प्रकार के व्यापारी जो देखते-देखते माप, तोल या मूल्य मे हेराफेरी करके ठगते है वे प्रकट चोर है और जो जंगल आदि में छिपे रहकर चोरी करने वाले है वे गुप्तचोर है ।

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