निर्भयं तु भवेद्यस्य राष्ट्रं बाहुबलाश्रितम् । तस्य तद्वर्धते नित्यं सिच्यमान इव द्रुमः

जिस राजा के बाहुबल=दण्डशक्ति के सहारे राष्ट्र अर्थात् प्रजाएं निर्भय रहती हैं उसका वह राज्य सींचे गये वृक्ष की भांति सदा बढ़ता रहता है ।

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