प्रच्छन्नं वा प्रकाशं वा तन्निषेवेत यो नरः । तस्य दण्डविकल्पः स्याद्यथेष्टं नृपतेस्तथा ।

छुपकर वा सबके सामने जो मनुष्य जूआ खेले उसका दण्ड राजा इच्छानुसार जो भी चाहे वही होता है ।

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