Adhyay : 9 Mantra : 222 Back to listings प्रकाशं एतत्तास्कर्यं यद्देवनसमाह्वयौ । तयोर्नित्यं प्रतीघाते नृपतिर्यत्नवान्भवेत् । Leave a comment ये जो जूआ और समाह्वय है ये प्रत्यक्ष में होने वाली तस्करी=चोरी है राजा इनको समाप्त करने के लिये सदा प्रयत्नशील रहे । Related