अयं उक्तो विभागो वः पुत्राणां च क्रियाविधिः । क्रमशः क्षेत्रजादीनां द्यूतधर्मं निबोधत

यह तुमको दायभाग का विधान और ’क्षेत्रज’ आदि पुत्रों को धन का भाग देने की विध क्रमशः कही ।

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