यदि नपुंसक आदि इन पूर्वोक्तों को भी विवाह करने की इच्छा हो तो इनके उत्पन्न ’क्षेत्रज’´= नियोगज पुत्र आदि (अपत्यम्) सन्तान इनके धन की भागी होती है ।
यदि नपुंसक आदि इन पूर्वोक्तों को भी विवाह करने की इच्छा हो तो इनके उत्पन्न ’क्षेत्रज’´= नियोगज पुत्र आदि (अपत्यम्) सन्तान इनके धन की भागी होती है ।