न निर्हारं स्त्रियः कुर्युः कुटुम्बाद्बहुमध्यगात् । स्वकादपि च वित्ताद्धि स्वस्य भर्तुरनाज्ञया ।

(स्त्रियः) स्त्रियाँ बहुत सदस्यों के कुटुम्ब से चुपके से धन ले-लेकर अपने लिए धन संग्रह और व्यय न करें (च) और (स्वकात् वित्तात अपि हि) अपने धन में से भी अपने पति की आज्ञा के बिना व्यय न करें ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *